नई दिल्ली: राष्ट्रीय परिवार और स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) के पांचवे दौर से जाहिर हुआ है कि कम से कम 14.7 फीसदी जैन पुरुष और 4.3 फीसदी जैन महिलाएं मछली, चिकेन और मांस का सेवन करती हैं.
दुनिया के सबसे प्राचीन धर्मों में एक, जैन धर्म की मान्यता है कि मांस खाना एक तरह की हिंसा है, इलिए जैन लोग पक्के शकाहारी के तौर पर जाने जाते हैं, यहां तक कि वे प्याज, लहसुन और दूसरी गांठ सब्जियां भी नहीं खाते.
ताजा सर्वेक्षण के मुताबिक, एनएफएचएस-4 (2015-16) के मुकाबले जैन पुरुषों में मछली, चिकेन और मांस का सेवन 3.5 फीसदी से बढक़र 14.7 फीसदी हो गया है, जबकि जैन महिलाओं के मामले में यह 8.6 फीसदी से घटकर 4.3 फीसदी हो गया है.
केंद्र सरकार द्वारा एनएफएचएस व्यापक और कई स्तरों का सर्वेक्षण है, जिसे देश भर के परिवारों का प्रतिनिधित्व करने वाले नमूनों के आधार पर किया जाता है. ताजा सर्वेक्षण 2019 और 2021 के बीच किया गया और इससे देश में सामाजिक-आर्थिक सच्चाइयों, स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति का अनुमान लगता है. इसमें इन सभी विषयों पर जिला स्तर पर जानकारियां जुटाई जाती हैं.
एनएफएचएस-5 में 28 राज्यों और 8 केंद्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों में 6.37 लाख नमूना परिवारों से बातचीत की गई. इस दौरान 7,24,115 महिलाओं और 1,01,839 पुरुषों से प्रश्रपत्र के जरिए राय ली गई. योग्य आयुवर्ग व्यसक पुरुषों और महिलाओं के लिए 15-49 वर्ष है, जिसके भोजन संबंधी आंकड़े उपलब्ध हैं.
भारतीय लोगों के भोजन संबंधी आंकड़े यह भी बताते हैं कि अंडे का सेवन करीब 11 फीसदी जैन पुरुष और 6.7 फीसदी जैन महिलाएं करती हैं.
ये आंकड़े प्रशासनिक और राजनैतिक तौर-तरीकों के भी उलट तस्वीर पेश करते हैं. मसलन, लुधियाना प्रशासन ने जैन पर्व पर्युषण के दौरान अंडे और मांस की बिक्री पर रोक लगा दी. या मध्य प्रदेश की सरकार ने स्कूली बच्चों के मिड डे मिल में अंडे देने से मना कर दिया क्योंकि इससे जैन समुदाय की भावनाएं आहत होती है.
हालांकि जैनियों में मांसाहार अभी भी हिंदू आबादी के मुकाबले काफी कम है. आखिर 52.5 फीसदी हिंदू पुरुष और 40.7 फीसदी हिंदू महिलाएं मछली, चिकेन और मांस का सेवन करती हैं. यही नहीं, एनएफएचएस-5 के आंकड़ों के मुताबिक, इसके अलावा 54.5 फीसदी हिंदू पुरुष और 41.5 हिंदू महिलाएं के भोजन का हिस्सा अंडा होता है.
इसके अलावा, एनएफएचएस-5 इस मिथक को भी तोड़ता है कि भारत बड़े पैमाने पर शाकाहारियों का देश है. सर्वेक्षण के मुताबिक, 15-49 वर्ष आयुवर्ग के 83.4 फीसदी भारतीय पुरुष और 70.6 फीसदी भारतीय महिलाएं मांसाहार रोजाना, हफ्तावार या कभी-कभार करते हैं.
इससे एनएफएचएस-4 के मुकाबले भारतीय पुरुषों में मांसाहार में बढ़ोतरी के रुझान का पता चलता है. मांसाहार भारतीय पुरुषों में 78.4 फीसदी और भारतीय महिलाओं में 70 फीसदी है.
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