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Friday, 22 November, 2024
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मुस्लिम संगठनों ने कहा, ‘इस्लाम में दखलअंदाजी बर्दाश्त नहीं’, UCC के खिलाफ प्रस्ताव पारित

29 मई को देवबंद में मुस्लिम संगठनों की एक बैठक के दौरान जमीयत उलमा-ए-हिंद ने विभाजनकारी राजनीति करने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा पर हमला किया और उसे भारत के संविधान की याद दिलाई.

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जमीयत उलमा-ए-हिंद ने 29 मई को एक समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करने के लिए कई राज्यों में भाजपा सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया और कहा कि यह ‘इस्लामी कायदे कानूनों में साफ तौर पर दखलंदाजी करता है’. उन्होंने ज्ञानवापी मस्जिद और शाही ईदगाह के खिलाफ अभियान चलाकर पुराने विवादों को फिर से खड़ा करने वाली ‘सांप्रदायिक ताकतों’ और उनका समर्थन करने वाली ‘नकारात्मक और विभाजनकारी राजनीति’ को बाहर करने का आह्वान किया.

उत्तर प्रदेश के देवबंद में मुस्लिम निकायों की सभा के दूसरे दिन जिस प्रस्ताव को जेयुएच ने पारित किया उसकी प्रति दिप्रिंट ने देखी है. उसमें लिखा है, ‘शादी, तलाक, खुला (जिसके जरिए एक महिला अपने पति को तलाक दे सकती है) विरासत आदि के नियम कानून किसी समाज, समुदाय, समूह या व्यक्ति के बनाए हुए नहीं हैं, बल्कि नमाज, रोजा, हज आदि की तरह ये हमारे मजहबी आदेशों का हिस्सा हैं, जो पवित्र कुरान और हदीसों से लिए गए हैं. इसलिए, उनमें किसी तरह का कोई बदलाव या किसी को उनका पालन करने से रोकना इस्लाम में स्पष्ट हस्तक्षेप और भारत के संविधान की धारा 25 में दी गई गारंटी के खिलाफ है.’

इसमें आगे कहा गया है ‘इसके बावजूद अनेक राज्यों में सत्ताधारी सरकारें पर्सनल लॉ को खत्म करने की मंशा से यूसीसी को लागू करने की बात कर रहे हैं और संविधान व पिछली सरकारों के वादों को दरकिनार कर देश के संविधान की सच्ची भावना की अनदेखी करना चाहते हैं. जेयुएच यह साफ करना चाहती है कि कोई भी मुसलमान इस्लामी कायदे कानूनों में किसी भी तरह के दखल-अंदाजी को स्वीकार नहीं करता है.’

जेयुएच के अरशद गुट के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने कहा, ‘हमारी लड़ाई किसी हिंदू के साथ नहीं है, बल्कि सरकार में बैठे उन लोगों के साथ है जो देश का बंटवारा करके नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.’

जेयुएच ने ज्ञानवापी मस्जिद और शाही ईदगाह के मुद्दों पर ‘प्राचीन धार्मिक स्थलों पर विवाद उठाकर देश की शांति को खराब करने की कोशिश करने वाली ताकतों और उनका समर्थन करने वाले राजनीतिक दलों के रवैये के प्रति’ गहरी नाराजगी और नापसंदगी जाहिर की.


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भारत के संविधान के खिलाफ

प्रस्ताव में कहा गया कि ज्ञानवापी मस्जिद और शाही ईदगाह के खिलाफ इस समय ऐसे अभियान जारी हैं, जो देश की अमन शांति और अखंडता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं.

प्रस्ताव में आगे कहा है, ‘इस तरह के विवाद उठाकर, वे (सरकार) सांप्रदायिक झड़पों और नकारात्मक राजनीति की संभावना तलाश रहे हैं. हालांकि यह स्पष्ट है कि पुराने विवादों को जीवित रखने और इतिहास की कथित गलतियों और ज्यादतियों को सुधारने के नाम पर चलाए जा रहे आंदोलनों से देश का कोई फायदा नहीं होगा. खेद है कि इस संबंध में निचली अदालतों के आदेशों से इस विभाजनकारी राजनीति को मदद मिली है और पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) एक्ट 1991 की स्पष्ट अवहेलना हुई है.’

मदनी ने कहा, ‘धर्म से ऊपर उठकर, हमें मानवता के इस्लामी संदेश को आगे बढ़ाने की जरूरत है और अगर हम ऐसा करते हैं, इंशाअल्लाह, स्थिति निश्चित रूप से बदल जाएगी. जो लोग आग में घी डालने की कोशिश कर रहे हैं, वे खुद उसमें जल जाएंगे.’

उन्होंने सुझाव दिया कि मुसलमानों को बहुसंख्यक समुदायों से मदरसे के कार्यों को समझने की अपील करनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हमें इस स्थिति से प्यार से निपटना होगा और उन्हें मदरसों व शिक्षा के सिद्धांतों के बारे में बताना होगा. अगर मुसलमान स्थिति को बिना समझे सड़कों पर उतरते हैं, तो वे भी सांप्रदायिक ताकतों को मजबूत ही करेंगे. हमारी लड़ाई किसी हिंदू से नहीं बल्कि उस सरकार से है जो धर्म के नाम पर लोगों को बांटकर देश को नुकसान पहुंचा रही है.’

बैठक में जेयुएच के महमूद गुट के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने मुस्लिम समुदाय को ‘पाकिस्तान जाने’ के लिए ताने मारने वालों पर कड़ा प्रहार किया. उन्होंने कहा, ‘यदि आपको हमारा मजहब बर्दाश्त नहीं है, तो कहीं और चले जाओ. आपको किसी को (पाकिस्तान में) भेजने की जरूरत नहीं है. वे छोटी-छोटी बातों पर ‘पाकिस्तान चले जाओ’ कहते हैं. भाई, हमको मौका मिला था पाकिस्तान जाने का, हमने इसे खारिज कर दिया. इसलिए, हम तो नहीं जाएंगे. बात-बात पर पाकिस्तान भेजने वाले ये लोग खुद पाकिस्तान चले जाएं.’

(इस लेख को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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