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Monday, 25 November, 2024
होमदेशज्ञानवापी मामले में हिंदू देवी-देवताओं के वकील हरिशंकर जैन कहते हैं कि ‘सहिष्णुता अभिशाप है’

ज्ञानवापी मामले में हिंदू देवी-देवताओं के वकील हरिशंकर जैन कहते हैं कि ‘सहिष्णुता अभिशाप है’

वकील के मुताबिक, सहिष्णुता की एक सीमा है. कठोर रुख अपनाना अच्छा है. कट्टर रहकर ही हम अपने देश और समाज को बचा सकते हैं. दूसरे तो कट्टर हैं ही.

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मां शृंगार गौरी मामले के पीछे एक वकील हैं, जो कई मामलों में ‘अनेक देवी-देवताओं के हितैषी’ के रूप में पेश हो चुके हैं और उनका मानना है कि ‘सहिष्णुता अभिशाप है’ और ‘अड़े रहना अस्तित्व रक्षा का बुनियादी गुण है.’ हरिशंकर जैन उन पांच हिंदू महिला याचिकाकर्ताओं के मुख्य वकील हैं, जिन्होंने वाराणसी की दीवानी अदालत से अनुरोध किया है कि उन्हें इस आधार पर ‘बेरोकटोक दर्शन, पूजा-अर्चना….’ की अनुमति दी जाए, क्योंकि ज्ञानवापी मस्जिद की बाहरी दीवार पर मां शृंगार गौरी और दूसरी देवी-देवताओं के चित्र हैं.

इसी याचिका पर एक दीवानी अदालत ने मस्जिद परिसर के सर्वे का आदेश दिया. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद मामले में हिंदू महासभा के वकील रहे जैन हिंदू/जैन देवी-देवताओं से जुड़े पिछले 12 मामलों में वादी या वकील रहे हैं. उन्होंने 31 जुलाई 2017 को एक ट्वीट में लिखा, ‘कोई समाज अपने धर्म को सिर्फ कट्टर होकर बचा सकता है. सहिष्णुता अभिशाप और धर्म-विरोधी है. अड़े रहना अस्तित्व रक्षा के लिए बुनियादी मामला है.’

मंगलवार को जब एक स्थानीय अदालत ने मस्जिद के सर्वे के पैनल से एडवोकेट-कमिश्नर अजय कुमार मिश्रा को हटा दिया और सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने वाराणसी के लिजा मजिस्ट्रेट को सर्वे के दौरान कथित तौर पर शिवलिंग मिलने के दावे वाले स्थान की रक्षा करने का आदेश दिया तो ऐसी खबरें हैं कि जैन को दिल का दौरा पड़ गया.

हालांकि, दिप्रिंट से बातचीत में उन्होंने कहा कि वह ‘दमे का अटैक’ और ‘सिर्फ सांस की समस्या थी.’ ‘मुझे लगा कि कुछ लोगों ने मुझे श्राप दिया. भगवान चाहेंगे तो कल (बुधवार) को ठीक हो जाऊंगा.’

भगवान के नाम पर

जैन गर्व से स्वीकार करते हैं कि उन्होंने मां शृंगार गौरी सहित छह अलग-अलग याचिकाओं का मजमून तैयार किया, जो वाराणसी के जिला अदालत में दर्ज हुईं. उन्होंने पांच और याचिकाएं दाखिल की हैं जिनमें वे किसी हिंदू देवता के हितैषी होने का दावा करते हैं या पूजा-अर्चना करने की हिंदुओं के अधिकारों की मांग करते हैं. ऐसी ही एक याचिका में भगवान कृष्ण की ओर से मांग की गई है कि श्रीकृष्ण मंदिर परिसर से सअे शाही ईदगाह को हटाया जाए और 13.37 एकड़ भूमि देवता को सौंपी जाए्.

एक और याचिका जैन तीर्थंकर भगवान रिषभ देव और भगवान विष्णु की ओर से है. एक तीसरी याचिका इंदौर की कोर्ट से मांग की गई है कि मध्य प्रदेश के भोजशाला में सरस्वती मंदिर में पूरे साल पूजा करने के हिंदू अधिकार की अनुमति मिले और कमाल मौला मस्जिद में मुस्लिम समाज को नमाज पढ़ने की इजाजत को वापस लिया जाए.

