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Thursday, 21 November, 2024
होमदेश'यूक्रेन के अलावा दूसरे मुद्दे भी देखें, दुनिया ने अफगानिस्तान को भेड़ियों के हवाले कर दिया': जयशंकर का यूरोप को संदेश

‘यूक्रेन के अलावा दूसरे मुद्दे भी देखें, दुनिया ने अफगानिस्तान को भेड़ियों के हवाले कर दिया’: जयशंकर का यूरोप को संदेश

रायसीना डायलॉग के दौरान भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर से उनके यूरोपीय समकक्षों द्वारा रूस-यूक्रेन संघर्ष पर भारत के रुख और मॉस्को के साथ उसके घनिष्ठ संबंधों पर सवाल किया गया था.

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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने मंगलवार को कहा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के कारण ऊर्जा उत्पादों की बढ़ती कीमतों और खाद्य सामग्री की कमी से अन्य देशों के लिए भी ‘व्यावहारिक परिणाम’ होंगे, यूरोप को इसके अलावा दुनिया में अन्य ‘जरूरी मुद्दों’ की ओर भी देखना चाहिए.’

भारतीय विदेश मंत्री यूक्रेन में इस युद्ध पर भारत के रुख और रूस के साथ उसके घनिष्ठ संबंधों के बारे में दिल्ली में आयोजित रायसीना डायलॉग के सातवें संस्करण में सवालों के जवाब दे रहे थे.

उन्होंने अपने यूरोपीय समकक्षों, जो वर्तमान में भारत का दौरा कर रहे हैं, को अफगानिस्तान में पिछले साल के पैदा हुए उस मानवीय संकट की याद दिलाई, जब पश्चिमी देशों ने वहां से अपने सैनिकों को हटा लिया था और तालिबान ने वहां कब्जा कर लिया था .

उन्होंने नॉर्वे की विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ट द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा, ‘आपने यूक्रेन के बारे में बात की. मुझे याद है कि एक साल से भी कम समय पहले अफगानिस्तान में क्या हुआ था, जहां एक सिविल सोसाइटी को दुनिया ने भेड़ियों के हवाले कर दिया था.’

उन्होंने कहा, ‘एशिया में, हम, उन चुनौतियों का सामना करते हैं जो अक्सर नियम-आधारित व्यवस्था पर असर डालते हैं. इसलिए, मैं पूरी ईमानदारी के साथ कहूंगा कि हम सभी अपने विश्वासों, हितों, अपने अनुभवों का सही संतुलन पाना चाहेंगे … यह दुनिया के विभिन्न हिस्सों से अलग-अलग दिखता है.’

लक्ज़मबर्ग के विदेश मंत्री जीन एस्सेलबॉर्न ने इस महीने की शुरुआत में रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव की भारत यात्रा का जिक्र करते हुए जयशंकर से मॉस्को द्वारा यूक्रेन पर हमला करने के ‘औचित्य’ के बारे में पूछा.

जयशंकर ने कहा, ‘यह काम तो सर्गेई लावरोव को करना है. मैं यूक्रेन या किसी भी अन्य मसले पर भारत के विचारों को ही सही ठहराने के लिए तैयार हूं. उन्होंने जिस औचित्य का प्रस्ताव दिया है, उसके संदर्भ में, मुझे लगता है कि उन्होंने यूरोप में आप में से कई लोगों के साथ शायद इस विषय पर उससे अधिक चर्चा की होगी जितना की उन्होंने हमारे साथ की है. मुझे नहीं लगता कि इसमें जोड़ने के लिए मेरे पास कुछ भी नया है.’

जयशंकर ने यह भी कहा कि, ‘रूस-यूक्रेन संघर्ष में कोई भी वास्तविक रूप से विजेता नहीं हैं.’

