नई दिल्ली: एंथोनी अल्बनीज मौजूदा प्रधान मंत्री स्कॉट मॉरिसन को हराकर शनिवार को ऑस्ट्रेलिया के नए प्रधान मंत्री चुने गए. इसके साथ ही उनकी लेबर पार्टी को लगभग एक दशक में पहली बार जीत मिली है.
59 वर्षीय अल्बनीज ऐसे समय में पदभार ग्रहण करेंगे जब मुद्रास्फीति और रहन-सहन की लागत बढ़ रही है, कैनबरा और बीजिंग के बीच के संबंध काफी हद तक खराब हो गए हैं और ‘भारत-ऑस्ट्रेलिया आर्थिक सहयोग व्यापार समझौते’ (इकनोमिक कोऑपरेशन एंड ट्रेड एग्रीमेंट-ईसीटीए) सहित प्रमुख मुक्त-व्यापार समझौतों को अंतिम रूप दिया जाना बाकी है.
अपने विजय भाषण में, अल्बनीज ने ऑस्ट्रेलिया को एक ‘अक्षय ऊर्जा महाशक्ति’ बनाने, एक राष्ट्रीय ‘भ्रष्टाचार विरोधी आयोग’ की स्थापना करने और देश की सार्वभौमिक स्वास्थ्य प्रणाली (यूनिवर्सल हैल्थकेयर सिस्टम) को मजबूत करने की बात कही. उन्होंने कहा, ‘कल, हम एक साथ मिलकर एक बेहतर भविष्य के निर्माण का काम शुरू करेंगें. सभी आस्ट्रेलियाई लोगों के लिए बेहतर भविष्य.’
24 मई को टोक्यो में व्यक्तिगत रूप से अपने जापानी, भारतीय और अमेरिकी समकक्षों के साथ क्वाड शिखर सम्मेलन के दूसरे दौर में भाग लेने से पहले अल्बानी सोमवार, 23 मई, को शपथ लेंगे.
अपने पूरे करियर के दौरान राजनेता रहे अल्बनीज ने रविवार को चुनाव के बाद के कार्यक्रम के दौरान इस बैठक को ‘अब्सोल्युट प्रायोरिटी (सम्पूर्ण प्राथमिकता वाला)’ करार दिया था.
इस बीच ऑस्ट्रेलिया के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री को बधाई देते हुए, प्रधानमंत्री मोदी ने ट्विटर पर लिखा कि वह हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत और ऑस्ट्रेलिया की ‘साझा प्राथमिकताओं’ को मजबूत करने की दिशा में उनके साथ काम करने को तत्पर हैं. भारत और ऑस्ट्रेलिया को अभी ईसीटीए – एक मुक्त व्यापार समझौता, जिसके पहले चरण पर पिछले महीने निवर्तमान मॉरिसन सरकार द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे – की शर्तों को अंतिम रूप देना बाकी है.
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कौन हैं एंथोनी अल्बनीज?
मार्च 1963 में सिडनी शहर में जन्मे एंथोनी अल्बनीज़ का पालन-पोषण एक कामकाजी वर्ग वाली बस्ती में रहने वाली एक अकेली मां ने किया था. उन्होंने बहुत ही कम उम्र में राजनीति में प्रवेश किया और एक किशोर के रूप में लेबर पार्टी में शामिल हो गए थे. वे ऑस्ट्रेलिया की सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले राजनेताओं में से एक हैं.
स्कूल की पढाई खत्म करने के बाद, उन्होंने सिडनी यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र का अध्ययन करने से पहले थोड़े समय के लिए कॉमनवेल्थ बैंक के साथ काम किया था. इसके बाद उन्होंने लेबर पार्टी के न्यू साउथ वेल्स राज्य के वामपंथी गुट के साथ काम किया और बाद में न्यू साउथ वेल्स लेबर पार्टी के असिस्टैंट सेक्रेटरी (सहायक सचिव) बने.
उनकी पहली चुनावी जीत साल 1996 में हुई थी जब उन्होंने न्यू साउथ वेल्स में ग्रेंडलर की सीट जीती थी. उनके दोस्त और लेबर पार्टी में उनके साथी सदस्य एलेक्स बुकरिक द्वारा ‘द सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड’ में लिखित एक ऑप-एड (प्रति-सम्पादकीय) के अनुसार अल्बनीज की मां मैरीने ने उनके जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.
बुकारिक ने लिखा है, ‘एंथनी अल्बनीज़ को समझने के लिए पहले मैरीने के बारे में थोड़ा जानना आवश्यक है, जो अपने बेटे के जीवन में इतना शक्तिशाली प्रभाव रखती हैं. एंथनी और मैरीने के बीच का रिश्ता किसी अभिभावक और उनके बच्चे के बीच का उतना करीबी रिश्ता था जितना मैंने कभी भी देखा है.’ उन्होंने यह भी लिखा है कि मैरीने की ‘क्रोनिक रहूमटॉइड आर्थराइटिस’ नाम की बीमारी ने मां और बेटे के बीच के इस बंधन को गहरा कर दिया था.
