नई दिल्ली: साल 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा द्वारा कर्नाटक में एक ‘बड़ी सर्जरी’ किये जाने की संभावना है और जैसा कि पार्टी के नेताओं ने दिप्रिंट को बताया है, राज्य सरकार में काफी सारे बदलाव भी लाये जाएंगे.
उनका कहना है कि हालांकि बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री के पद पर बने रहेंगे लेकिन उन्हें चुनाव से पहले और ‘अधिक मुखर और प्रभावी’ होने की सलाह दी गई है. सूत्रों ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूरोप से लौटने के बाद ही ये बदलाव किए जाने की संभावना है.
मुख्यमंत्री पद को लेकर चल रही अटकलों को विराम देते हुए कर्नाटक भाजपा अध्यक्ष नलिन कतील ने मंगलवार को मीडिया से कहा, ‘हम मुख्यमंत्री बोम्मई के नेतृत्व में और (पूर्व मुख्यमंत्री) येदियुरप्पा के मार्गदर्शन में ही एक टीम के रूप में एक साथ चुनाव में जा रहे हैं.’ उनकी इन्हीं भावनाओं को राज्य भाजपा प्रभारी अरुण सिंह के साथ-साथ येदियुरप्पा के बयानों में भी दुहराया गया.
कतील ने आरोप लगाते हुए कहा, ‘अगर कुछ लोग किसी अन्य भ्रम में हैं, तो उन्हें इससे बाहर आना चाहिए. यह (विपक्षी) कांग्रेस के द्वारा (नेतृत्व में) बदलाव के बारे में अफवाहें पैदा करने की एक सोची-समझी योजना है.’
भाजपा को 34 सदस्यीय कर्नाटक कैबिनेट में पांच खाली स्थानों को भरने के बारे में भी फैसला करना है, जिनमें से एक पिछले महीने कर्नाटक ग्रामीण विकास और पंचायत राज मंत्री के.एस. ईश्वरप्पा पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद खाली हुआ था.
भाजपा के एक केंद्रीय नेता ने कहा, ‘(अगले) कुछ दिनों में बदलाव होंगे’. इस नेता का कहना था, ‘वर्तमान सरकार में बदलाव के पैमाने पर विचार-विमर्श अभी तक पूरा नहीं हुआ है लेकिन यह अभी तक मुख्यमंत्री बदलने के बारे में नहीं है.’
पार्टी के एक दूसरे नेता ने कहा: ‘इस समय मुख्यमंत्री बदलने का तो कोई सवाल ही नहीं है जब चुनाव महज एक साल दूर हैं. मत भूलिए कि कर्नाटक न तो उत्तराखंड है और न ही गुजरात. बोम्मई प्रशासन के साथ कई सारी खामियां हैं और उन्हें प्रशासनिक मामलों में और अधिक मुखर और प्रभावी होने के लिए कहा गया है.’
भाजपा ने पिछले साल उत्तराखंड में और बाद में गुजरात में मुख्यमंत्री को बदला थी. जहां उत्तराखंड में इस साल की शुरुआत में मतदान हुआ था, वहीं गुजरात में 2022 के अंत में मतदान होगा.
पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने बताया कि इस समय कर्नाटक में किसी भी नेतृत्व परिवर्तन से राज्य में और अधिक भ्रम पैदा होगा लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि कैबिनेट और पार्टी इकाई में बदलाव होने वाले हैं.
ऊपर उद्धृत भाजपा के दूसरे नेता ने कहा, ‘इन बदलावों के पैमाने पर अभी आम सहमति नहीं बन पाई है और प्रधानमंत्री के यूरोप दौरे से वापस आने के बाद विचार-विमर्श अंतिम रूप से पूरा हो जाएगा.’
कर्नाटक भाजपा के उपाध्यक्ष निर्मल कुमार सुराणा ने दिप्रिंट को बताया कि ‘पार्टी बोम्मई के नेतृत्व के साथ ही आगे बढ़ रही है’.
उन्होंने कहा, ‘पिछले महीने ही, (केंद्रीय गृह मंत्री) अमित शाह ने स्पष्ट रूप से कहा था कि भाजपा वर्तमान मुख्यमंत्री के नेतृत्व में ही 2023 का विधानसभा चुनाव लड़ेगी. कुछ निहित स्वार्थ इस बारे में भ्रम को पैदा कर रहे हैं. पार्टी का लक्ष्य (राज्य विधानसभा की) 224 में से 150 सीटें जीतना है, जो कि एक बैठक में स्वयं शाह द्वारा निर्धारित लक्ष्य है.’
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अमित शाह के साथ लंच
कर्नाटक सरकार में आसन्न बदलावों की अटकलें शनिवार को तब फैलनी शुरू हुई जब भाजपा महासचिव बी.एल. संतोष ने राज्य इकाई की एक बैठक में कहा कि पार्टी में ‘पार्टी और सरकार के ढांचे में बड़े बदलाव’ को अंजाम देने की ताकत है.
उन्होंने कहा, ‘(पिछले) दिल्ली नगर निगम चुनाव में, हमने तय किया था कि किसी भी मौजूदा पार्षद को टिकट नहीं दिया जाएगा और सभी नए उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया. गुजरात में, हमने उन वर्तमान पार्षदों की चुनाव में उतारने के खिलाफ फैसला किया, जो दो से अधिक कार्यकाल से बने हुए थे और राज्य में तब काफी बड़े बदलाव करते हुए जब मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्रिमंडल को बदल दिया गया था. यह कदम एक ताजगी भरने के लिए किया गया था न कि किसी तरह की शिकायत की वजह से.’