ताजमहल की मिल्कियत पर सवाल खड़ा करने वाली और लखनऊ में तीले वाली मस्जिद की जगह कभी मंदिर होने का दावा करने वाली उनकी याचिकाओं स्थानीय अदालतों ने खारिज कर दिया. उनका दावा है कि ताजमहल भगवान अग्रेश्वर महादेव का स्मारक था.

वाराणसी जिला अदालत में मां शृंगार गौरी मामले के साथ पांच और याचिकाएं पांच हिंदू देवी-देवताओं की ओर से या उनकी पूजा-अर्चना के अधिकार की मांग के लिए दाखिल की गई हैं. उनमें भगवान विश्वेश्वर का मामला भी हैं, जिसमें विवादित काशी-विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर की पूरी जमीन उनके लिए मांगी गई है. चार दूसरी याचिकाओं में भगवान गणेश, लाट भैरव की उपासना करने और विश्वेश्वर की पूजा का अधिकार नंदी को देने की मांग की गई है. यहां तक ‘मां गंगा’ की ओर से भी एक याचिका है, जिसमें उनके उस अधिकार की मांग की गई है कि ‘उनका जल भगवान विश्वेश्वर का चढ़ाया जाए.’

उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘मैंने इन सभी याचिकाओं को तैयार किया, सबको दाखिल किया और उनकी वकालत कर रहा हूं.’
हिंदू राष्ट्र की स्थापना

जैन दक्षिणपंथी गुट भगवा रक्षा वाहिनी के भी मुख्य संरक्षक हैं. सात साल पहले इसका गठन ‘हिंदुओं की रक्षा’ के लिए किया गया था. वे हिंद साम्राज्य पार्टी (एचएसपी) के भी राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. एचएसपी का गठन अगस्त 2021 में ‘हिंदू राष्ट्र’ की स्थापना के लिए किया गया.

एचएसपी के गठन के वक्त ऐलान किया गया कि पार्टी कार्यकर्ता ‘चुनाव लड़ेंगे.’ लेकिन इस साल 29 जनवरी को जारी बयान में कहा गया कि ‘जनसंख्या नियंत्रण, गोरक्षा, और सार्वजनिक स्थलों पर बनाए गए अवैध धार्मिक ढांचों को बिना भेदभाव के गिराए जाने की दरकार है’ और इस मकसद के लिए भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को मौका दिया जाना चाहिए. यह भी जिक्र किया गया कि उपासना स्थल कानून और वक्फ कानून में भी बदलाव की दरकार है.

पहले बीजेपी से सम्मानित किए जा चुके जैन ने कहा, ‘पार्टी का उद्देश्य देश में हिंदू राष्ट्र की स्थापना है. हम चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन उसका फायदा समाजवादी पार्टी (एसपी) को मिलता. हम नहीं चाहते कि हिंदू वोट बंटे, इसलिए योगी जी (उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री) का समर्थन किया. चाहे बीजेपी सत्ता में बनी रहे या फिर सत्ता मेरे हाथ में आए, किसी तीसरे के हाथ नहीं.’

जनवरी 2014 में बीजेपी के मानवाधिकार प्रकोष्ठ ने वकील रंजना अग्रिहोत्री के साथ जैन को सम्मानित किया था. यह सम्मान उन्हें एसपी सरकार के 14 मामलों के आतंक के आरोपियों को रिहा करने के खिलाफ मामले में उनकी भूमिकाओं के लिए मिला.

जैन और अग्रिहोत्री ने तत्कालीन अखिलेश यादव सरकार के यूपी और बंगाल में आतंक के 19 आरोपियों के मुकदमे वापस लेने के फैसले के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘मैंने वह मुकदमा (तत्कालीन) एसपी सरकार के खिलाफ लड़ा था क्योंकि उसने आतंक के सभी आरोपियों के मुकदमे सिर्फ इसलिए वापस लेने का फैसला किया था कि वे मुसलमान हैं. इसलिए बीजेपी और अमित शाह ने मेरा सम्मान किया.’

उत्तर प्रदेश बीजेपी के प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी ने दिप्रिंट को बताया कि हरिशंकर जैन का बीजेपी से सीधा संबंध नहीं है लेकिन वे एक ही विचारधारा के हैं. उन्होंने कहा, ‘उनका (जैर और समान विचारधारा के लोगों का) बीजेपी से कोई सीधा संबंध नहीं है लेकिन पार्टी हमारी विरासत के संरक्षण में विश्वास करती है, जिसके लिए वे कानूनी रास्ता अपना रहे हैं. उनके पास कोई पद नहीं है लेकिन वे एक ही विचारधारा के हैं.’


