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Friday, 22 November, 2024
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DU और आंबेडकर विश्वविद्यालय के बीच दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्ट की संबद्धता को लेकर क्या है विवाद

दिल्ली सरकार ने पिछले साल सीओए के आंबेडकर विश्वविद्यालय के साथ विलय की घोषणा की थी. दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित ये कॉलेज 1942 से ही दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है.

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नई दिल्ली: कॉलेज ऑफ आर्ट (सीओए) में दाखिले लेने की उम्मीद लगाए छात्रों के मन में अनिश्चितता गहराती जा रही है क्योंकि दिल्ली विश्वविद्यालय जो कि एक केंद्रीय विश्वविद्यालय है और दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले आंबेडकर विश्वविद्यालय (एयूडी) के बीच संबद्धता को लेकर संघर्ष चल रहा है.

कई तो सीओए में दाखिला लेने की उम्मीद छोड़ चुके हैं जो कि एक फाइन आर्ट्स कॉलेज है क्योंकि बीते साल मार्च से शुरू हुआ विवाद अब तक जारी है. दोनों विश्वविद्यालयों के बीच जारी संघर्ष को तीसरी पार्टी ने और पेचीदा बना दिया है. किसी छात्र के परिजन ने बीते महीने दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिले की प्रक्रिया शुरू करने को लेकर याचिका दायर की.

याचिका दायर करने वाले आशीष सहगल ने कहा कि कॉलेज द्वारा 2021-22 के अकादमिक सत्र में दाखिला न देने के कारण उनके बेटे का एक साल खराब हुआ. उन्होंने कहा कि जिस कारण कॉलेज में 500 सीटें खाली रह गईं.

सहगल ने कहा, ‘मेरे परिवार में कई लोगों ने इसी कॉलेज से पढ़ाई की है और मैं चाहता हूं कि इस परंपरा को मेरा बेटा आगे बढ़ाए. इस कॉलेज की प्रतिष्ठा देश के अच्छे आर्ट्स कॉलेजों में से एक की है. लेकिन साल बर्बाद होने और अनिश्चितता को देखते हुए हम और इंतजार नहीं कर सकते. वो अब कॉमर्स कोर्स में दाखिला लेगा.’

सहगल की याचिका पर 17 मई को कोर्ट ने अंतरिम आदेश में एयूडी को सीओए के दाखिले को होल्ड करने को कहा.

एक और अभ्यार्थी ने नाम न बताते की शर्त पर कहा कि वो अब इस बात पर विचार कर रही है कि वो इस कॉलेज में दाखिला ले या न लें. उन्होंने कहा, ‘मैं कॉलेज ऑफ आर्ट में पढ़ाई करना चाहती हूं लेकिन संबद्धता के चलते मैं इसमें दाखिला लेने पर विचार कर रही हूं. सीयूईटी (केंद्रीय विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए परीक्षा) ने डीयू में पढ़ाई करने को लेकर मुझमें उम्मीद जगाई है.’

मामले के न्यायालय में होने के कारण इस पर ज्यादा जानकारी ने देते हुए एक अधिकारी ने कहा, ‘हम कोशिश में लगे हैं कि एंट्रेस एग्जाम ठीक तरह से हो पाए.’ मामले की अगली सुनवाई 13 जुलाई को होनी है.

दिल्ली विश्वविद्यालय के वाइस-चांसलर योगेश सिंह ने कहा कि उनका प्रशासन कोर्ट गया ताकि संबद्धता को लेकर मामला सुलझ जाए. पिछले साल सिंह ने कॉलेज को निर्देश दिए थे कि वो डीयू के नियमों के अनुसार दाखिला प्रक्रिया शुरू करे लेकिन इस पर ध्यान नहीं दिया गया.

उन्होंने कहा, ‘पिछले साल, दिल्ली विश्वविद्यालय के कहने के बावजूद सीओए ने दाखिले की प्रक्रिया शुरू नहीं की. यह कॉलेज का दोष है. यहां तक कि इस साल भी कॉलेज प्रशासन दाखिला शुरू करने से हिचक रहा है.’

सिंह ने कहा, ‘अब ये कोर्ट द्वारा एयूडी को निर्देश देने के बाद ही शुरू हो पाएगा.’ उन्होंने कहा, ‘ये महत्वपूर्ण बात है कि एयूडी संबद्ध बॉडी के तौर पर दाखिला नहीं दे रहा है बल्कि अदालत के निर्देश के बात कर रहा है.’

डीयू सिर्फ दाखिले को शुरू करने को नहीं कह रहा है बल्कि फाइन आर्ट्स कॉलेज को अपने तत्वाधान में भी लाना चाहता है. 30 मई को अपनी आखिरी बैठक में डीयू के एग्जिक्यूटिव काउंसिल ने दाखिले को लेकर हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश को चुनौती देने का फैसला किया था. काउंसिल विश्वविद्यालय में फैसले लेने की शीर्ष ईकाई है.

काउंसिल की सदस्य सीमा दास ने दिप्रिंट से कहा, ’17 मई को हाई कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश में दाखिला आंबेडकर विश्वविद्यालय के तहत देने का निर्देश दिया था लेकिन कहा कि सीओए डीयू का अभिन्न हिस्सा है. विश्वविद्यालय ने 30 मई को काउंसिल की बैठक में फैसला किया कि वो समीक्षा याचिका दायर करेगी. काउंसिल का मानना है कि कॉलेज को उसके साथ ही रहना चाहिए.’


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किस वजह से हुआ विवाद

दिल्ली सरकार ने पिछले साल सीओए के आंबेडकर विश्वविद्यालय के साथ विलय की घोषणा की थी. दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित ये कॉलेज 1942 से ही दिल्ली विश्वविद्यालय से संबद्ध है.

कॉलेज कई परेशानियों का सामना कर रहा था जिस कारण सरकार ने इसे एयूडी के साथ मिलाने का फैसला किया था.

दिल्ली के उपराज्यपाल रहे अनिल बैजल ने इस विलय को मंजूरी दी थी लेकिन डीयू की काउंसिल ने इस पर आपत्ति जताई थी जिस वजह से दाखिले रुके हुए हैं.

डीयू में प्रोफेसर और काउंसिल के पूर्व सदस्य राजेश झा ने कहा कि कॉलेज के पैनल ने बीते साल विलय के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया था. उन्होंने कहा, ‘कॉलेज ने समिति का गठन किया जिसने आंबेडकर विश्वविद्यालय के साथ विलय करने का फैसला किया. समिति द्वारा कॉलेज के छात्रों और प्रोफेसर से परामर्श नहीं किया गया.’

मई के आखिरी सप्ताह में इस विवाद ने एक नया मोड़ लिया जब प्रोफेसर संक्रित जो कि एयूडी में डीन ऑफ लैटर्स हैं- को सीओए के डीन का अतिरिक्त प्रभार दिया गया. डीयू काउंसिल ने इस नियुक्ति को दिल्ली विश्वविद्यालय के क्षेत्राधिकार में दखलअंदाजी बताया.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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