नयी दिल्ली, 28 अप्रैल (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी के उन उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी में समायोजित करने की आवश्यकता है जो सामान्य श्रेणी के नियुक्त अंतिम उम्मीदवारों की तुलना में अधिक मेधावी हैं।
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि ऐसी परिस्थितियों में आरक्षित सीटों के लिए ओबीसी उम्मीदवारों की नियुक्ति पर विचार नहीं किया जा सकता था।
शीर्ष अदालत ने कहा कि इसके परिणामस्वरूप, सामान्य श्रेणी में उनकी नियुक्तियों पर विचार करने के बाद, आरक्षित सीटों को योग्यता के आधार पर अन्य शेष आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों से भरा जाना आवश्यक है।
न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना की पीठ ने 1992 के इंद्रा साहनी बनाम भारत संघ सहित सर्वोच्च अदालत के विभिन्न फैसलों पर गौर किया।
पीठ ने फैसले पर भरोसा करते हुए आरक्षित श्रेणी के एक उम्मीदवार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन की इस दलील को स्वीकार कर लिया कि आरक्षित श्रेणी के उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों की सूची में अंतिम उम्मीदवार से अधिक अंक प्राप्त करने पर सामान्य श्रेणी के कोटे के तहत समायोजित करना चाहिए। उनका कहना था कि ऐसे उम्मीदवार को सामान्य श्रेणी के तहत विचार करने की आवश्यकता है।
पीठ ने कहा कि दो उम्मीदवारों आलोक कुमार यादव और दिनेश कुमार जो ओबीसी श्रेणी से संबंधित हैं, उन्हें सामान्य श्रेणी में समायोजित किए जाने की आवश्यकता है क्योंकि वे सामान्य श्रेणी के नियुक्त उम्मीदवारों की सूची में अंतिम उम्मीदवार की अपेक्षा अधिक मेधावी हैं और उनकी नियुक्तियों पर आरक्षित श्रेणी के तहत सीटों के लिए विचार नहीं किया जा सकता।
भाषा अविनाश मनीषा
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