उन्होंने कहा, ‘आज के दिन मैं मानता हूं कि अगर यह इस दिन का सबसे प्रमुख मुद्दा नहीं भी है तब भी यूक्रेन में संघर्ष एक प्रमुख मुद्दा है… सच तो यह है कि वास्तव में ऐसा कोई भी नहीं है जो इस संघर्ष को होते देखना चाहता है. मैं समझता हूं कि इस समय, यह शायद आपको लगभग हर किसी और चीज को चर्चा से बाहर करने लिए बहला सकता है. लेकिन इसके बाहर भी एक दुनिया है.’

जयशंकर ने एस्सेलबॉर्न को बताया, ‘जब एशिया में नियम-आधारित व्यवस्था को चुनौती दी गई तो हमें यूरोप से सलाह मिली कि हम और अधिक व्यापार करें. कम-से-कम हम आपको वह सलाह तो नहीं दे रहे हैं. नियम-आधारित व्यवस्था के किस हिस्से ने कामों को सही ठहराया जो दुनिया ने वहां किए?’

जयशंकर ने कहा, ‘हमारा रुख यह है कि हम सभी को कूटनीति और बातचीत के रास्ते पर लौटने का कोई तरीका खोजना होगा और ऐसा करने के लिए यह लड़ाई बंद होनी चाहिए. मुझे लगता है कि वास्तव में हम जो कुछ भी करने की कोशिश कर रहे हैं उसका फोकस इसी पर है.’


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खाद्यान की कमी को पूरा करना

जयशंकर ने कहा कि भारत इस युद्ध की वजह से उत्पन्न हुए खाद्य सामग्री की वैश्विक कमी के संकट से निपटने में मदद करने के लिए और अधिक खाद्यान्न, विशेष रूप से गेहूं, का निर्यात करने को तैयार हैं लेकिन वह ऐसा तभी कर सकता है जब विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) उस पर लगी व्यापारिक सीमाएं हटा ले.

उन्होंने कहा, ‘भारत आज कृषि उत्पादों, खासतौर पर गेहूं, के निर्यात के मामले में काफी फर्क ला सकता है. हम यह जानने की कोशिश कर रहे हैं कि वैश्विक कमी को पूरा करने के लिए हम और अधिक गेहूं की आपूर्ति कैसे कर सकते हैं.’

उन्होंने कहा, ‘निश्चित रूप से हमारी कुछ बाधाएं भी हैं जो यह हैं कि हमारे द्वारा किए जाने वाले व्यापार पर सार्वजनिक भंडार के मामले में डब्ल्यूटीओ कुछ सीमाएं हैं लेकिन यह एक बहुत ही असामान्य स्थिति है, इसलिए हम आशा करते हैं कि विश्व व्यापार संगठन इसे इसी रूप में देखेगा.’

जिनेवा स्थित विश्व व्यापार संगठन, जो सभी देशों के लिए वैश्विक व्यापार के नियम निर्धारित करता है, यह तय करता है कि भारत जैसे विकासशील देश अपने कृषि उत्पादन के कुल मूल्य का केवल 10 प्रतिशत ही निर्यात कर सकते हैं. इसे ‘डी मिनिमिस लेवल’ के रूप में जाना जाता है.

जयशंकर ने कहा कि यूक्रेन में हो रहे युद्ध से भारत में खाद्य तेल की कमी भी बढ़ सकती है.

उन्होंने कहा, ‘यूक्रेन भारत के लिए खाद्य तेल, खासकर सनफ्लावर ऑयल, का एक बहुत बड़ा प्रदाता था. यूक्रेन में छिड़े इस संघर्ष के कई परिणामों में से एक यह है कि इसकी आपूर्ति में भी कटौती हुई है. अर्जेंटीना हमारे लिए खाद्य तेल – उनके मामले में मोटे तौर पर सोया ऑयल- के सबसे बड़े स्रोतों में से एक के रूप में उभरा है. इसलिए, मुझे लगता है कि वह युग अब हमारे काफी पीछे रह गया है जहां दूरी का मतलब उपेक्षा होती थी.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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