मुंबई, आठ जून (भाषा) भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बढ़ती महंगाई को काबू में लाने के लिये बुधवार को प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 0.5 प्रतिशत बढ़ाकर 4.9 प्रतिशत कर दिया।
आरबीआई के इस कदम से ऋण महंगा होगा और कर्ज की मासिक किस्त यानी ईएमआई बढ़ेगी।
इससे पहले, चार मई को आरबीआई ने अचानक से रेपो दर में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि की थी।
आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की तीन दिन की बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए कहा कि एमपीसी ने आम सहमति से नीतिगत दर में 0.5 प्रतिशत की वृद्धि का फैसला किया है।
रेपो दर में वृद्धि के साथ स्थायी जमा सुविधा (एसडीएफ) दर 4.65 प्रतिशत और सीमांत स्थायी सुविधा (एमएसएफ) दर और बैंक दर 5.15 प्रतिशत हो गयी है।
इसके साथ, छह सदस्यीय एमपीसी ने आने वाले समय में मुद्रास्फीति को लक्ष्य के दायरे में रखने के मकसद से राहत उपायों को धीरे-धीरे वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का भी फैसला किया है।
दास ने चालू वित्त वर्ष की तीसरी द्विमासिक मौद्रिक समीक्षा की घोषणा करते हुए कहा कि महंगाई दर चालू वित्त वर्ष की पहली तीन तिमाहियों में छह प्रतिशत से ऊपर बने रहने की आशंका है।
उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर वृद्धि को लेकर जोखिम और रूस-यूक्रेन युद्ध से तनाव के कारण मुद्रास्फीति को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि, सरकार के आपूर्ति व्यवस्था में सुधार के कदमों से इसे नीचे लाने में मदद मिलेगी।’’
आरबीआई ने अन्य बातों के अलावा इस साल मानसून सामान्य रहने तथा कच्चे तेल का दाम औसत 105 डॉलर प्रति बैरल रहने की मान्यताओं के आधार पर मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2022-23 में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है।
पहली तिमाही में खुदरा मुद्रास्फीति के 7.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 7.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 5.8 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी है। इसमें घट-बढ़ का जोखिम बराबर बना हुआ है।
आरबीआई मौद्रिक नीति पर विचार करते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई दर को ध्यान में रखता है। खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल में आठ साल के उच्चस्तर 7.79 प्रतिशत पर पहुंच गई। यह केंद्रीय बैंक के संतोषजनक स्तर से कहीं अधिक है।
केंद्रीय बैंक को खुदरा महंगाई दो से छह प्रतिशत के दायरे में रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है।
आर्थिक वृद्धि दर का उल्लेख करते हुए दास ने कहा, ‘‘घरेलू आर्थिक गतिविधियां मजबूत हो रही हैं। संपर्क से जुड़े क्षेत्रों (होटल, रेस्तरां आदि) में तेजी से शहरी खपत बढ़ेगी। साथ ही इस साल मानसून के सामान्य रहने से ग्रामीण मांग को गति मिलने की उम्मीद है।’’
उन्होंने कहा कि इसके अलावा क्षमता उपयोग में सुधार से निवेश में भी तेजी की संभावना है। हालांकि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर तनाव, जिंसों के ऊंचे दाम, आपूर्ति संबंधी बाधाएं और वैश्विक स्तर पर तंग वित्तीय स्थिति से परिदृश्य को लेकर जोखिम भी है।
उन्होंने कहा कि इन सबको देखते हुए वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है।
दास ने यह भी कहा कि केंद्रीय बैंक अर्थव्यवस्था की उत्पादक जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त तरलता या नकदी की उपलब्धता सुनिश्चित करेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘आने वाले समय में महामारी की वजह से उपलब्ध कराई गई अत्यधिक नकदी को कई साल के समय में सामान्य स्तर पर लाया जाएगा। हालांकि, इसके साथ ही केंद्रीय बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि अर्थव्यवस्था की उत्पादक जरूरतों के लिए पर्याप्त नकदी उपलब्ध रहे।’’
विकासात्मक और नियामकीय नीति पर किये गये निर्णय की जानकारी देते हुए दास ने कहा कि क्रेडिट कार्ड को यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) से जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। इसका मकसद यूपीआई का दायरा बढ़ाना है।
फिलहाल इसकी शुरुआत रूपे क्रेडिट कार्ड से होगी। इससे ग्राहकों को यूपीआई मंच से भुगतान करना और सुगम होगा।
फिलहाल यूपीआई बचत/चालू खातों को जोड़कर लेन-देन को सुगम बनाता है।
उन्होंने कहा कि इसके अलावा शहरी सहकारी बैंकों को अनुसूचित बैंकों की तरह घरों तक अपने ग्राहकों को बैंक से जुड़ी सुविधाएं देने की अनुमति देने का प्रस्ताव किया गया है।
साथ ही राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों को वाणिज्यिक रियल एस्टेट…रिहायशी मकान…के लिये कर्ज देने की मंजूरी दी गयी है।
इसके अलावा घरों के दाम में वृद्धि और ग्राहकों की जरूरतों को देखते हुए शहरी सहकारी बैंकों और ग्रामीण सहकारी बैंकों के लिये व्यक्तिगत आवास ऋण की सीमा बढ़ाने की भी अनुमति दी गयी है।
मौद्रिक नीति समिति की अगली बैठक दो से चार अगस्त, 2022 को होगी।
भाषा
रमण अजय
अजय
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