नयी दिल्ली, 10 जून (भाषा) विदेशी बाजारों में मंदी के रुख के बीच दिल्ली तेल-तिलहन बाजार में शुक्रवार को सरसों, मूंगफली, सोयाबीन तेल- तिलहन, सीपीओ और पामोलीन तेल सहित लगभग सभी खाद्यतेलों की कीमतों में गिरावट रही। बाकी तेल-तिलहन के भाव पूर्वस्तर पर बने रहे।
बाजार सूत्रों ने बताया कि मलेशिया एक्सचेंज में लगभग 4.25 प्रतिशत की गिरावट थी जबकि शिकॉगो एक्सचेंज लगभग डेढ़ प्रतिशत टूटा। विदेशी बाजारों की इस गिरावट के कारण सभी तेल तिलहनों के भाव कमजोर रहे।
सूत्रों ने कहा कि सरकार ने 24 मई को कहा था कि केवल उपभोक्ताओं को आपूर्ति करने वाले तेल रिफाइनिंग कंपनियां, 20 लाख टन सूरजमुखी तेल और 20 लाख टन सोयाबीन डीगम का शुल्कमुक्त आयात कर सकती हैं। इसके उपरांत 24 मई के बाद से आयातकों ने खाद्यतेल खरीदना बंद कर दिया।
आयात के लिए 18 जून तक परमिट जारी होने के बाद तेल खरीद और मालवाहक पोत पर लदान करवाने वाले ही शुल्क छूट का लाभ ले सकते हैं। इस घोषणा से पहले खरीदे गये तेल और आयात के रास्ते में तेल के लिए शुल्क छूट का लाभ नहीं मिलेगा। एक तरफ आयातक तेल खरीद नहीं कर रहे और दूसरी ओर परमिट मिलने के इंतजार में रिफाइनिंग कंपनियां भी बैठी हुई हैं। इससे हमें कुछ समय के लिए हल्के तेलों की दिक्कत देखने को मिल सकती है क्योंकि सरकार के उक्त आदेश से आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हुई है।
सूत्रों ने कहा कि मलेशिया से पाम, पामोलीन का आयात करना आसान है लेकिन इस आयात के आने में 10-15 दिन का समय लगता है। जबकि हल्के तेल के आयात में डेढ़ से दो महीने लगते हैं।
उसने कहा कि मंडियों में सरसों की आवक कम हो गयी है और इसका रिफाइंड बनना भी कम हुआ है, बिनौला लगभग खत्म हो गया है, आगे बरसात के मौसम फिर जाड़े में हल्के तेलों की मांग बढ़ेगी जिसका सारा दबाव सोयाबीन पर आयेगा। विदेशों में फिलहाल सोयाबीन के दाम ऊंचे हैं दूसरा अगर रुपया अभी की तरह कमजोर बना रहा तो आने वाले दिनों में आयात के सौदे महंगे बैठेंगे। इन सारी विषम स्थितियों का इलाज देश में तेल तिलहन का उत्पादन बढ़ाकर ही किया जा सकता है।
सूत्रों ने कहा कि दिल्ली में खुदरा व्यापारी 150-151 रुपये लीटर के भाव सरसों तेल की खरीद करते हैं और वे तेल के बोतल पर लिखे 190-210 रुपये लीटर के अधिकतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) की आड़ में इसी तेल को काफी महंगे दाम पर बेच रहे हैं। सरकार को ऐसे लूट खसोट को रोकने के इंतजाम करने पड़ेंगे। उन्होंने कहा कि सारा खर्च और मुनाफा जोड़कर उपभोक्ताओं को सरसों तेल 155-162 रुपये लीटर और सोयाबीन तेल 160-165 रुपये लीटर मिलना चाहिये। मूंगफली और सूरजमुखी तेल खुदरा बिक्री में लगभग 70 रुपये लीटर अधिक भाव के साथ बेचे जाने की शिकायतें हैं।
शुक्रवार को तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:
सरसों तिलहन – 7,565-7,615 (42 प्रतिशत कंडीशन का भाव) रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली – 6,840 – 6,975 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 16,000 रुपये प्रति क्विंटल।
मूंगफली सॉल्वेंट रिफाइंड तेल 2,670 – 2,860 रुपये प्रति टिन।
सरसों तेल दादरी- 15,400 रुपये प्रति क्विंटल।
सरसों पक्की घानी- 2,410-2,490 रुपये प्रति टिन।
सरसों कच्ची घानी- 2,450-2,555 रुपये प्रति टिन।
तिल तेल मिल डिलिवरी – 17,000-18,500 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 16,250 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 15,750 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 14,650 रुपये प्रति क्विंटल।
सीपीओ एक्स-कांडला- 14,000 रुपये प्रति क्विंटल।
बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 15,200 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 15,700 रुपये प्रति क्विंटल।
पामोलिन एक्स- कांडला- 14,400 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।
सोयाबीन दाना – 6,975-7,075 रुपये प्रति क्विंटल।
सोयाबीन लूज 6,675- 6,775 रुपये प्रति क्विंटल।
मक्का खल (सरिस्का) 4,000 रुपये प्रति क्विंटल।
भाषा राजेश राजेश रमण
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