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Saturday, 5 October, 2024
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परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ जम्मू-कश्मीर के विपक्षी दलों ने संयुक्त संघर्ष की घोषणा की

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जम्मू, नौ मई (भाषा) कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस (नेकां) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) सहित अन्य विपक्षी दलों ने हाल ही में जम्मू-कश्मीर के लिए गठित परिसीमन आयोग की ओर से जारी की कई रिपोर्ट के खिलाफ सोमवार को संयुक्त संघर्ष आरंभ करने की घोषणा की।

यह घोषणा सर्व दलीय संयुक्त मोर्चा (ऑल पार्टीज यूनाइटेड मोर्चा) के बैनर तले इन दलों और विभिन्न सामाजिक संगठनों की तीन घंटे तक हुई लंबी बैठक के बाद की गई।

जम्मू-कश्मीर को लेकर मार्च 2020 में गठित तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग ने अपना कार्यकाल खत्म होने से एक दिन पहले पांच मई को हस्ताक्षरित अपने अंतिम आदेश में कश्मीर में विधानसभा सीटों की संख्या 47 जबकि जम्मू में 43 रखने की अनुशंसा की है। आयोग ने साथ ही जम्मू में छह जबकि कश्मीर में एक अतिरिक्त सीट का और राजौरी और पूंछ को अनंतनाग संसदीय क्षेत्र के अधीन करने का प्रस्ताव रखा है।

संयुक्त मोर्चा में कांग्रेस, नेकां, पीडीपी के अलावा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) सहित मिशन स्टेटहुड और देश भगत यादगार कमिटी जैसे सामाजिक संगठन शामिल हैं।

मोर्चे ने परिसीमन आयोग की रिपोर्ट को ‘‘बेहद आपत्तीजनक, एकपक्षीय और राजनीति से प्रेरित’’ बताते हुए खारिज कर दिया।

बैठक के बाद जारी एक बयान में कहा गया, ‘‘बैठक में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट के खिलाफ संयुक्त संघर्ष आरंभ करने और एक टिकाऊ अभियान का फैसला किया गया। साथ ही आम जनमानस के बीच जागरूकता अभियान चलाने और इसी सप्ताह यहां स्थित निर्वाचन आयोग के कार्यालय के बाहर धरने पर बैठने का भी निर्णय लिया गया।’’

वरिष्ठ कांग्रेस नेता और विधानपरिषद के पूर्व सदस्य (एमएलसी) रवींद्र शर्मा ने इस बैठक की अध्यक्षता की जबकि इसमें नेकां के जम्मू क्षेत्र के अध्यक्ष रत्तन लाल गुप्ता, पूर्व सांसद शेख अब्दुल रहमान, पूर्व एमएलसी वेद महाजन, पीडीपी के प्रवक्ता विरिंदर सिंह सोनू और माकपा नेता किशोर कुमार इसमें शामिल हुए।

बैठक में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराने से पूर्व राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग भी दोहराई गई।

बैठक में शामिल नेताओं और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने परिसीमन आयोग की रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि यह इस केंद्र शासित प्रदेश की भौगोलिक वस्तुस्थिति, समान जनसंख्या के नियमों, सघनता, संपर्क और जन सुविधाओं के खिलाफ है और इसे केंद्र की सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी के बिनाह पर तैयार किया गया है।

रिपोर्ट की आलोचना करते हुए नेताओं ने कहा कि आयोग ने जमीनी सच्चाइयों को पूरी तरह नजरअंदाज किया है और विभिन्न क्षेत्रों के लोगों की आंकाक्षाओं और सुविधाओं को उपेक्षा की है।

बयान में कहा गया, ‘‘बैठक के दौरान सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के प्रयासों पर चिंता जताई गई और भाजपा सरकार द्वारा प्रोत्साहित किए जा रहे ऐसे कार्यो की कड़ी निंदा की।’’

बयान में कहा गया कि बैठक में ऐसी ताकतों को परास्त करने और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने का भी फैसला भी हुआ।

जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के अनुसार, केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख पर सीधे केंद्र का शासन होगा। सरकार ने घोषणा की थी कि विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन पूरा होने के बाद विधानसभा चुनाव होगा।

भाषा ब्रजेन्द्र ब्रजेन्द्र नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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