यह नरेंद्र मोदी सहित भारत के सभी अगले और पिछले प्रधानमंत्रियों की सामग्रियों का संग्रह होगा, लेकिन जवाहर लाल नेहरू की नहीं।
नरेंद्र मोदी सरकार का दिल्ली के दिल में तीन मूर्ति संपत्ति पर प्रधानमंत्रियों का संग्रहालय बनाने का निर्णय नरेंद्र मोदी सहित भारत के सभी पिछले और साथ ही साथ अगले प्रधानमंत्रियों को समाहित करने के लिए डिजाइन किया गया है।
हालांकि, संग्रहालय में भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की वस्तुओं को संगृहीत करने की व्यवस्था नहीं होगी और यह उनके उत्तराधिकारी लाल बहादुर शास्त्री से प्रारंभ होगा।
तीन मूर्ति संपत्ति पर पहले से ही नेहरू का निवास स्थल है, जो एक स्मारक के साथ-साथ पुस्तकालय भी है। नए भवन का अलग से निर्माण किया जाएगा।
योजना
गुरूवार की शाम को नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय (एनएमएमएल) की वार्षिक आम बैठक में संघ के अपने ज्ञापन में कई संसोधन पारित होने की उम्मीद है, जो की संग्रालय के गठन मे मदद करेगा।
पिछले हफ़्ते, नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय के निदेशक शक्ति सिन्हा ने 1996-97 में लगभग 11 महीने प्रधानमंत्री रहे एच.डी. देवगौड़ा से मुलाकात की, जो की परियोजना के लिए साक्षात्कार में शामिल होने पर बहुत खुश थे।
निश्चित रूप से, भाजपा को उम्मीद है कि प्रधानमंत्रियों के संग्रहालय में देवगौड़ा की गैलरी जनता दल को अपनी ओर आकर्षित करने और कर्नाटक में इसे अपनी दिशा में मोड़ने में सहायक होगी।
अन्य प्रधानमंत्रियों के परिवारों के साथ की गई बातचीत आशाजनक नहीं रही है। उदाहरण के तौर पर देखा जाए तो पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के परिवार ने उनकी कोई भी निजी सामग्री देने से इंकार कर दिया है हालांकि उनकी बेटियों में से एक, दमन सिंह ने उनपर एक पुस्तक लिखी है।
डॉ. सिंह को भी अभी तक व्यक्तिगत रूप से संपर्क नहीं किया गया है।
ऐसा माना जाता है कि प्रधानमंत्री मोदी की सामग्री को एकत्र करने के प्रयास जारी हैं। कुछ संचरित्र लेखन (hagiographic) जानकारी प्राप्त हुई है जिसमें एक कॉमिक बुक शामिल हैं, इसमें बताया गया है कि कैसे बाल नरेन्द्र ने एक मगरमच्छ को पकड़ लिया था। आरएसएस के साथ मोदी के प्रारंभिक वर्षों, विशेष रूप से देश भर में उनकी यात्रा, से लेकर प्रधानमंत्री बनने तक के उनके सफर की एक झलक दिखाई देने की उम्मीद है।
माना जाता है कि प्रधान मंत्री ने पहले ही संस्कृति मंत्रालय, जिसके तहत एनएमएमएल (नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और पुस्तकालय) कार्य करता है, को आगाह करते हुए कहा है कि प्रधानमंत्री संग्रहालय को लाल बहादुर शास्त्री के बाद से सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों के साथ स्थान की साझेदारी करनी चाहिए न कि स्वयं तक ही सीमित रहना चाहिए।
पक्ष और विपक्ष
लेकिन एनएमएमएल कार्यकारी परिषद के कई सदस्यों, जैसे इतिहासकार नयनजोत लाहिरी, अंतर्राष्ट्रीय राजनयिक नीतीन देसाई, महासभा के सदस्य जयराम रमेश और आर्किटेक्ट ए.जी.के. मेमन इस भवन के निर्माण के विरोध में हैं और इनका मनाना है की यह “नेहरू की छवि को खराब करेगा”।
उसी कार्यकारी परिषद की बैठक में प्रो-भाजपा समूह ने तर्क दिया कि नेहरू की छवि को ख़राब नहीं किया जा सकता है, और उस तर्क से नेहरू प्लैनिटेरीयम 25 एकड़ भूमि पर नहीं बनाया जाना चाहिए था।
गुरुवार की बैठक, जो कि गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में हुई, व्यापक थी, लेकिन प्रो-कांग्रेस समूह के अल्पसंख्यक होने के कारण, संशोधन आसानी से पारित हो गाए।
सिन्हा ने दिप्रिंट को बताया कि नेहरू का पूर्व आवास, नेहरू मेमोरियल संग्रहालय नेहरू के जीवन को विशेष रूप से समर्पित रहेगा और नवीनीकरण के दौरान संकलित की जा रही नई चित्रशालाएँ (गैलरी), भारत के पहले प्रधानमंत्री के बारे में और अधिक जानकारी देगी।
सिन्हा ने प्रधानमंत्री संग्रहालय के पीछे की अवधारणा को समझाते हुए कहा, “भारत का लोकतांत्रिक परीक्षण विश्व में अनोख़ा है और हमें अवश्य इसका गुणगान करना चाहिए।”
संग्रहालय में प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति के बारे में पूछे जाने पर सिन्हा ने कहा, “वह वहाँ होंगे, लेकिन वह अकेले ही नहीं हैं। प्रधानमंत्री मोदी के साथ यहाँ और भी गैलरी हैं।
संस्कृति मंत्रालय ने परियोजना पर काम करने के लिए पहले ही तीन पैनल स्थापित कर दिए हैं।
Read in English : In his desire to snuff out Nehru’s legacy, Modi to launch his Museum of Prime Ministers