नयी दिल्ली, 25 मई (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने खेल संहिता के उल्लंघन के कारण हॉकी इंडिया के रोजमर्रा के कार्यों के संचालन की जिम्मेदारी तीन सदस्यीय प्रशासकों की समिति (सीओए) को सौंपी दी।
उच्च न्यायालय का यह आदेश पूर्व भारतीय खिलाड़ी असलम शेर खान की याचिका पर आया है जिन्होंने भारतीय ओलंपिक संघ (आईओए) के अध्यक्ष नरिंदर बत्रा को हॉकी इंडिया का आजीवन सदस्य नियुक्त किए जाने को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि खेल संहिता के अंतर्गत हॉकी इंडिया का बत्रा को ‘आजीवन सदस्य’ और एलेना नोर्मन को सीईओ नियुक्त करना अवैध था।
अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) से संबंधित उच्चतम न्यायालय के मामले का संदर्भ लेते हुए उच्च न्यायालय ने उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश एआर दवे की अगुआई में प्रशासकों की समिति का गठन किया जिसके सदस्य पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान जफर इकबाल होंगे।
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘यह जनहित में होगा कि इसके (हॉकी इंडिया के) कामकाज का संचालन प्रशासकों की समिति (सीओए) को सौंप दिया जाए जैसा उच्चतम न्यायालय ने 18 मई 2022 को एक अन्य राष्ट्रीय खेल महासंघ अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ (एआईएफएफ) के मामले में निर्देश दिया था।’’
न्यायमूर्ति नजमी वजीरी और न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘प्रतिवादी नंबर दो (हॉकी इंडिया) का प्रशासनिक ढांचा, आजीवन अध्यक्ष और आजीवन सदस्यों के कारण गलत और अवैध ढंग से गठित है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ऐसे राष्ट्रीय खेल महासंघ को मान्यता नहीं दे सकती जिसका संविधान खेल संहिता के अंतर्गत नहीं हो। राष्ट्रीय खेल महासंघ में आजीवन अध्यक्ष, आजीवन सदस्य के पद अवैध हैं और साथ ही प्रबंधन समिति में सीईओ का पद भी। इन पद को हटाया जाता है। ’’
हॉकी इंडिया ने कहा कि हॉकी इंडिया के संविधान/‘मेमोरेंडम आफ एसोसिएशन’ से इस तरह के सभी संदर्भों को हटाया जाएगा।
भाषा सुधीर नमिता
नमिता
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.