नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) ममता बनर्जी, मोरारजी देसाई, त्रिभुवन नारायण सिंह, प्रेम कुमार धूमल और बीजू पटनायक जैसे राजनेताओं में क्या समानता है? ये सभी मुख्यमंत्री रहते हुए चुनाव हार गये जबकि उनकी पार्टियां विधानसभा चुनाव जीत गयी थीं।
एक नयी किताब में यह जानकारी दी गयी है जिसमें मतदान के डिजिटलीकरण समेत अनेक मुद्दों पर भारतीय चुनावों की कहानियों को बयां किया गया है।
उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ता विपुल माहेश्वरी और पत्रकार अनिल माहेश्वरी द्वारा लिखित पुस्तक ‘द पॉवर ऑफ द बैलट: ट्रवेल एंड ट्राइम्फ इन द इलेक्शन्स’ का प्रकाशन ब्लूम्सबरी इंडिया ने किया है।
इसमें बताया गया है कि किस तरह भारत में चुनाव देश के राजनीतिक परिदृश्य की स्थिर और प्रभावशाली विशिष्टता हैं।
पूर्व मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा ने पुस्तक की भूमिका लिखी है।
भाषा वैभव उमा
उमा
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.