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सर्वधर्म समभाव के विरुद्ध

जैन अपने ट्विटर पोस्ट का बचाव भी फौरन करते हैं. उनका दावा है कि वे अति सहिष्णुता और सर्वधर्म समभाव के विरोधी हैं. उन्होंने कहा, ‘सहिष्णुता की एक सीमा है. कठोर रुख अच्छी बात है. अपने धर्म के लिए कट्टर होना अच्छी चीज है, तभी आप देश बचा सकते हैं और अपनी कम्युनिटी बचा सकते हैं. दूसरे कट्टर हैं, लोहे से लोहा कटता है. मैं अपने धर्म को सर्वोच्च मानता हूं….’
वे समझौते या सह-अस्तित्व में विश्वास नहीं करते. उन्होंने कहा, ‘मैं सर्वधर्म समभाव में विश्वास नहीं करता. वैदिक सनातन धर्म ही इकलौता धर्म है, बाकी तो रिलिजन हैं. रिलिजन और धर्म दो अलग चीज है. धर्म की ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी अगल-सी व्याख्या दी गई है और उसका दायरा काफी बड़ा है.’

क्या वे मानते हैं कि ऐसी याचिकाओं से ध्रुवीकरण होता है? वे पूछते हैं, ‘जब हिंदू देखते हैं कि मूर्तियां तोड़ी गईं तो उनकी भावनाओं का क्या होगा?’ इसी के साथ वे काशी विश्वनाथ कॉरीडोर के निर्माण के दौरान मूर्तियों को उखाडऩे और दूसरी जगह ले जाने का भी बचाव करते हैं. ‘जगह बदलने की हिंदू कानून में अनुमति है लेकिन मूर्तियां तोड़ने की नहीं.’

दावे और प्रति दावे

जैन का फोकस फिलहाल मां शृंगार गौरी मामले पर है. पांच महिला याचिकाकर्ताओं ने मांग की है कि उन्हें बसगीत प्लॉट नंबर 9130 में स्थित पुराने मंदिर परिसर में मां शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और अन्य दृश्य तथा अदृश्य देवी-देवताओं के दर्शन, पूजा और सभी कर्मकांड करने का अधिकार है.

पांच महिला याचिकाकर्ताओं का समर्थन करने वाले वैदिक विश्व सनातन संघ के मुखिया विशेन ने 26 मार्च को ऐलान किया कि उन लोगों ने स्थल पर नियमित पूजा शुरू करने की व्यवस्था कर दी है.

उसी दिन फेसबुक पर डाले वीडियो में विशेन ने दावा किया कि चैत्र नवरात्र के चौथे दिन सनातनी परिसर में प्रार्थना कर सकते हैं.

उन्होंने वीडियो में कहा, ‘लेकिन हरिशंकर जैन के निर्देश के तहत हमने जिला न्यायालय में छह मुकदमे दायर किए और आज, प्रशासन ने तीन साल पुराना प्रतिबंध हटा लिया और सभी ‘सनातनी’ मां शृंगार गौरी की रोज पूजा कर सकते हैं. मैंने खुद दो बार प्रार्थना की है और आगामी नवरात्र 5 अप्रैल को मैं फिर वहां जा रहा हूं और स्थान पर पूजा शुरू कर रहा हूं. मैं हर किसी का हर रोज पूजा करने के लिए आह्वान करता हूं.’

हालांकि स्थानीय पुरोहितों ने इन दावों को झूठा बताया है. काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व पुजारी महंत कुलपति तिवारी ने दिप्रिंट को बताया, ‘‘यहां किसी पूजा की अनुमति नहीं है. ऐसा होता तो वे पांच महिलाओं को पूजा करने का अधिकार की मांग के लिए अदालत में क्यों जाते?’

केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के राज्य अध्यक्ष अजय शर्मा ने भी कहा कि विशेन ने फर्जी दावे किए और लोगों को गुमराह कर रहा है.
लेकिन जैन और उनके जैसे दूसरों के लिए कोई मध्यम मार्ग नहीं है.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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