नयी दिल्ली, 16 जून (भाषा) भारत के पास घरेलू कोयले से हाइड्रोजन का उत्पादन करने की पर्याप्त क्षमता है और देश को इस विकल्प को अपनाने के लिए ठोस प्रयास करने चाहिए। सरकार द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति ने यह सुझाव दिया है।
यह सुझाव इस मायने में अहम है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर हाइड्रोजन मिशन की घोषणा की थी।
हाइड्रोजन एक स्वच्छ ईंधन है और यह तरल एवं जीवाश्म ईंधनों का संभावित विकल्प बन सकता है। यह दुनिया में प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
कोयले से हाइड्रोजन के उत्पादन के लिए रूपरेखा संबंधी अपनी रिपोर्ट में विशेषज्ञ समिति ने कहा, ‘‘भारत के पास घरेलू कोयले से हाइड्रोजन का उत्पादन करने का अवसर है और हमारी कुल हाइड्रोजन पारिस्थितिकी में हम इस विकल्प को अपना सकते हैं।’’ समिति ने कोयले को हाइड्रोजन में बदलने के लिए अर्द्ध-वाणिज्य गैसीकरण इकाइयों की स्थापना का भी सुझाव दिया है।
समिति ने कहा कि कार्बन कैप्चर यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज इकाइयों और गैसीकरण को जोड़ने की संभावना तलाशी जा सकती है ताकि ब्लू हाइड्रोजल अधिक स्वीकार्य हो।
वर्तमान में हाइड्रोजन का मुख्य रूप से उपयोग कच्चे तेल से सल्फर को हटाने और उर्वरक उत्पादन में किया जाता है। 2021 में हाइड्रोजन की कुल मांग 67 लाख टन थी जिनमें से करीब 54 फीसदी यानी 36 लाख टन पेट्रोलियम रिफाइनिंग के लिए थी।
ऐसा अनुमान है कि 2030 तक हाइड्रोजन की मांग 1.17 करोड़ टन हो सकती है।
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मानसी अजय
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