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Friday, 22 November, 2024
होमदेशअगर बच्चा अनाथ न हो या छोड़ा न गया हो तो माता-पिता से उसे गोद लेना अपराध नहीं

अगर बच्चा अनाथ न हो या छोड़ा न गया हो तो माता-पिता से उसे गोद लेना अपराध नहीं

उच्च न्यायालय ने कहा, 'बच्चे को जन्म देने वाले या गोद लेने वाले माता-पिता या अभिभावक द्वारा बच्चे का त्याग करने की घोषणा नहीं की गई इसलिये, आरोपपत्र में कोई दम नहीं है.'

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बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा है कि अगर किसी बच्चे का माता-पिता के द्वारा परित्याग नहीं किया गया हो या उसे छोड़ा न गया हो अथवा वह अनाथ नहीं हो, तो ऐसे बच्चे को गोद लेना नाबालिग न्याय (बच्चों का संरक्षण और देखभाल) अधिनियम 2015 की धारा 80 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा.

न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौडर ने हाल में दिए एक आदेश में, चार लोगों के विरुद्ध एक मजिस्ट्रेट अदालत में चल रही कार्यवाही को रद्द कर दिया. उच्च न्यायालय ने कहा, ‘बच्चे को जन्म देने वाले या गोद लेने वाले माता-पिता या अभिभावक द्वारा बच्चे का त्याग करने की घोषणा नहीं की गई इसलिये, आरोपपत्र में कोई दम नहीं है.’

कोप्पल के निवासी महबूबसाब नबीसाब की पत्नी बानू बेगम ने 2018 में जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था और इनमें से एक बच्ची को दंपति ने जरीना बेगम और शाख्शवली अब्दुलसाब हुदैदमानी को (गोद लेने के लिए) दे दिया था. दोनों दंपतियों ने 20 रुपये के स्टाम्प पेपर पर गोद लेने की प्रक्रिया दर्ज कराई थी.

मजिस्ट्रेट ने इसका संज्ञान लेते हुए नाबालिग न्याय अधिनियम की धारा 80 के तहत उन्हें सम्मन भेजा था. मजिस्ट्रेट की कार्रवाई के विरुद्ध दंपति ने उच्च न्यायालय का रुख किया.

बेंगलुरु, 10 मई (भाषा) कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक मामले में फैसला सुनाया है कि माता-पिता से सीधे बच्चा गोद लेना, जहां बच्चे का परित्याग नहीं किया गया या उसे छोड़ा नहीं गया या वह अनाथ नहीं है, नाबालिग न्याय (बच्चों का संरक्षण और देखभाल) अधिनियम 2015 की धारा 80 के तहत अपराध नहीं माना जाएगा।

न्यायमूर्ति हेमंत चंदनगौडर ने हाल में दिए एक आदेश में, चार लोगों के विरुद्ध एक मजिस्ट्रेट अदालत में चल रही कार्यवाही को रद्द कर दिया। उच्च न्यायालय ने कहा, “बच्चे को जन्म देने वाले या गोद लेने वाले माता पिता या अभिभावक द्वारा बच्चे का त्याग करने की घोषणा नहीं की गई इसलिये, आरोपपत्र में कोई दम नहीं है।”

कोप्पल के निवासी महबूबसाब नबीसाब की पत्नी बानू बेगम ने 2018 में जुड़वां बच्चियों को जन्म दिया था और इनमें से एक बच्ची को दंपति ने जरीना बेगम और शाख्शवली अब्दुलसाब हुदैदमानी को (गोद लेने के लिए) दे दिया था। दोनों दंपतियों ने 20 रुपये के स्टाम्प पेपर पर गोद लेने की प्रक्रिया दर्ज कराई थी।

मजिस्ट्रेट ने इसका संज्ञान लेते हुए नाबालिग न्याय अधिनियम की धारा 80 के तहत उन्हें सम्मन भेजा था। मजिस्ट्रेट की कार्रवाई के विरुद्ध दंपति ने उच्च न्यायालय का रुख किया.


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