अल्बानीज़ ने अपने विजय भाषण का उपयोग ऑस्ट्रेलिया में ‘वृद्ध लोगों की देखभाल के संकट’ (एज केयर क्राइसिस) को दुरुस्त करने की आवश्यकता पर जोर देने के लिए भी किया.
साल 2016 में, ‘अल्बनीज़: टेलिंग इट स्ट्रेट’ शीर्षक से लिखी गई अपनी जीवनी में इस राजनेता ने एक लंबे समय से चले आ रहे पारिवारिक रहस्य का खुलासा किया था – उनकी मां ने उन्हें विश्वास दिलाया था कि उनके पिता की मौत एक कार दुर्घटना में हुई थी. जब अल्बनीज 14 साल के थे, तब उनकी मां ने उन्हें बताया कि कैसे वह उनके पिता से विदेश में मिली थीं, दोनों में प्यार हो गया और वह गर्भवती हो गईं. लेकिन इसके बाद इस प्रेमी जोड़े ने अलग होने का फैसला किया क्योंकि उनके पिता पहले से ही इटली में अपने पैतृक शहर से किसी से सगाई कर चुके थे.
अल्बनीज ने अपनी जीवनी के विमोचन के बाद मीडिया को बताया, ‘मुझे लगता है कि 1963 में एक युवा कैथोलिक महिला के रूप में एक बच्चे के विवाह सम्बन्ध से परे पैदा होने से जुड़ा पूरा अपराधबोध एक बड़ी बात थी.’
साल 2002 में मैरीने की मृत्यु के बाद, अल्बनीज ने अपने पिता कार्लो का पता किया, और 2014 में उनकी मृत्यु तक उसके साथ संपर्क में रहे.
नवनिर्वाचित पीएम के लिए आगे का रास्ता
नए चुने गए प्रधानमंत्री अल्बनीज को अब चीन के साथ एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है, जो ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. कैनबरा द्वारा 2020 में कोविड -19 की उत्पत्ति के बारे में अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग किये जाने के बाद से द्विपक्षीय संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं. इसी की वजह से जिससे बीजिंग ने कोयला, बीफ और वाइन जैसे कुछ ऑस्ट्रेलियाई आयातों को रोकने का फैसल किया था.
इस महीने की शुरुआत में उनके और स्कॉट मॉरिसन के बीच टेलीविज़न पर हुई एक बहस में अल्बनीज ने चीन और सोलोमन द्वीप समूह के बीच हुए सुरक्षा समझौते को मॉरिसन के नेतृत्व वाली कंजर्वेटिव सरकार की ‘विदेश नीति की भारी विफलता’ कहा था.
अल्बनीज ने इस बहस के दौरान कहा, ‘कुछ ने लोगों ने टिप्पणी की है कि यह दूसरे विश्व युद्ध के बाद से सबसे बड़ी विफलता रही है.’ उन्होंने मजाक-मजाक में यह बात भी कही कि ‘पसिफ़िक स्टेप-अप’ – ऑस्ट्रेलियाई सरकार का एक कार्यक्रम जो इसके प्रशांत क्षेत्र के पड़ोसियों के साथ साझेदारी को प्रोत्साहित करता है – दरअसल एक ‘पसिफ़िक स्टफ-अप’ (पसिफ़िक गड़बड़झाले) की तरह है.
पिछले महीने, चीन ने इस द्वीपीय राष्ट्र के साथ अपनी तरह के पहले सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिससे कैनबरा में यह डर पैदा हो गया कि यह समझौता बीजिंग के लिए सोलोमन द्वीप समूह में एक सैन्य अड्डा स्थापित करने का रास्ता साफ़ कर सकता है.
अल्बनीज ने चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के बारे में कहा था, ‘…यह आगे की सोच रखने वाला है, यह अधिक आक्रामक है. इसका मतलब है कि ऑस्ट्रेलिया को निश्चित रूप से जवाब देना चाहिए.’
एंथोनी अल्बनीज ने जलवायु परिवर्तन पर और कड़ी कार्रवाई करने तथा कार्बन उत्सर्जन में कटौती के ऑस्ट्रेलिया के लक्ष्य पर दोगुनी मेहनत करने का भी वादा किया है.
रविवार को हुए एक कार्यक्रम के दौरान इस 59 वर्षीय नेता ने कहा, ‘नीतियों में कुछ बदलाव होंगे, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और इन मुद्दों पर दुनिया के साथ हमारे जुड़ाव के संबंध में.’
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