लखनऊ, 25 मई (भाषा) उत्तर प्रदेश विधानसभा में बुधवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की एक टिप्पणी को लेकर सत्तापक्ष और समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हो गयी।
मौर्य ने राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान सपा और विपक्ष के नेता अखिलेश यादव का जिक्र करते हुए कहा कि सदन में अपने भाषण के दौरान यादव बतौर मुख्यमंत्री अपने कार्यकाल में किये गये कामों का ‘गुणगान’ कर रहे थे लेकिन, ऐसा होता तो जनता चुनाव में सपा का सूपड़ा साफ नहीं करती।
उन्होंने यादव द्वारा सरकार की विभिन्न योजनाओं की शुरुआत सपा की पिछली सरकार के कार्यकाल में होने के दावों की तरफ इशारा करते हुए कहा, ”नेता प्रतिपक्ष अपने पांच साल के कार्यकाल की उपलब्धियां गिनाते थकते नहीं हैं। यह आपको कौन सा रोग है? अगर कोई रोग है तो मैं कहूंगा कि आप जांच करा लीजिए। निवेदन करूंगा कि नेता प्रतिपक्ष जहां से भी चाहें, ठीक से इलाज करा लें। हर योजना पर समाजवादी पार्टी का स्टिकर चस्पां करने के इस रोग से अब मुक्त हो जाइए। आप पांच साल बाहर रह चुके हैं। अब पांच और साल के लिए फिर बाहर हो गए हैं। आने वाले 25 साल तक आपका नंबर लगने वाला नहीं है।”
अभिभाषण पर चर्चा के दौरान अखिलेश यादव के सम्बोधन के बाद अपनी बात कहने खड़े हुए उप मुख्यमंत्री ने यादव से मुखातिब होते हुए कहा, ”सड़क किसने बनाई है, एक्सप्रेस-वे किसने बनाया है, मेट्रो किसने बनाई है…. जैसे लगता है कि आपने अपनी सैफई की जमीन बेचकर यह सब बनवा दिया है।” गौरतलब है कि सैफई अखिलेश यादव का पुश्तैनी गांव है।
इससे नाराज नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव खड़े हो गए और मौर्य पर बेहद तल्ख टिप्पणी की। इसके बाद सपा के तमाम सदस्य अपनी सीटों पर खड़े होकर हंगामा करने लगे।
विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने हस्तक्षेप करते हुए शोर मचा रहे सभी सदस्यों से अपनी जगह पर बैठने को कहा।
इसी बीच, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, ”एक सम्मानित नेता के खिलाफ असभ्य शब्दों का उपयोग ठीक नहीं है। मैं नेता प्रतिपक्ष से बहुत विनम्रता से कहूंगा कि आपको इतना उत्तेजित नहीं होना चाहिए था। सवाल सैफई का नहीं है। हम जो विकास काम करा रहे हैं या आप की सरकार में जो विकास कार्य हुए होंगे, वह हमारा कर्तव्य था। सरकार तो सरकार होती है और हर सरकार को अपनी उपलब्धियां बताने का अधिकार है।”
उन्होंने कहा, ”सहमति और असहमति लोकतंत्र की ताकत है लेकिन उपमुख्यमंत्री अगर अपनी बात रख रहे हैं तो हमें शालीनता से सुनना चाहिए। बहुत सारी बातें नेता प्रतिपक्ष की भी गलत हो सकती थी लेकिन हमने सुना। हमें जो स्वीकार करना होगा उसे करेंगे और उसका जवाब भी देंगे लेकिन बीच में इस तरह की उत्तेजना दिखाना उचित नहीं है।”
आदित्यनाथ ने कहा, ”हम सदन में अपनी बात कह सकते हैं लेकिन तू—तू मैं—मैं नहीं होना चाहिए। किसी भी तरह की असभ्य भाषा का उपयोग नहीं होना चाहिए। मैं अध्यक्ष से अनुरोध करूंगा कि अगर इस प्रकार की शब्दावली सदन की कार्यवाही का हिस्सा बन रही है तो उसे हटवा दें, क्योंकि यह गलत परंपरा होगी और देश में इसका गलत संदेश जाएगा।”
भाषा सलीम अर्पणा
अर्पणा
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