कोच्ची, 31 मई (भाषा) केरल उच्च न्यायालय ने मंगलवार को माता-पिता द्वारा अलग की गईं दो समलैंगिक युवतियों को एक-दूसरे के साथ रहने की अनुमति दी। समलैंगिक युगल के रिश्ते को माता-पिता ने मंजूर नहीं किया था।
एक समलैंगिक महिला ने अदालत में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर करके पुलिस को यह निर्देश देने की मांग की थी कि वह कोझीकोड निवासी उसकी सहेली को अदालत के समक्ष पेश करे। इस मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने समलैंगिक युगल को साथ रहने की अनुमति दी।
याचिका में महिला ने कहा था कि उसकी सहेली को उसके माता-पिता कथित तौर पर जबरन उसके घर से उठा ले गये। याचिका में आरोप लगाया है कि उसकी सहेली को उसके माता-पिता ने कथित तौर पर कैद करके रखा है।
अदालत ने शुरू में पुलिस से कोझिकोड निवासी महिला को अदालत के समक्ष पेश करने के लिए कहा। जब कोझीकोड निवासी महिला पीठ के समक्ष उपस्थित हुई, तो उसने कहा कि वह अपनी याचिकाकर्ता सहेली के साथ रहना चाहती है।
दोनों युवतियों के वयस्क होने और उनकी साथ रहने की इच्छा के मद्देनजर अदालत ने उनकी याचिका को मंजूरी दे दी। मूल रूप से एर्नाकुलम निवासी याचिकाकर्ता महिला ने अपनी सहपाठी के साथ समलैंगिक संबंधों, दोनों के परिवारों के विरोध और सहेली को कथित तौर पर उसके परिवार द्वारा जबरन उठा लिए जाने की घटना पर ध्यान आकर्षित करने के लिए शुरुआत में सोशल मीडिया का सहारा लिया था।
उसने सोशल मीडिया पर अपने वीडियो पोस्ट में आरोप लगाया था कि न केवल उसकी सहेली का परिवार उसे जबरदस्ती उठा ले गया, बल्कि पुलिस ने भी उसे वापस लाने के लिए कुछ नहीं किया।
हालांकि, पुलिस ने दावा किया था कि उसने शुरू से ही इस मामले में हस्तक्षेप किया था और दूसरी युवती(कोझीकोड निवासी) ने लिखित में दिया था कि वह स्वेच्छा से अपने माता-पिता के साथ जा रही है।
इस वीडियो पोस्ट के मुताबिक दोनों महिलाएं एक-दूसरे से सऊदी अरब में तब मिलीं, जब वे कक्षा 11वीं में पढ़ रही थीं। पोस्ट के अनुसार कक्षा 12वीं में पहुंचने पर दोनों महिलाओं को एहसास हुआ कि वे समलैंगिक हैं और दोनों एक-दूसरे से प्यार करती हैं।
इसमें कहा गया है कि भारत वापस आने पर भी दोनों ने अपने संबंधों को जारी रखा, लेकिन जब दोनों के परिवार को इसकी जानकारी हुई तो वे इस रिश्ते को तोड़ने पर अड़ गए।
भाषा संतोष अमित
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