नई दिल्ली: कोविड महामारी के दौरान दुनियाभर में अरबपतियों की संख्या में अप्रत्याशित तौर पर वृद्धि देखने को मिली है वहीं इस बीच लाखों लोग गरीबी के गर्त में भी गए हैं.
स्विट्डरलैंड के दावोस में वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (डब्ल्यूईएफ) की वार्षिक बैठक के मौके पर ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कोरोना महामारी के समय दुनियाभर में हर 30 घंटे में एक नया अरबपति बना है. वहीं संभावना जताई कि इसी रफ्तार में 2022 में 10 लाख लोग गरीबी की गर्त में जा सकते हैं.
ऑक्सफैम ने ‘प्रॉफिटिंग फ्रॉम पैन ‘ यानि की ‘पीड़ा से लाभ’ शीर्षक से सोमवार को रिपोर्ट जारी की. इसमें बताया गया है कि महामारी के दौरान 573 नए अरबपति बने हैं यानि कि हर 30 घंटे में एक नया व्यक्ति अरबपति बना है.
रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है कि इस साल 263 मिलियन लोग गरीबी की गर्त में जा सकते हैं और ये रफ्तार हर 33 घंटे में 10 लाख लोगों के गरीबी में जाने की होगी.
रिपोर्ट के अनुसार कोविड-19 के शुरुआती 24 महीनों में अरबपतियों की जितनी आमदनी बढ़ी है वो बीते 23 सालों के मुकाबले ज्यादा है. दुनिया के अरबपतियों की कुल संपत्ति अब वैश्विक जीडीपी के 13.9 प्रतिशत के बराबर है. यह 2000 के 4.4 प्रतिशत से तीन गुना ज्यादा है.
ऑक्सफैम ने फॉर्ब्स की अरबपतियों की सूची और विश्व बैंक के डेटा के आधार पर ये रिपोर्ट तैयार की है.
For every one billionaire minted since the pandemic began, 1M more people could be pushed into extreme poverty in 2022. While the world is reeling from multiple crises, the world’s wealthiest are unashamedly #ProfitingFromPain of ordinary people??Morehttps://t.co/47FyVW5b0U pic.twitter.com/rRlKAFv1Nj
— Oxfam International (@Oxfam) May 23, 2022
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‘जश्न मनाने दावोस आ रहे हैं अरबपति’
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की बैठक बीते दो साल से डिजिटल तरीके से हो रही थी. कोविड महामारी के बाद पहली बार इस साल दावोस में ये बैठक हो रही है.
ऑक्सफैम इंटरनेशनल की कार्यकारी निदेशक गैब्रिएला बुचर ने रिपोर्ट में कहा, ‘तकदीर के अविश्वसनीय रूप से बदलने का जश्न मनाने के लिए दुनियाभर के अरबपति दावोस आ रहे हैं. पहले महामारी और अब खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की कीमतों में बढ़ोतरी उनके लिए वरदान साबित हो रही है.’
बुचर ने कहा, ‘अरबपतियों की तकदीर इसलिए नहीं बढ़ रही कि वो बहुत स्मार्ट और मेहनतकश हैं.’
उन्होंने कहा, ‘कम वेतन और बदतर परिस्थितियों में श्रमिक अधिक मेहनत कर रहे हैं. सुपर-रिच ने दशकों तक व्यवस्था में धांधली की है और वे अब इसका लाभ उठा रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि पूर्वी अफ्रीका में हर मिनट एक व्यक्ति की भूख से मौत होती है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि श्रीलंका से लेकर सूडान तक, रिकॉर्ड-उच्च वैश्विक खाद्य कीमतें सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल का कारण बन रही हैं. कम आय वाले 60 प्रतिशत देश कर्ज संकट के कगार पर हैं. जबकि मुद्रास्फीति हर जगह बढ़ रही है, मूल्य वृद्धि विशेष रूप से कम वेतन वाले श्रमिकों के लिए विनाशकारी है. अमीर देशों की तुलना में गरीब देशों के लोग अपनी आय का दोगुना से अधिक भोजन पर खर्च करते हैं.
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महामारी के दौरान फार्मा से जुड़े 40 नए अरबपति बने
ऑक्सफैम की रिपोर्ट के अनुसार कोविड महामारी के दौरान फार्मा से जुड़े 40 नए अरबपति बने हैं. मॉडर्ना और फाइजर जैसे फार्मास्युटिकल कॉरपोरेशन कोविड-19 वैक्सीन पर एकाधिकार से हर सेकंड 1,000 डॉलर का लाभ कमा रहे हैं. वे सरकार से जेनेरिक उत्पादन की संभावित लागत से 24 गुना अधिक शुल्क ले रहे हैं. कम आय वाले देशों में 87 प्रतिशत लोगों को अभी भी पूरी तरह से टीका नहीं लग पाया है.
बुचर ने कहा, ‘ज्यादा अमीर और शक्तिशाली लोग दर्द और पीड़ा से लाभ कमा रहे हैं. कुछ लोग अरबों लोगों को टीकों तक पहुंच से वंचित करके अमीर हो गए हैं, वहीं अन्य बढ़ते भोजन और ऊर्जा की कीमतों का फायदा उठाकर. बढ़ती दौलत और बढ़ती गरीबी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं और इस बात का सबूत है कि हमारी आर्थिक व्यवस्था ठीक उसी तरह काम कर रही है जिस तरह से अमीर और शक्तिशाली लोगों ने इसे डिजाइन किया था.’
गौरतलब है कि दुनिया के 10 सबसे धनी व्यक्तियों के पास 3.1 बिलियन लोगों यानि की 40 प्रतिशत आबादी से ज्यादा धन है. वहीं शीर्ष 20 अरबपतियों के पास पूरे उप-सहारा अफ्रीका की जीडीपी से ज्यादा संपत्ति है. और हाशिए के 50 प्रतिशत मजदूर जितना 112 साल में कमाएंगे उतना शीर्ष के 1 प्रतिशत लोग सिर्फ एक साल में कमाते हैं.
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ऑक्सफैम के सुझाव
ऑक्सफैम ने अपनी रिपोर्ट में दुनियाभर की सरकारों को कुछ सुझाव भी दिए हैं. जिसमें पहला यह है कि बढ़ती कीमतों का सामना करने वाले लोगों का समर्थन करने के लिए अरबपतियों पर एकमुश्त ‘एकजुटता कर’ लगाया जाए.
वहीं बड़े निगमों के अप्रत्याशित मुनाफे पर 90 प्रतिशत का ‘अस्थायी अतिरिक्त लाभ कर’ शुरू करके संकट से मुनाफाखोरी को खत्म करने का समय आ गया है.
ऑक्सफैम ने कहा कि करोड़पतियों पर सालाना दो प्रतिशत और अरबपतियों के लिए पांच प्रतिशत संपत्ति कर लगाने से हर साल 2.52 ट्रिलियन डॉलर जुटाए जा सकते हैं. इन पैसों से 2.3 अरब लोगों को गरीबी से बाहर निकालने, दुनिया के लिए पर्याप्त टीके बनाने और गरीब देशों में लोगों के लिए सार्वभौमिक स्वास्थ्य देखभाल के लिए भुगतान करने में मदद मिलेगी.
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