उनके बयान के बाद मंगलवार को लगभग पांच सप्ताह में अमित शाह की इस राज्य की दूसरी यात्रा हुई, जिसने इन अफवाहों को और हवा दे दी.
मंगलवार को, जब शाह एक आधिकारिक कार्यक्रम के लिए बेंगलुरू गए थे, तो उन्होंने बोम्मई, केंद्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी, राज्य भाजपा अध्यक्ष कतील, येदियुरप्पा और पार्टी के अन्य पदाधिकारियों के साथ लंच पर बैठक की थी.
हालांकि, उन्होंने अंतिम समय में एक बहुप्रचारित बैठक को रद्द कर दिया, जो कि 2023 के चुनावों की रणनीति बनाने के लिए भाजपा की कोर कमेटी और विभिन्न मोर्चा के नेताओं के साथ होने वाली थी.
इस बैठके के इस तरह रद्द होने पर कर्नाटक भाजपा के एक नेता ने कहा: ‘मुख्यमंत्री के साथ शाह की लंच मीटिंग पार्टी कैडर को यह संदेश देने के लिए थी कि आलाकमान को बोम्मई पर पूरा भरोसा है. इसलिए सभी नेताओं को इसमें आमंत्रित किया गया था. चूंकि सभी (प्रमुख) नेता वहां मौजूद थे अतः पार्टी के मिशन पर अनौपचारिक रूप से बातचीत हुई थी. इसलिए यह महसूस किया गया कि अब दूसरी बैठक की कोई आवश्यकता नहीं है. शाह ने राज्य के अपने पिछले दौरे के दौरान भी कोर ग्रुप को संबोधित किया था.’
इस बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार ने दिप्रिंट को बताया, ‘लंच के दौरान उन्होंने (शाह ने) कुछ नेताओं के साथ बातचीत की लेकिन यह एक अनौपचारिक मुलाकात थी’. उन्होंने आगे कहा, ‘इस तरह के निर्णय बड़ी बैठकों में नहीं किए जाते हैं. पार्टी अपनी चुनावी तैयारियों के साथ पूरे जोर-शोर से आगे बढ़ रही है.’
संतोष की टिप्पणी का उल्लेख करते हुए एक भाजपा नेता ने कहा कि वे ‘नगरपालिका चुनावों के संदर्भ में थे और उन मंत्रियों के लिए थे जिन्होंने सोच रखा था कि आगामी कैबिनेट फेरबदल में उन्हें तो बदला ही नहीं जा सकता.’
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भाजपा के भीतर से उठ रही हैं कई तरह की आवाजें
संतोष के बयान के बाद से पार्टी ने नेतृत्व परिवर्तन के बारे में किसी भी अनिश्चितता को दूर करने के लिए कई सारे प्रयास किए हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री येदियुरप्पा ने कहा कि मुख्यमंत्री पद में बदलाव की बातें सिर्फ अफवाह है और मुझे लगता है कि कर्नाटक कैबिनेट में बदलाव किए जाएंगे. इसी तरह, पार्टी प्रभारी अरुण सिंह ने कहा, ‘ये सवाल काल्पनिक हैं. मुख्यमंत्री बोम्मई प्रधानमंत्री मोदी के सपने को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं.’
बोम्मई के नेतृत्व में कर्नाटक भाजपा काफी समय से दबाव में रही है- पहले हिजाब विवाद के कारण, फिर हत्याओं के सिलसिले के कारण- जिसके बारे में माना जाता है कि इसने बोम्मई के शासन को कमजोर कर दिया और साथ-ही-साथ राज्य के भाजपा नेताओं के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर भी.
भाजपा के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि नेताओं का एक वर्ग बदलाव चाहता है और उन्होंने भाजपा आलाकमान को इस बारे में सूचित किया है कि यदि कोई ‘बड़ी सर्जरी’ नहीं की गई तो वर्तमान नेतृत्व 2023 में जीत नहीं दिलवा पायेगा.
हालांकि, कई अन्य लोगों का कहना है कि ‘कर्नाटक के जटिल जातीय समीकरण की वजह से यह दांव उलटा पड़ सकता है’.
एक नेता ने कहा, ‘गुजरात तो प्रधानमंत्री का अपना गृह राज्य है जहां लोग उनके ही नाम पर वोट करते हैं लेकिन कर्नाटक का मामला अलग है. यहां, लिंगायत समुदाय येदियुरप्पा के बाद सत्ता परिवर्तन से खुश नहीं था लेकिन बाद में उन्हें विश्वास हो गया कि बोम्मई उनके ही ‘शिष्य’ हैं. अब अगर बीजेपी बोम्मई को भी बदल दे तो वे क्या कहेंगे? यह इतना सरल नहीं है.’
पिछले साल जुलाई में येदियुरप्पा ने कर्नाटक के मुख्यमंत्री के रूप में बोम्मई के लिए रास्ता तैयार किया था.
भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा: ‘पिछले दो-तीन महीनों में काफी सारी चीजें बदल गईं हैं और भाजपा कर्नाटक में कई चीजों पर विचार कर रही है. इस दौरान बोम्मई में पार्टी का विश्वास डगमगा सा गया है और उन्हें समग्र रूप से इस बारे में सोचना होगा कि क्या वे एक नया नेतृत्व नियुक्त करने का जोखिम उठाना चाहते हैं या फिर मौजूदा व्यवस्था में ही सुधार करना चाहते हैं.’
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