नयी दिल्ली, 20 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को मद्रास उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह तमिलनाडु के पूर्व मंत्री एवं अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नाद्रमुक) विधायक एस. पी. वेलुमणि के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार के एक मामले में की गई प्रारंभिक जांच की रिपोर्ट की एक प्रति उन्हें प्रदान करे।
प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा, ”हमारी राय में, उच्च न्यायालय ने मामले को तार्किक निष्कर्ष पर नहीं ले जाने में एक त्रुटि की है। इसके समक्ष पेश सामग्री पर विचार किए बिना और केवल राज्य के वकील द्वारा दी गई दलीलों पर भरोसा करते हुए उच्च न्यायालय ने व्यापक टिप्पणियां की हैं जो अपीलकर्ता के प्रतिकूल हैं।”
पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने ही प्रारंभिक जांच करने और विशेष जांच अधिकारी द्वारा एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था।
पीठ ने कहा, ”हालांकि, जांच पूरी होने के बाद उच्च न्यायालय उक्त रिपोर्ट का अवलोकन करने में भी विफल रहा। यहां तक कि उच्च न्यायालय ने निर्णय को पूरी तरह से राज्य सरकार के हाथों में छोड़ दिया।”
शिकायतकर्ता आर एस भारती ने उच्च न्यायालय के समक्ष आरोप लगाया है कि वेलुमणि ने निविदा प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए एक मंत्री के रूप में अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया और यह सुनिश्चित किया कि नगर निगमों में उनके करीबी सहयोगियों को निविदाएं प्रदान की जाएं।
भारती ने 11 सितंबर, 2018 को सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक निदेशालय में शिकायत दर्ज कराई थी और मद्रास उच्च न्यायालय में एक याचिका भी दायर की थी।
भाषा शफीक देवेंद्र
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