नयी दिल्ली, 11 जून (भाषा) प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जमीन हड़पने के आरोपों की जांच के सिलसिले में नागपुर के वकील सतीश एम. उइके और उनके भाई के खिलाफ धनशोधन निरोधक कानून के तहत आरोपपत्र दायर किया है। केंद्रीय जांच एजेंसी ने शनिवार को यह जानकारी दी।
प्रवर्तन निदेशालय ने एक बयान में कहा कि अभियोजन की शिकायत 26 मई को मुंबई में एक विशेष धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) अदालत के समक्ष दायर की गई थी और इसने (अदालत ने) नौ जून को इस मामले पर संज्ञान लिया था।
वकील सतीश महादेवराव उइके और उनके भाई प्रदीप महादेवराव उइके के खिलाफ धनशोधन का मामला नागपुर पुलिस (अजनी पुलिस स्टेशन) द्वारा दर्ज उस प्राथमिकी के बाद आया, जिसमें उन पर ‘फर्जी और जाली’ दस्तावेज़ तैयार करके उक्त जिले में ज़मीन हड़पने का आरोप लगाया गया था।
ईडी ने दोनों भाइयों के परिसरों पर छापेमारी के बाद उन्हें 31 मार्च को नागपुर से गिरफ्तार किया था। दोनों फिलहाल न्यायिक हिरासत में बंद हैं।
सतीश और प्रदीप ने धोखाधड़ी और जालसाजी का सहारा लिया और चंद्रशेखर नामदेवराव माटे के नाम से फर्जी पावर ऑफ अटॉर्नी बनायी और सरकारी अधिकारियों के जाली हस्ताक्षर भी किए तथा संदिग्ध एवं दुर्भावनापूर्ण इरादे से मूल मालिकों से ज़मीनें हड़प लीं। इसके बाद आरोपियों ने कुछ ज़मीनें बेच दीं और अवैध तरीके से बड़ी रकम जमा की।
ईडी ने बताया कि मामले में 38 करोड़ रुपये के अपराध की आशंका है।
वकील को पिछले कुछ वर्षों में वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता और महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के खिलाफ याचिका दायर करने के लिए जाना जाता है।
अपने एक आवेदन में, उन्होंने चुनावी हलफनामे में आपराधिक मामलों का ‘खुलासा न करने’ के लिए फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की मांग की थी।
उइके ने आरोप लगाया है कि भाजपा नेता ने 2014 के चुनावी हलफनामे में अपने खिलाफ 1996 और 1998 में दर्ज ‘धोखाधड़ी और जालसाजी’ के दो आपराधिक मामलों को छिपाया है।
उन्होंने बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर बेंच में याचिका दायर कर केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो के न्यायाधीश बीएच लोया की ‘संदिग्ध और असामयिक’ मौत की पुलिस जांच की मांग की थी।
भाषा फाल्गुनी सुरेश
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