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Friday, 1 November, 2024
होमशासनवो मेरी पहली और आखिरी गर्लफ्रेंड है- एक अंतरजातीय प्रेम कथा जिससे जान पर बन आई 

वो मेरी पहली और आखिरी गर्लफ्रेंड है- एक अंतरजातीय प्रेम कथा जिससे जान पर बन आई 

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बी. संदीप और माधवी चारी को उनकी जातियों में फर्क होने से माधवी के पिता के हमले का सामना करना पड़ा. माधवी अपनी जान बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही है और संदीप विश्वास से कहता  है कि उसे कुछ नहीं होगा.

हैदराबाद :  दसवीं  की परीक्षा देते वक्त परीक्षा केंद्र में 2013 में बी. संदीप और माधवी चारी की अकस्मात मुलाक़ात हुई. मुलाकात एक प्रेम कथा में तब्दील हुई जिसने उनकी लगभग जान ही ले ली.

उसकी सीट थी 29 और माधवी की 30. “जब  परीक्षा शुरू होने के ठीक पहले मैं मुड़ा – तो वो, माधवी वहां बैठी थी. एक साल बातचीत और जानपहचान के बाद मैने उसे अपनी गर्लफ्रेंड होने को कहा,” संदीप याद करता है.

21 साल का दलित संदीप 12 सितम्बर को माधवी से हैदराबाद के  एक छोटे से आर्य समाज मंदिर में शादी करता है. माधवी 20 साल की है और अन्य पिछड़ी जाति (ओबीसी) से है.


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एक सप्ताह बाद इरागड्डा रोड़ पर दिन  दहाड़े माधवी के पिता उसपर जानलेवा हमला करते है.  उसकी चेहरे और गर्दन पर गहरी चोटें है और वो अपनी जान के लिए लड़ रही है.

बंजारा हिल्स के सहायक पुलिस कमिश्नर विजय कुमार का कहना है कि शराब की लत और अपनी बेटी की सुरक्षा की भावना इस हमले का कारण थे.

कुमार कहते है, “वो बहुत गुस्सा था कि उसने उनकी अनुमति के बिना शादी कर ली. जब उन्होंने उसे घर लौट आने को कहा  तो उसने मना कर दिया. उनकी मंशा केवल उसपर हमला करना था.”

माधवी के पिता मनोहर चारी को एक रिश्तेदार के घर से गिरफ्तार किया गया और उनके खिलाफ भारतीय  दंड संहिता की धारा 307 ( हत्या की कोशिश) और एससी/एसटी (प्रिवेंशन ऑफ अट्रोसिटी) एक्ट के तहत मुकदमा दायर किया है.

ये घटना हाल में तेलंगाना के नालगोंडा ज़िले की घटना के कुख ही दिनों बाद हुई है जिसमें प्रणय नाम के एक दलित व्यक्ति को उनके उच्च जाति के ससुर के आदेश पर कुल्हाड़ी से काट के मार डाला गया था

ये प्यार नहीं मंज़ूर

तीन साल पहले से ही जब उन्हें इस रिश्ते के बारे में पता चला माधवी की मां इसका विरोध कर रहीं थी. अपनी पत्नी का पक्ष देते हुए, जोकि अब भी आईसीयू में है संदीप कहते है कि माधवी अकसर शिकायत करती थी कि घर पर हालात कितने खराब थे.

दिप्रिंट से बातचीत में संदीप ने कहा“ 2015 में भी उसकी मां कहती थी कि अगर उसने मुझसे शादी की तो वो उसे मार डालेगी.  तुम छोटी जात के हो,’ वो अकसर कहती थीं. इससे पहले मुझे कभी छोटा या कमतर महसूस नहीं कराया गया- चाहे वो स्कूल हो, कॉलेज हो या दोस्त या परिवार हो और खासकर माधवी ने.” संदीप इरागड़्डा के नायडु रेस्त्रां में काम करने के साथ साथ विवेकानंद कॉलेज से अपनी बी. कॉम अंतिम वर्ष की पढ़ाईं पूरी कर रहा है.

जब 19 सितंबर को माधवी यशोदा अस्पताल पहुंची थी को उसका बाया हाथ उसके शरीर से बस दो तीन इंच चमड़ी से जुड़ा हुआ था.  उसका इतना खून बह गया था कि उसका होमोग्लोबिन नॉरमल स्तर से 10 पॉइंट नीचे गिर गया था.

