नई दिल्ली: रविवार को कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि, ‘अगर केंद्र राज्यों को और निधि या अनुदान नहीं देता है तो क्या राज्य पेट्रोल और डीजल पर वैट से मिलने वाले राजस्व को छोड़ने की स्थिति में होंगे? उन्होंने कहा कि राज्यों के लिए हालात ‘एक तरफ कुआं और एक ओर खाई’ के जैसे हैं.’
एक दिन पहले सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में आठ रुपये प्रति लीटर की कटौती और डीजल पर छह रुपये प्रति लीटर की कटौती की घोषणा की.
चिदंबरम ने कहा, ‘पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क घटाने की अधिसूचना अब आ गई है. वित्त मंत्री ने ‘उत्पाद शुल्क’ शब्द का इस्तेमाल किया था लेकिन कटौती दरअसल अतिरिक्त उत्पाद शुल्क में की गई है, जिसे राज्यों के साथ साझा नहीं किया जाता है. इसलिए मैंने कल जो कहा था, उसमें सुधार करते हुए अब मैं कहना चाहता हूं कि कटौती का पूरा बोझ केंद्र पर ही आएगा.’
उन्होंने कहा कि राज्यों को पेट्रोल तथा डीजल पर उत्पाद शुल्क का बहुत कम हिस्सा मिल रहा है. उन्हें पेट्रोल और डीजल पर जो राजस्व मिलता है वह वैट के जरिये मिलता है.
Hence, contrary to what I said yesterday, the entire burden of the reduction falls on the Centre. To that extent, I stand corrected
The states are getting very little by way of share of duties on Petrol and Diesel. Their revenue is from VAT on Petrol and Diesel
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 22, 2022
पी. चिदंबरम ने कहा, ‘ऐसे में जब तक केंद्र राज्यों को और निधि या अनुदान नहीं देगा, क्या तब तक वे राजस्व में कटौती कर पाएंगे.’
उन्होंने सिलसिलेवार कई ट्वीट कर कहा कि राज्यों के लिए तो स्थिति ‘एक तरफ कुआं और एक ओर खाई’ के जैसी है.
आगे उन्होंने कहा, ‘दो महीने में 10 रुपये प्रति लीटर बढ़ाएं और पेट्रोल पर 9.50 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल पर 7 रुपये प्रति लीटर की कटौती करें. यह अधिक लूटने और बाद में कम भुगतान करने के बराबर है!’
बोले ‘राज्यों से किया गया वित्त मंत्री का आह्वान व्यर्थ है. जब वह केंद्रीय उत्पाद शुल्क में एक रुपये की कटौती करती हैं, तो उस रुपये का 41 पैसा राज्यों का होता है इसका मतलब है कि केंद्र ने 59 पैसे और राज्यों ने 41 पैसे की कटौती की है. इसलिए उंगली मत उठाइए. ‘
राज्यों से किया गया वित्त मंत्री का आह्वान व्यर्थ है।जब वह केंद्रीय उत्पाद शुल्क में एक रुपये की कटौती करती हैं, तो उस रुपये का 41 पैसा राज्यों का होता है
इसका मतलब है कि केंद्र ने 59 पैसे और राज्यों ने 41 पैसे की कटौती की है।इसलिए उंगली मत उठाइए
— P. Chidambaram (@PChidambaram_IN) May 22, 2022
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