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Wednesday, 20 November, 2024
होमशासनघटकर इतनी रह गयी है भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ

घटकर इतनी रह गयी है भारतीय वायुसेना की स्क्वाड्रन स्ट्रेंथ

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भारतीय वायु सेना की अधिकृत ताकत 42 स्कॉड्रन की है जो इसके पास कभी भी नहीं रही. नब्बे के दशक में ये संख्या 39.5 तक  पहुंची थी.

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन ने मंगलवार को कहा था कि भारतीय वायु सेना में लड़ाकू विमान के कुल स्कॉड्रन की संख्या यूपीए के कार्यकाल में 2014 में घट कर 33 पर पहुंच गयी थी .

चार साल से जबसे एनडीए सरकार सत्ता में आई है, भारतीय वायु सेना ने न केवल अपने लड़ाकू विमानों का एक भी स्कॉड्रन नहीं जोड़ा है पर अब “ये संख्या 32 है,” ऐसा रक्षा मंत्री का कहना है.

भारतीय वायु सेना का लड़ाकू युनिट एक स्कॉड्रन होता है.

वायु सेना की आधिकारिक क्षमता 42 स्काड़्रन की है पर वो कभी भी इस स्तर पर नहीं पहुंचा. 1990 में अपने अधिकतम स्तर 39.5 पर पहुंची थी


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माल सूची

दिप्रिंट ने भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों की सूची सूत्रों से बात कर पता की है. ये सूची विमान की किस्म के आधार पर बनाई गई है –सबसे पुराने से सबसे नये विमान तक. इसमें मालवाहक जहाज़, हेलीकॉप्टर और निगरानी विमान शामिल नहीं है.

मिग 21 ( तीन प्रकार के बाइसन, बिस और एम/एमएफ): 04+01+01

मिग 27 अपग्रेडेड: 02

जैगुआर :06 ( एक अपग्रेडेड शामिल)

मिराज 2000 :03 ( 2 अपग्रेडेड)

मिग 29: 03 MiG 29: 03

सुखोई 30 एमकेआई: 11

कुल 31

ये स्कॉड्रन्स की कुल संख्या है जो पूरी तरह से काम के लिए तैयार हैं और लड़ाई की स्थिति में इनका इस्तेमाल हो सकता है.

इसके अतिरिक्त सरकार के आदेश पर भारतीय वायु सेना ने तेजस लाईट कॉम्बेट एयरक्राफ्ट (एलसीए) का नया स्कॉड्रन तैयार किया है. पर इस युनिट के 9 स्वनिर्मित हवाई जहाज़ को लड़ाई के लिए पूरी तरह तैयार होने की हरी झंडी नहीं दी गई है.

भारतीय वायु सेना के पास टैक्टिक्स एंड कॉम्बेट डेवेलपमेंट एस्टेब्लिश्मेंट (टीएसीडीई) का एक स्कॉड्रन ग्वालियर बेस में तैयार है. इसमें हर तरह के लड़ाकू विमान हैं और लड़ाकू पायलट्स का प्रशिक्षण हो चुका है.

निर्मला सीतारमन ने वायु सेना में 32 स्कॉड्रन्स की बात कही थी पर दिप्रिंट कुल 31 की संख्या ही खोज पाया. हो सकता है कि सूची का अंतर इसलिए हो क्योंकि मंत्री ने या तो ग्वालियर या तेजस स्कॉड्रन को ही गिना हो, पर दोनों अभी भी पूरी तरह तैयार नहीं है.

स्कॉड्रन की ज़रूरतें

तो भारतीय वायु सेना कितने लड़ाकू विमान इस्तेमाल में लाती है ?

इस संख्या को सीधे तरीके से कह पाना मुश्किल है क्योंकि हर स्कॉड्रन के पास उतने लड़ाकू विमान नहीं हैं जितनी संख्या में उनके पास होने चाहिए.

भारतीय वायु सेना में हर लड़ाकू स्कॉड्रन में 18 पूरी तरह काम के लायक विमान और दो ट्रेनर होते हैं . कुछ स्कॉड्रन ऐसे भी हैं – खासकर पुराने मिग्स वाले- वे केवल 9 विमानों के साथ भी काम कर रहे हैं. ऐसे स्कॉड्रन भी है, जैसे जैगुआर जिसमें 22 विमान तक है.

सभी विमान चौबीसों धंटे सातों दिन तैयार नहीं रहते है. हर स्कॉड्रन में लगभग 35 प्रतिशत विमानों की मरम्मत हो रही होती है, या उन्हें रिफिट किया जा रहा होता है या उन्हें अपग्रेड करने का काम चल रहा होता है.

दिसंबर 2017 में प्रतिरक्षा मंत्री ने संसद को बताया था, “भारतीय वायु सेना के 10 स्कॉड्रन मिग 21 और मिग 27 से लैस है और 2024 कर उनका तकनीकी जीवन समाप्त हो जाएगा और उन्हें सेवानिवृत किया जाएगा. ”


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दिप्रिंट द्वारा इकट्ठा की गई सूची दिखाती है कि दो स्कॉड्रन अभी भी  मौजूद नहीं है.

भारतीय वायु सेना की भाषा में विमान की गैरमौजूदगी है, पर वो सेवानिवृत नहीं है. उनको नंबर प्लेट मिली हुई है यानि स्कॉड्रन है और उसमें पुन:जान फूंकी जाएगी जब नए लड़ाकू विमान मिलेंगे.

Read in English : This is what the Indian Air Force’s fighter squadron strength has been reduced to

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