केंद्र सरकार में गुजरात कैडर के 18 आईएएस अधिकारियों में से 4 पीएमओ, 4 वित्त मंत्रालय और 2 गृह मंत्रालय में सेवा दे रहे हैं.
नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को 2014 के लोकसभा चुनावों में जीत हासिल होने और उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद केंद्र सरकार में उनके गृह राज्य के अधिकारियों को लेकर बहुत अटकलें लगाई जाती हैं.
गुजरात के कौन से आईएएस और आईपीएस अधिकारी हैं जो प्रधानमंत्री मोदी के शासकीय एजेंडे की कुंजी हैं? उनमें से कितने केंद्र सरकार में सेवा दे रहे हैं? वे किस पद पर काबिज़ हैं?
आरटीआई अधिनियम और निजी स्तर पर छानबीन के तहत दिप्रिंट को प्राप्त जानकारी से पता चला है कि केंद्र सरकार में सेवा देने वाले कुल 492 आईएएस अधिकारियों में से केवल 18 यानी 3.65 प्रतिशत प्रधानमंत्री के गृह राज्य गुजरात से हैं.
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लेकिन संख्या से अधिक महत्व उन पदों का है जिनपर वे काबिज हैं. 18 में से चार तो सबसे शक्तिशाली माने जाने वाले प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में हैं. इसके अलावा चार वित्त मंत्रालय में और दो गृह मंत्रालय में हैं.
राजस्थान-कैडर के अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर दिप्रिंट को बताया कि “यह कोई नई बात नहीं बात नहीं है कि राजनेता अपने पसंदीदा अधिकारियों को नियुक्त करते हैं. इस सरकार में, इस प्रवृत्ति को दूसरे स्तर पर ले जाया गया है.”
“पहले से ही यह धारणा है कि सरकार की सभी शक्तियां पीएमओ में केंद्रीकृत हैं, और यह गुजरात कैडर अधिकारियों से भरा पड़ा है. यहां तक कि अन्य महत्वपूर्ण मंत्रालयों में, आप उन्हें नियुक्त करते हैं. इससे सामान्य रूप से सेवाएं देने वालों के मनोबल पर क्या असर होगा?”
सत्ता के केंद्र में
1988 बैच के अतिरिक्त सचिव अरविंद कुमार शर्मा पीएमओ में गुजरात कैडर अधिकारियों में सबसे वरिष्ठ हैं. 1996 बैच के राजीव टॉपनो प्रधान मंत्री के निजी सचिव हैं, 2004 बैच के राजेंद्र कुमार पीएमओ में निदेशक हैं, और 2009 बैच के एसआर भावसार पीएम के ओएसडी (आॅफिसर आॅन स्पेशल ड्यूटी) हैं.
इन चारों के अलावा, पीके मिश्रा 1972-बैच के अधिकारी जो 2008 में सेवानिवृत्त हो गए थे. जिनको 2014 में पांच साल तक प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव के रूप में फिर से नियुक्त किया गया था. 2001 से 2004 के बीच, जब वे गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब मिश्रा मोदी के प्रधान सचिव के रूप में कार्यरत थे.
वित्त और गृह मामले
हंसमुख अधिया वित्त मंत्रालय में सेवा देने वाले गुजरात कैडर अधिकारियों में सबसे वरिष्ठ हैं. 1981-बैच के अधिया भारत के वित्त सचिव हैं.
1985 बैच के दो अधिकारी, अतनु चक्रवर्ती और गिरीश चंद्र मुर्मू भी इसी मंत्रालय में महत्वपूर्ण पदों पर कार्यरत हैं. चक्रवर्ती निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव हैं, जबकि मुर्मू राजस्व विभाग में विशेष सचिव हैं.
1988 बैच की अधिकारी एस अपर्णा वित्त विभाग में कार्यकारी निदेशक हैं जो कि अतिरिक्त सचिव रैंक का पद है.
गृह मंत्रालय में, 1991 के बैच के अधिकारी .वी. थिरुपपुगाज संयुक्त सचिव रैंक पर सेवा दे रहे हैं, जबकि 2003-बैच के अधिकारी प्रवीणभाई खोड़ाभाई सोलंकी जनगणना संचालन के निदेशक हैं.
अन्य महत्वपूर्ण पद
गुजरात कैडर के तीन अन्य अधिकारी महत्वपूर्ण पदों पर काबिज़ हैं.
1985-बैच के अधिकारी अनिल गोपीशंकर मुकीम कोयला सचिव हैं; 1986 बैच के गुरुप्रसाद महापात्रा नागरिक विमानन मंत्रालय के तहत भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण के अध्यक्ष हैं; और 1987 बैच की अनीता करवाल मानव संसाधन विकास मंत्रालय के तहत केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष हैं.
जांचकर्ता और सुरक्षा एजेंसियां
यह प्रवृत्ति जांच और सुरक्षा एजेंसियों में नियुक्तियों तक भी फैली हुई है.
सीबीआई के उप निदेशक राकेश अस्थाना, 1984-बैच के गुजरात कैडर के अधिकारी हैं. वे अपने बॉस एवं एजेंसी के निदेशक आलोक वर्मा के खिलाफ कार्य में हस्तक्षेप करने को लेकर सार्वजानिक रूप से चर्चा में हैं.
सीबीआई के संयुक्त निदेशक एके शर्मा (1987) और प्रवीण सिन्हा (1988) भी गुजरात कैडर से आते हैं. शर्मा हाल ही में विजय माल्या के खिलाफ लुक आउट सर्कुलर नोटिस में बदलाव करने के निर्णय को लेकर चर्चा में थे, और राहुल गांधी ने एक कदम आगे बढ़ते हुए कहा कि शर्मा सीबीआई में प्रधानमंत्री के सबसे पसंदीदा अधिकारी हैं.
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एके पटनायक गुजरात के 1983-बैच के आईपीएस अधिकारी हैं, वे राष्ट्रीय खुफिया ग्रिड (नैटग्रिड) के सीईओ हैं. दो साल तक पद खाली रहने के बाद 2016 में उन्हें नियुक्त किया गया था. वह पूर्व प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह के दामाद हैं.
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