नई दिल्ली: केंद्र सरकार को काफी लंबे समय से भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के अधिकारियों की कमी का सामना करना पड़ रहा है और यह एक ऐसा मुद्दा है जो पिछले एक साल से चर्चा का विषय रहा है. फिर भी, 2014 में पीएम मोदी के कार्यभार संभालने के बाद से इस सेवा में शामिल किये जाने वाले अधिकारियों का संख्या में कोई बदलाव नहीं आया है.
हालांकि, केंद्र सरकार ने इस साल की शुरुआत में इस कमी को दूर करने के लिए आईएएस (कैडर) रूल्स में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, मगर सोमवार को घोषित संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा के परिणामों से पता चला है कि आईएएस अधिकारियों की भर्ती की संख्या 180 ही है – जैसा कि यह 2013 और उसके बाद के वर्षों में थी.
इस बीच, 2021 में भारतीय सिविल सेवाओं में अधिकारियों की कुल भर्ती घटकर 749 हो गई, जो 2013 में 1,228 थी.
प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआईबी) द्वारा हर साल प्रकाशित किये जाने वाली यूपीएससी परिणामों की सूची के अनुसार, ये उन रिक्तियों की संख्या है जिनके बारे में सरकार का कहना है कि इन्हें भरा जाना है. इसके बाद ही यूपीएससी इन रिक्तियों के लिए प्रोविजनल और आरक्षित सूचियों सहित उम्मीदवारों की सिफारिश करता है.
साल 2013 के बाद से ही कुल भर्तियों की संख्या, और साथ ही केंद्रीय सेवाओं (ग्रुप ए) में भर्तियों की संख्या में भी, बदलाव आता रहा है. साल 2019 के बाद से तो इन दोनों प्रकार की संख्या में लगातार गिरावट आ रही है.
इस साल मार्च में, कार्मिक, लोक शिकायत, कानून और न्याय मामलों की स्थायी संसदीय समिति ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की जिसमें सिफारिश की गई थी कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) आईएएस अधिकारियों की भर्ती की संख्या में वृद्धि करे. हालांकि, केंद्र सरकार ने अभी तक इस मसले पर फैसला नहीं किया है.
दिप्रिंट ने डीओपीटी के प्रवक्ता को टेक्स्ट मैसेज और ई-मेल के माध्यम से इस मुद्दे पर सरकार का पक्ष जानने के लिए विस्तृत प्रश्नावली भेजी थी, लेकिन अभी तक उनका कोई जवाब नहीं मिला है.
इस बीच, केंद्र सरकार में काम कर चुके सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी वी. रमानी ने कहा: ‘एक ऐसा फॉर्मूला होना चाहिए जिस पर सरकार काम कर रही हो, और (भर्तियों में) अचानक वृद्धि एक बिना सोची समझी प्रतिक्रिया हो सकती है. अधिकारियों की नियुक्ति आम तौर पर कैडर समीक्षा पर निर्भर करती है.’
उन्होंने कहा कि सरकार ने मंत्रालयों और राज्यों की आवश्यकता को देखते हुए ही आईएएस अफसरों के लिए निर्धारित संख्या को स्थिर बनाए रखने का फैसला किया है.
उन्होंने कहा, ‘भर्तियों में अचानक वृद्धि से अधिकारियों की बंचिंग (एक ही बैच के बहुत सारे अधिकारी) भी हो सकती है.’
सिविल सेवाओं में कुल भर्तियों की संख्या में गिरावट पर बात करते हुए उन्होंने कहा, ‘ऐसा लगता है कि सरकार ने कुछ विश्लेषण और कैडर समीक्षाएं की है जिसके बाद ये निर्णय लिए गए हैं.’
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भर्तियों की गिरती हुई संख्या
साल 2014 के बाद से हर साल यूपीएससी के माध्यम से भारतीय सिविल सेवाओं – आईएएस, आईएफएस, आईपीएस और अन्य केंद्रीय सेवाओं – में की गई कुल भर्तियों पर एक करीबी नजर डालें तो पता चलता है कि इस संख्या में लगातार गिरावट आई है.
सिविल सेवा परीक्षा 2013 के रिजल्ट के अनुसार, कुल 1,228 उम्मीदवारों को चुना गया था. इसमें 180 आईएएस, 32 आईएफएस, 150 आईपीएस और 710 केंद्रीय सेवाओं (ग्रुप ए) के लिए चुने गए अधिकारी शामिल थे.
यूपीएससी 2021 में, कुल भर्तियों की संख्या घटकर 749 उम्मीदवारों पर आ गई है. आईएएस अधिकारियों के मामले में भर्तियों की संख्या 180 पर अपरिवर्तित रही है, जबकि 37 आईएफएस और 200 आईपीएस अधिकारियों को शामिल किया गया था.
केंद्रीय सेवाओं (ग्रुप ए) श्रेणी की भर्ती में भी लगातार गिरावट देखी गई है और यह 2013 में 710 से घटकर 2021 में 242 रह गई है. अलबत्ता, सरकार ने 2020 में आईपीएस अधिकारियों की भर्ती को बढ़ाकर 200 कर दिया, जो 2019 में 150 थी.
केंद्र सरकार में विभिन्न पदों पर काम कर चुके एक अन्य सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी ने कहा: ‘केंद्रीय सेवाओं में कुल भर्तियों की संख्या कम हो रही है. यह शायद इसलिए है कि सरकार व्यवस्था के पुनर्गठन की कोशिश कर रही है. पहले, हमें (प्रति वर्ष) 1,000 से अधिक सिविल सेवा अधिकारी मिलते थे, लेकिन तब सरकार को उनकी तैनाती (पोस्टिंग) करने में तकनीकी समस्याओं का सामना करना पड़ता था.’
उन्होंने आगे कहा, ‘यह सभी सिविल सेवा अधिकारियों को सामने लाने और उन्हें महत्वपूर्ण मंत्रालयों और विभागों में तैनात करने का एक अच्छा तरीका है. भर्तियों की संख्या में अचानक वृद्धि से राज्य सरकारों को क्षमता की कमी का सामना करना पड़ सकता है. सरकार को भर्ती किये गए अधिकारीयों के करियर की राह तय करने की भी जरूरत होती है.’
इस बीच, एक नए दृष्टिकोण के तहत केंद्र सरकार केंद्रीय सेवाओं (ग्रुप ए) के अधिकारियों में फेरबदल कर रही है और उन्हें पारंपरिक रूप से आईएएस अधिकारियों के पदों पर नियुक्त कर रही है. उदाहरण के लिए, पिछले सप्ताह में, 25 मई के बाद से, डीओपीटी ने कम-से-कम 13 तैनाती या सेवा विस्तार के आदेश जारी किए हैं, जिनमे से चार आईएएस अधिकारियों के लिए हैं, जबकि बाकी अन्य केंद्रीय सेवा अधिकारियों के लिए हैं.
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