नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) चीनी उद्योग के निकाय भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने बुधवार को कहा कि सरकार के सितंबर को समाप्त होने वाले विपणन वर्ष 2021-22 में चीनी निर्यात की सीमा एक करोड़ टन तक सीमित करने के निर्णय से कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसकी वजह यह है कि चीनी मिल मालिकों द्वारा लगभग 90-95 लाख टन चीनी का ही निर्यात किये जाने की संभावना है।
इस्मा के उपाध्यक्ष पलानी जी पेरियासामी ने कहा कि सरकार ने यह कदम ‘अत्यधिक सावधानी’ से उठाया है।
केंद्र ने चीनी की घरेलू उपलब्धता और कीमतों में स्थिरता बनाए रखने के लिए सितंबर में समाप्त होने वाले चालू विपणन वर्ष में चीनी निर्यात की सीमा एक करोड़ टन करने की अधिसूचना जारी की है। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा 24 मई की देर रात को अधिसूचना जारी की गई।
खाद्य मंत्रालय के तहत चीनी निदेशालय की विशेष अनुमति के साथ चीनी निर्यात की अनुमति इस वर्ष एक जून से 31 अक्टूबर तक या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, तक दी जाएगी।
पेरियासामी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘आमतौर पर, हम विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में लगभग 90-95 लाख टन चीनी निर्यात करने की योजना बना रहे थे। इसलिए उस परिप्रेक्ष्य में, चीनी निर्यात पर इस निर्धारित सीमा का कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं होगा। हमारे पास घरेलू बाजार में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति होगी।’’
उन्होंने मिल मालिकों की कीमत वसूली पर इस फैसले के किसी भी प्रतिकूल प्रभाव से इनकार किया।
पेरियासामी ने कहा कि इस फैसले से घरेलू आपूर्ति और कीमतों की स्थिति पर कोई असर नहीं पड़ेगा जो एक अच्छी स्थिति होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार के निर्णय का उद्देश्य वर्ष 2025 तक पेट्रोल के साथ एथनॉल का 20 प्रतिशत सम्मिश्रण का स्तर प्राप्त करना भी है।
इस्मा के उपाध्यक्ष ने कहा कि सरकार निर्यात नीति पर कुछ और इंतजार कर सकती थी।
अखिल भारतीय चीनी व्यापार संघ (एआईएसटीए) के अध्यक्ष प्रफुल्ल विठलानी ने चीनी निर्यात को सीमित करने के सरकार के कदम का स्वागत किया।
उन्होंने कहा, ‘‘यह एआईएसटीए की लंबे समय से मांग थी कि सत्र के अंत यानी सितंबर में 60 लाख टन का क्लोजिंग स्टॉक रखा जाए।’’
भाषा राजेश राजेश अजय
अजय
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.