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Sunday, 17 November, 2024
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आरबीआई ने शहरी सहकारी बैंकों को अंतर-बैंक कर्ज के लिए उच्च प्रावधान रखने को कहा

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मुंबई, 10 जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने शुक्रवार को शहरी सहकारी बैंकों के अंतर-बैंक कर्ज के साथ-साथ उनके स्थायी गैर-संचयी तरजीही शेयर और इक्विटी वारंट के मूल्यांकन के लिए नए प्रावधान मानदंड जारी किए। इन बैंकों को ऐसे कर्ज के लिए 20 प्रतिशत तक का प्रावधान करना जारी रखने को कहा गया है।

सितंबर 2019 में भ्रष्टाचार में डूबे पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक (पीएमसी) के दिवालिया होने और उसके बाद सहकारी बैंक यूनिटी स्मॉल फाइनेंस बैंक के साथ उसके विलय के बाद आरबीआई ने 25 जनवरी, 2022 को शहरी सहकारी बैंकों के बारे में दिशानिर्देश जारी किए थे।

इससे पहले आरबीआई ने इसी तरह के निर्देश सबसे बड़े सहकारी बैंक के बोर्ड को हटा दिए जाने के बाद 20 अप्रैल, 2020 को भी जारी किए थे।

आरबीआई ने शुक्रवार को जारी एक परिपत्र में कहा, “यूसीबी 20 अप्रैल, 2020 के परिपत्र के तहत बकाया बिना बीमा वाले जमाओं से उत्पन्न होने वाले अंतर-बैंक कर्ज पर प्रावधान करना जारी रखेंगे, जब तक कि सतत गैर-संचयी वरीयता शेयर (पीएनसीपीएस) या इक्विटी वारंट का वास्तविक आवंटन नहीं हो जाता।”

आरबीआई ने यह भी कहा कि नए मानदंड सभी शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए लागू हैं और तत्काल प्रभाव से लागू किए जा रहे हैं।

भाषा प्रेम प्रेम रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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