(अनिल भट्ट)
उधमपुर, चार मई (भाषा) उत्तरी सैन्य कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर चीन की जनमुक्ति सेना (पीएलए) की कार्रवाई ने भारतीय बलों को अपनी क्षमता निर्माण का अवसर दिया है और लद्दाख में सीमा पर हर समय संचालनात्मक तैयारियों का उच्च स्तर बनाए रखने की जरूरत है।
भारतीय और चीन के सैनिकों के बीच जून 2020 में गलवान घाटी में हुए संघर्ष का संदर्भ देते हुए लेफ्टि. जनरल द्विवेदी ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में पीएलए की आक्रामकता का “सैनिकों की त्वरित व रणनीतिक तैनाती” से जवाब दिया गया।
लेफ्टि. जनरल द्विवेदी ने यहां ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए एक साक्षात्कार में कहा, “उत्तरी कमान के समक्ष चुनौतियों की प्रकृति को देखते हुए, हर समय (पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर) संचालनात्मक तैयारियों का उच्च स्तर बनाए रखने की जरूरत है।”
सेना की उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (जीओसी-इन-सी) उत्तरी कमान के समक्ष वर्षों से आ रही विविध चुनौतियों के बारे में एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
उन्होंने कहा कि सेना संचालनात्मक तैयारियों के विभिन्न क्षेत्रों में अपनी तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा, “तैयारी के इन स्तरों को बनाए रखने के लिए, हम समाधान प्रदान करने के वास्ते “आत्मनिर्भरता” का रास्ता अपना रहे हैं।”
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद मई 2020 में उभरा और 15 जून को गतिरोध बढ़ गया जब गलवाल घाटी में ‘पेट्रोल प्वाइंट’ (गश्त बिंदु) 14 के निकट दोनों पक्षों के सैनिकों में झड़प हुई।
सैन्य कमांडर इस आक्रामकता को वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैन्य क्षमताओं और सैन्य तैयारियों को बढ़ाने के अवसर के तौर पर देखते हैं।
जीओसी-इन-सी ने कहा, “पीएलए की कार्रवाइयों ने भले ही अस्थायी रूप से प्रतिकूल स्थिति पैदा की, हमने इसे अपनी क्षमताओं के निर्माण के अवसर के रूप में लिया, एलएसी पर पीएलए के रुख की नई वास्तविकताओं की रोशनी में अपनी योजनाओं की समीक्षा की। सैनिकों की तैनाती की अपनी क्षमता को बढ़ाया, अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत किया और समग्र प्रतिक्रिया गतिशीलता में बदलाव लेकर आए।”
उन्होंने कहा, “मौजूदा समझौतों और व्यवस्थाओं के बावजूद, पूर्वी लद्दाख में पीएलए की आक्रामकता और हमें चौंकाने के प्रयास का सैनिकों की त्वरित व रणनीतिक तैयारी तथा दोनों अन्य सेनाओं के साथ विधिवत तालमेल बैठाकर जवाब दिया गया।”
भाषा
प्रशांत उमा
उमा
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