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Thursday, 21 November, 2024
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‘जन सुराज’ के लिए बिहार में 3000 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे प्रशांत किशोर, पार्टी बनाने की बताई शर्त

प्रशांत किशोर ने कहा कि वह 2 अक्टूबर से 3 हजार किलोमीटर की पैदल यात्रा शुरू करेंगे. करीब 17 हजार लोगों से मिलेंगे और ताकि जन सुराज लाया जा सके.

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नई दिल्लीः कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने की बात को मना करने के कुछ ही दिन बाद प्रशांत किशोर ने एक नई घोषणा की है. पटना में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि बिहार के विकास के लिए 2 अक्टूबर से लगभग 3 हजार किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे और जनसामान्य से घर-घर जाकर मुलाकात करेंगे. उन्होंने कहा कि ऐसे 17 हजार लोगों को चिह्नित किया गया है जो कि समाज के अलग-अलग वर्गों और पृष्ठभूमि से संबंध रखते हैं. उन्होंने कहा, ‘बिहार के हर उस व्यक्ति के पास हम जाएंगे जिनसे मिलना जरूरी है, जिनसे मिला जा सकता है, जो मिलने को तैयार हैं, उनके घर जाएंगे, उनके ऑफिस जाएंगे, उनकी कुंडी खटखटाएंगे, उनको इस जन सुराज की परिकल्पना से जोड़ने की कोशिश करेंगे.’

पार्टी बनाने की बताई शर्त

राजनीतिक पार्टी के गठन को लेकर प्रशांत किशोर ने फिलहाल पार्टी बनाने की घोषणा नहीं कि लेकिन इस बात से भी इनकार नहीं किया कि भविष्य में पार्टी नहीं बनाई जा सकती है. उन्होंने कहा कि लोगों से मुलाकात करने के बाद उनके सामने ‘जन सुराज’ की अवधारणा को रखा जाएगा और अगर लोगों की सहमति बनती है तो एक संगठन या पार्टी बनाई जा सकती है. हालांकि, उन्होंने कहा कि अभी ऐसा भी कोई आंकड़ा नहीं दिया जा सकता है कि कितने लोगों की सहमति के बाद पार्टी बनाई जा सकती है.

उन्होंने कहा कि मेरे जो कुछ भी मेरे पास है भगवान ने जो भी बुद्धि शक्ति मुझे दी है उसे मैं बिहार की बेहतरी के लिए समर्पित कर रहा हूं. कोई सवाल नहीं है किसी को बीच में छोड़ने का, कोई सवाल नहीं है कि बीच में कोई बाधा आए तो पीछे हटने का.


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लालू और नीतीश पर साधा निशाना

इस दौरान उन्होंने लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि दोनों ने एक लंबे समय तक शासन किया है लेकिन यह भी सच है कि तमाम विकास के पायदानों पर बिहार एक पिछड़ा राज्य बना हुआ है. उन्होंने कहा कि लालू के समर्थकों का मानना है कि उनके समय में सामाजिक न्याय हुआ और नीतीश के समर्थकों का मानना है कि उनके शासनकाल में न्याय के साथ विकास हुआ. दोनों के दावों में सच्चाई जरूर है लेकिन बिहार आज भी विकास के मामले में सबसे निचेल पायदान पर खड़ा है और देश का सबसे पिछड़ा राज्य बना हुआ है. उन्होंने कहा कि कहा कि बिहार को आगे बढ़ाने के लिए नई सोच ओर नए प्रयास की जरूरत है. अगर बिहार के सभी लोग मिलकर नई सोच को आगे नहीं बढ़ाएंगे तो प्रदेश आगे नहीं बढ़ सकता है.

‘पहले क्यों नहीं आया बिहार’

पिछली बार की घोषणा का स्पष्टीकरण देते हुए उन्होंने कहा कि आप लोगों में से कुछ लोगों के मन में हो सकता है कि ‘बात बिहार की’ घोषणा के बाद मैं पिछली बार बिहार नहीं आया लेकिन उस वक्त फरवरी 2020 में इसकी घोषणा के साथ ही दुर्भाग्यवश कोविड की वजह से देश में लॉकडाउन्स लग गए जिससे पूरा जीवन अस्त-व्यस्त रहा. उन्होंने यह भी कहा कि आप लोग यह कह सकते हैं कि उस वक्त अगर आप बंगाल में काम कर सकते हैं तो बिहार में क्यों नहीं तो वो इसलिए क्योंकि बंगाल में किसी बनी बनाई व्यवस्था के साथ काम करना था जबकि बिहार में एक नई व्यवस्था बनानी थी जिसमें दो साल- तीन साल-चार साल लगेंगे.

आगे उन्होंने यह भी कहा कि अभी बिहार में कोई चुनाव नहीं है तो अगर किसी के मन में आ रहा हो कि अभी कौन सा चुनाव लड़ेंगे तो ऐसी कोई परिकल्पना मेरे मन में नहीं है.


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ट्वीट्स के जरिए दिया था संदेश

2 मई को प्रशांत किशोर ने एक ट्वीट के जरिए सांकेतिक रूप से इस बात का संकेत दिया था कि वे सक्रिय राजनीति में आ सकते हैं और तभी से इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि एक राजनीतिक पार्टी के गठन का ऐलान कर सकते हैं. उन्होंने ट्वीट किया था, ‘लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति को आकार देने में मदद करने के लिए 10 साल तक उथल-पुथल से भरा रहा.

जैसे ही मैं पेज पलटता हूं तो पाता हूं कि यह समय वास्तविक मालिक ‘लोगों’ के पास जाने का समय है, ताकि मुद्दों और ‘जन-सुराज’ के रास्ते को बेहतर ढंग से समझा जा सके- पीपुल्स गुड गवर्नेंस’

कांग्रेस में शामिल होने से किया था इनकार

बता दें कि कुछ दिन पहले ही उन्होंने कांग्रेस पार्टी में शामिल होने से इनकार कर दिया था. ट्वीट कर उन्होंने इस बात की जानकारी दी थी. उन्होंने कहा था कि पार्टी को मुझसे ज्यादा एक लीडरशिप और सामूहिक इच्छा शक्ति जरूरत हैं जो कि रिफॉर्म के जरिए गहराई में छुपे हुए संरचनात्मक कमियों को दूर कर सके.

गुरुवार को भी उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि यह कांग्रेस को फैसला करने की जरूरत है कि वे कैसे काम करेंगे न कि मुझे. उन्हें जो महत्त्वपूर्ण लगा वो फैसला उन्होंने किया और जो मुझे ठीक लगा वो मैंने किया. कांग्रेस को किसी प्रशांत किशोर की ज़रूरत नहीं है. उन्हें पता है कि उन्हें क्या करना है.


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