माधवी के डॉक्टरों से मिलने के बाद संदीप कहते है कि जो बात उन्हें अपनी पत्नी की सबसे अच्छी लगती है वो है उसकी दयालु  प्रवृति और उसकी करुणा.

वो कहते है,“ वो कभी गुस्सा नहीं होती थी, उसको जाति कभी नज़र नहीं आती थी. जब से मैं उसे जानता हूं उसने एक बार भी नहीं कहा कि उसकी जाति मुझसे ऊंची है. वो हमेशा कहती थी कि हम दोनों इंसान है और ये ही काम की बात है. ”

माधवी की हालत अब स्थिर है हालांकि संक्रमण से बचने के लिए उसे अभी भी अस्पताल के आईसीयू में रखा गया है. इस घटना के बाद अभी तक उसके परिवार का एक भी सदस्य उसकी खोज खबर लेने नहीं पहुंचा है.

संदीप जिनका ये पहला प्यार है कहते है, “वो मेरी पहली और आखिरी गर्लफ्रेंड है.” मुझे विश्वास है  वो सुरक्षित लौट आएगी और उसे कुछ नहीं होगा.”

मुशिकल यात्रा

पुलिस को मिली सूचना के अनुसार, मनोहर ने बहुत पहले ही माधवी का रिश्ता किसी और से कर दिया था. वहीं उसकी मां चाहती थीं कि वो माला जाति के किसी लड़के से शादी करें.

पर माधवी के परिवार के घोर विरोध के बावजूद युवा जोड़े का प्यार भारी पड़ा. संदीप बताते है कि, “ उसने कहा कि वो मेरे साथ रहना चाहती है और मेरे बिना नहीं रह सकती. हमारी शादी में किसी को नहीं बुलाया गया- न मेरी मां, न दोस्त, न उसके कोई रिश्तेदार. बस हम थे और इतना ही काफी था.”

उसका जीवन कभी आसान नहीं रहा. उसके  पिता की मृत्यु आठ साल पहले हो गई जब वह छठी कक्षा में था . उनकी मां रमादेवी को अपने दोनो बेटों का लालन पालन करना पड़ा. उस समय रमादेवी के पास कोई नौकरी नहीं थी और संदीप और उसका भाई बी. सतीश किसी मदद के लिए बहुत छोटे थे.

संदीप कहते है “ये बहुत मुश्किल समय था. हम बहुत गरीब थे- इतना  कि  हमारे पास खाना भी न होता. अगर कोई खाना दे देता या हमें बचा हुआ खाना मिल जाता तो ही हम कुछ खा पाते.”


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रमादेवी अपने बच्चों  को स्कूल भेजने के लिए लोगों के घर में सफाईं करने और खाना बनाने का काम करने लगी. स्कूल पास करने के बाद, संदीप और सतीश ने छोटे मोटे काम करना शुरू किया ताकि उनकी मां की मदद हो सके और वो उच्च शिक्षा प्राप्त कर सकें.

‘हमेशा खतरा बना रहता’

संदीप कहते है कि, “ मैं बस 5000 रूपये महीना कमा पाता हूं पर हम इसी से काम चला रहे है.”

माधवी और अपनी मां का लालन पोषण ही उसको आगे बढ़ने की ऊर्जा देता है. शादी के बाद भी दोनों ने कहीं घूमने जाने की योजना को स्थगित कर दिया था क्योकि वे भविष्य के लिए बचाना चाहते थे.

संदीप कहते है “मैंने माधवी को कह रखा था कि वो मेरी ज़िम्मेदारी है और उसे नौकरी करने की ज़रूरत नहीं. मैं नौकरी करूंगा और कमाऊंगा.”

उसके दोस्त अब भी विश्वास नहीं कर पा रहे कि  ऐसी घटना हो सकती है.

संदीप के एक मित्र क्लिंटन ने दिप्रिंट को बताया कि “वो इतना मज़ाकिया, नर्म दिल इंसान है, हमने उसे कभी इतने दर्द में नहीं देखा.”

संदीप का बचपन का दोस्त और पड़ोसी श्रीकांथ का दावा है कि माधवी के पिता इस हमले की तैयारी कुछ समय से कर रहे थे..

वे कहते हैं कि , “वो माधवी की शादी के बाद शराब पी कर संदीप के घर रोज़ रात को पहुंच जाते. वो उनको अकसर धमकाते. पर हमने कभी नहीं सोचा था कि असल में कभी भी ऐसा होगा.”

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