दोषपूर्ण नेटवर्क और सरकारी चालानों के बीच की कश्मकश में पड़े ऑटो चालक जीपीएस प्रणाली से होना चाहते हैं दूर
नई दिल्लीः दिल्ली सरकार ने 2016 में भारत की ‘बलात्कार राजधानी’ में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए जीपीए प्रणाली युक्त ऑटो रिक्शा को अनिवार्य बना दिया था। इसके बावजूद भी अधिकतर ऑटो रिक्शा जीपीएस के बिना ही चलते हैं। दिल्ली के ऑटो रिक्शा चालकों ने इसके लिए सरकार और नेटवर्क प्रदाताओं को ही जिम्मेदार ठहराया है।
नई दिल्ली में यमुना विहार के एक ऑटो रिक्शा चालक राकेश सूद का कहना है कि “यहाँ तक कि सरकार और नेटवर्क प्रदाताओं को इतना पैसा देने के बाद भी जीपीएस काम नहीं करता है।”
जीपीएस को सक्रिय करने लिए प्रारंभ में ही 1,420 रूपये प्रतिवर्ष के भुगतान की आवश्यकता होती है। इससे ऑटो चालकों को डीआईएमटीएस (दिल्ली इंटीग्रेटेड मल्टी-मॉडल ट्रांजिट सिस्टम) की एक रशीद प्राप्त होती है जिसको उनकी जीपीएस डिवाइस को सक्रिय करने के लिए उपयोग किया जाता है। इसके अलावा, ऑटो वाले को सिम के रीचार्ज का भी भुगतान करना होता है। जीपीएस सिम कार्ड खरीदे जाने के बाद अक्सर तीन या चार महीने से ज्यादा काम नहीं करता है। नतीजतन अगर सुचारू रूप से संचालित डिवाइस को वाहन में नहीं लागाया जाता है तो सरकार 5000 रूपये के जुर्माने की चेतावनी देना शुरू कर देती है।
कालकाजी में ऑटो-रिक्शा चलाने वाले ब्रजनंदन प्रसाद का कहना है कि “मेरा एयरटेल सिम एक साल के लिए मान्य होना चाहिए था। लेकिन इसने तीन महीने में ही काम करना बंद कर दिया। अब में 600 रूपये का दूसरा सिम खरीदूं। मुझे नहीं लगता कि यह एक साल भी टिक पायेगा।”
इस निर्णय को आधिकारिक तौर पर दिल्ली ऑटो रिक्शा संघ द्वारा दायर एक याचिका की सुनवाई के दौरान लागू किया गया था, जिन्होंने 2016 में केन्द्र सरकार द्वारा शुरू की गई ‘निर्भया योजना’ के मद्देनजर ऑटो रिक्शा को जीपीएस/जीपीआरएस स्थापित करने से मुक्त करने की माँग की थी। दिल्ली सरकार ने यात्रियों, विशेष रूप से महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ऑटो के क्रियान्वयन पर नजर रखने के लिए इस नीति को प्रस्तुत किया था।
सुभाष नगर में ऑटो रिक्शा चालक शमीम अहमद समझते हैं कि जीपीएस मॉनीटरिंग सार्वजनिक परिवहन में महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करती है। उन्होंने विभिन्न नेटवर्क प्रदाताओं के बीच बदला और अंत में यह महसूस किया कि सब एक जैसे ही हैं। अहमद कहते हैं, “इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि मैं एयरसेल से रिलायंस में बदलता हूँ। वे हमें यह दावा करते हुए जीपीएस सिम कार्ड बेचते हैं कि ये एक साल तक काम करेंगे। वे आमतौर पर 2-3 महीने में काम करना बंद कर देते हैं।”
संपर्क करने पर, मीटर हाउसों ने भी एयरसेल और रिलायंस जैसे सेवा प्रदाताओं को दोषी ठहराया।
नवरंग मीटर हाउस से तरुण कोहली ने बताया, “हमारे जीपीएस मीटर में कुछ भी खराबी नहीं है। पिछले साल एयरसेल और रिलायंस ने जीपीएस सिम कार्ड बेचना बंद कर दिया था। नकली सिम कार्डों से अक्सर ऑटो ड्राइवरों की आँखों में धूल झोंकी जाती है। यही कारण है कि जीपीएस डिवाइस उनके लिए काम नहीं करती हैं। हम हमेशा उन्हें अधिकृत सेवा प्रदाताओं से खरीदने के लिए कहते हैं।”
जीपीएस डिवाइसें काम करना बंद कर देती हैं तो ऑटो-ड्राइवर अपने पंजीकृत फोन नंबरों पर ‘चेतावनियां’ प्राप्त करना शुरू करते हैं। दिल्ली सरकार द्वारा 5000 रुपये का चालान जारी किए जाने के लिए एक चेतावनी।
अहमद कहते हैं, “अगर हमारे वाहनों में जीपीएस डिवाइस नहीं हैं तो हम पर 5000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, जीपीएस डिवाइस को चलाए रखना एक महँगा काम है।”
संपर्क करने पर, नई दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने बताया, “यह नेटवर्क प्रदाताओं की एक समस्या है। यह सवाल आप उनसे पूछें। हमें इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है।”
इस लेख को प्रकाशित करने के समय तक टिप्पणी के लिए बार-बार अनुरोध करने पर भी एयरसेल और रिलायंस ने जवाब नहीं दिया।
Read in English: Women’s safety takes a backseat as Delhi auto drivers grapple with faulty GPS devices