नयी दिल्ली, 26 अप्रैल (भाषा) केंद्र ने मंगलवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि न्यायपालिका की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए उचित बुनियादी ढांचे की कमी और राष्ट्रीय राजधानी में बार जैसे मुद्दों पर शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री के साथ विमर्श कर विचार किया जा सकता है।
न्यायमूर्ति विनीत सरन और न्यायमूर्ति जे के माहेश्वरी की पीठ ने शीर्ष अदालत के गलियारे में भीड़ की स्थिति को ‘‘भयानक’’ करार दिया और कहा कि इस संबंध में केंद्र सरकार द्वारा कुछ किया जा सकता है।
पीठ ने कहा, “हम गलियारों में नहीं घूमते। यह भयावह है। केंद्र को कुछ करना होगा।’’
केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह कोई प्रतिकूल मुकदमा नहीं है और वह सरकार के संपर्क में हैं तथा इस मामले पर चार सप्ताह के बाद सुनवाई हो सकती है।
पीठ ने अभिवेदन पर गौर किया और कहा कि याचिका में बताई गई समस्याओं को केंद्र शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री और याचिकाकर्ता वकील के साथ विमर्श कर देख सकता है।
अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 20 जुलाई की तारीख निर्धारित की है।
शीर्ष अदालत ने आठ मार्च को बार नेता अर्द्धेंदुमौली कुमार प्रसाद द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर केंद्र और शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री से जवाब मांगा था, जिसमें न्यायपालिका की बढ़ती जरूरत को पूरा करने के लिए अधीनस्थ न्यायपालिका, न्यायाधिकरणों, दिल्ली उच्च न्यायालय सहित सभी अदालतों और राष्ट्रीय राजधानी में बार के लिए उच्चतम न्यायालय परिसर के पास एक ‘न्यायिक विस्टा’ के विकास का आग्रह किया गया है।
पीठ ने सोमवार को कहा कि वह याचिका पर केंद्र सरकार का रुख जानना चाहती है और इस मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल का रुख जानने के लिए मामले को मंगलवार के लिए सूचीबद्ध कर दिया था।
जनहित याचिका में केंद्रीय कानून एवं न्याय और आवास तथा शहरी मामलों के मंत्रालयों को न्यायपालिका के बुनियादी ढांचे की जरूरत को पूरा करने के लिए प्रधान न्यायाधीश के प्रशासनिक नियंत्रण में भारत के समेकित कोष से वित्तपोषित एक केंद्रीय प्राधिकरण का गठन करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
इसमें वकीलों, वादियों, कानून क्लर्कों तथा इंटर्न के लिए पर्याप्त रूप से बैठने की सुविधा के वास्ते वीडियो कॉन्फ्रेंस की सुविधा से लैस 45 से 50 अदालत कक्षों साथ एक बड़े बहु-स्तरीय परिसर के निर्माण का आग्रह किया गया है।
याचिका में आवश्यक सुविधाओं के साथ वरिष्ठ अधिवक्ताओं, अधिवक्ता-ऑन-रिकॉर्ड और अधिवक्ताओं के लिए लगभग 5000 कक्षों वाले एक बहु-स्तरीय परिसर के निर्माण का भी आग्रह किया गया है।
भाषा नेत्रपाल नरेश
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