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Sunday, 3 November, 2024
होममत-विमतकॉरपोरेट कंपनियों की जेबें तो मुनाफे से फूलती जा रही हैं लेकिन अर्थव्यवस्था उबर नहीं रही है

कॉरपोरेट कंपनियों की जेबें तो मुनाफे से फूलती जा रही हैं लेकिन अर्थव्यवस्था उबर नहीं रही है

अर्थव्यवस्था को उपभोग में जिस वृद्धि की जरूरत है उतना उपभोग करने लायक पैसा कई लोग नहीं कमा पा रहे हैं .

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अर्थव्यवस्था को कई अनिश्चितताओं का सामना करना पद रहा है लेकिन कॉर्पोरेट इंडिया ने एक कठिन दशक को पार कर लिया है और अब वह इतनी अच्छी स्थिति में है जितनी पहले कभी नहीं थी.

शेयर बाज़ार में सूचीबद्ध नमूना 2,785 कंपनियों का 2021-22 में शुद्ध मुनाफा उनकी बिक्री के 9.7 प्रतिशत के बराबर था. यह स्तर पिछले एक दशक, या कहें कि 2008 के बाद के वित्तीय संकट के बाद से नहीं देखा गया था (डाटा सोर्स : कैपिटलाइन). करीब दो साल पहले, 2019-20 में (मुख्यतः कोविड से पहले), मुनाफा बिक्री के 3.4 प्रतिशत के बराबर ही था.

मौजूदा साल से पहले सबसे अच्छा साल 2016-17 वाला था, जब मुनाफा मार्जिन 7.2 प्रतिशत था. बाकी दूसरे वर्षों में यह 6 प्रतिशत के आसपास था. इस लिहाज से 9.7 प्रतिशत को तो जबरदस्त ही माना जाएगा.

मुनाफे में वृद्धि के चार कारण हैं. पहला, अधिकतर कंपनियों ने अपना कर्ज अदा कर दिया है, और ब्याज भुगतान पर उनका खर्च कम हो गया है. दूसरे, वित्त क्षेत्र (बैंक, शैडो बैंक, बीमा कंपनियां, ब्रोकरेज आदि) ने पिछले पांच वर्षों में खराब कर्जों और कमजोर बैलेंसशीट से जूझने के बाद बेहतर दिन देखना शुरू कर दिया है. वित्त क्षेत्र का मुनाफा तीन साल में चार गुना बढ़ गया. कुल सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे में वित्त क्षेत्र का हिस्सा 2012-13 में 27 फीसदी से गिरकर 2017-18 में 8 फीसदी पर पहुंच गया, और ताजा वर्ष में यह फिर चढ़कर 26 फीसदी हो गया. इससे भारी फर्क आया है.


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तीसरे, कंपनियों ने कोविड के झटके का सामना लागत घटाकर बड़ी सफलता से किया. यह 2020-21 में सबसे नाटकीय रूप से तब सामने आया जब बिक्री में करीब 4 फीसदी की गिरावट आई लेकिन शुद्ध मुनाफा पिछले वर्ष के मुक़ाबले दोगुना से ज्यादा हो गया, और एक साल बाद 65 फीसदी और बढ़ गया.

अंततः कंपनियों ने कॉर्पोरेट मुनाफे पर टैक्स की नीची दरों की जो पेशकश वित्त मंत्री ने की उसका खूब लाभ उठाया. इस पेशकश में उन्हें छूट दी गई कि वे चाहें तो कुछ रियायतों का लाभ न उठाएं. लेकिन कंपनियों ने जाहिर है वही विकल्प चुना जो उनके फायदे में था. इसलिए कुल कॉर्पोरेट टैक्स (मुनाफे के अनुपात के रूप में) कम हुआ, और इससे टैक्स भुगतान के बाद मुनाफे का अनुपात बढ़ा.

इसका परिणाम यह है कि कई कंपनियां आज नयी क्षमताओं के विकास और अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए ज्यादा निवेश करने की स्थिति में हैं, और उन्हें सहारे की फिक्र करने की जरूरत नहीं है. इसी तरह, बैंक भी आज फिर से कर्ज देने की अच्छी स्थिति में हैं.

लेकिन घरेलू उपभोग खेल खराब कर रहा है, जो महंगाई के कारण घटी मांग और कई लोगों के बेरोजगार हो जाने के चलते बहुत बढ़ा नहीं है. ताजा तिमाही आंकड़े यही दिखाते हैं कि जीडीपी में निजी उपभोग का हिस्सा निरंतर सिकुड़ रहा है. बढ़ती ब्याज दरों के कारण कर्ज लेकर किए जाने वाले उपभोग में और कमी आएगी.

ऐसे हालात में, नयी क्षमता की बहुत कम जरूरत है, सिवा निर्यात बाजार के या उन सेक्टरों के जिन पर सरकार खर्च करने पर ज्यादा ज़ोर दे रही क्योंकि निजी मांग की कमी है. वास्तव में, दशक लंबी कहानी यह है कि हमारी सूची की कंपनियों की बिक्री शायद ही दोगुनी हुई है. इसका मतलब है 7 फीसदी की वार्षिक वृद्धि. इसमें मुद्रास्फीति का हिसाब भी रखें तो वास्तविक वृद्धि और भी साधारण दिखेगी.

आगे की देखें, तो मांग में सुधार का तात्कालिक परिदृश्य धुंधला है. इसकी वजह है मुद्रास्फीति का आज का स्तर और आगामी महीनों में हो जाने वाला स्तर. तेल के मोर्चे पर इससे भी बड़ा झटका घरेलू हाल को बेहाल कर सकता है जबकि विदेश में आर्थिक ठहराव या मंदी निर्यातकों के लिए बुरी खबर है. इसलिए निजी निवेश की वापसी भी दूर लगती है. जब भी हालात बदलेंगे और निवेश में वृद्धि होगी, अर्थव्यवस्था को ताकत मिलेगी. लेकिन लोग इसका कुछ समय से इंतजार ही कर रहे हैं.

इस समस्या को हाल के दौर में आय की विषमता में वृद्धि से न जोड़ना मुश्किल है. लाखों लोग रोजगार बाजार से बाहर हो गए हैं और अल्पावधि अनुबंधों के आधार पर रोजगार देने वाली ‘गिग इकोनॉमी’ में 90 फीसदी रोजगार की अवधि अनिश्चित होती है .

इसके परिणामस्वरूप मार्क्सवादी शैली का ‘जरूरत से कम उपभोग’ हेनरी फोर्ड शैली का समाधान पेश करता है— लोगों को बेहतर पैसा दो और वे आपके ही उत्पादों को खरीदेंगे. अर्थव्यवस्था को उपभोग में जिस वृद्धि की जरूरत है उतना उपभोग करने लायक पैसा कई लोग नहीं कमा रहे हैं. जाहिर है, इसका दूसरा पहलू यह है कि कंपनियां काफी अधिक मुनाफा कमा रही हैं.

(बिजनेस स्टैंडर्ड से विशेष प्रबंध द्वारा)

(इस लेख को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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