नयी दिल्ली, 26 मई (भाषा) अरबपति उद्योगपति गौतम अडाणी ने बृहस्पतिवार को कहा कि अंतरराष्ट्रीय गठबंधन स्वहित की रपटीली राहों पर बनते हैं, और भारत को सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। इसमें टीकाकरण से लेकर रक्षा और सेमीकंडक्टर जैसे क्षेत्र शामिल हैं।
उन्होंने स्विट्डरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक से वापस लौटकर यह बात कही।
अडाणी समूह के चेयरमैन ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट में लिखा कि महामारी के बाद जलवायु परिवर्तन, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधा, यूक्रेन युद्ध और बढ़ती मुद्रास्फीति ने एक साथ मिलकर दुनिया भर में दहशत और अनिश्चितता पैदा कर दी है।
उन्होंने ‘दावोस 2022 में विरोधाभास’ शीर्षक के साथ वर्तमान वैश्विक स्थिति पर लिखा, ‘‘वैश्विक हालात ने हमें वैश्विक सहयोग के दिखावे के पीछे छिपने की जगह व्यवस्था आधारित राजनीति (रियलपॉलिटिक) का सामना करने के लिए मजबूर किया है।’’
उन्होंने कहा कि सहानुभूति नहीं, बल्कि सहयोग नई विश्व व्यवस्था की कुंजी है। साथ ही उन्होंने जोड़ा कि दावोस में युद्ध से चिंतित नेता आत्मरक्षा और आत्मनिर्भरता पर ही जोर दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि भारत को सभी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता बढ़ाने की जरूरत है – चाहे वह टीकाकरण हो, रक्षा हो या सेमीकंडक्टर।
अडाणी ने कहा कि इस अनिश्चित समय में आत्मनिर्भरता पर जोर देना ही होगा, क्योंकि इसके विकल्प बहुत सीमित हैं।
उन्होंने कहा कि हम जैसे इस राह पर आगे बढ़ेंगे, कई बाधाएं भी आएंगी। कोई हमें सेमीकंडक्टर संयंत्र बनाने से रोकने की कोशिश करेगा, तो कई हमें रक्षा क्षेत्र में निवेश बढ़ाने से रोकेंगे।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर भी कई देशों के लिए कदम बढ़ाने के मुकाबले सिर्फ बातें करना आसान है।
अडाणी ने कहा कि महामारी, यूक्रेन युद्ध और जलवायु परिवर्तन पर कार्रवाई ने वैश्विक सहयोग की सीमा को उजागर किया है। उन्होंने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय गठबंधन और समझौते, स्वहित की रपटीली राहों पर बनते हैं।’’
उन्होंने जोड़ा कि एक सीधा सरल दुनिया की कल्पना करने की जगह उतार-चढ़ाव के लिए तैयार रहना चाहिए और उनसे सीखना चाहिए।
भाषा पाण्डेय अजय
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