जम्मू, 18 अप्रैल (भाषा) नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने कर्ज के बढ़ते बोझ के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार की आलोचना करते हुए कहा है कि इस केंद्र शासित प्रदेश का कुल ऋण अक्टूबर, 2019 तक बढ़कर 83,536 करोड़ रुपये हो गया था।
कैग ने मौजूदा खपत को पूरा करने और बकाया कर्जों पर ब्याज की अदायगी के लिए जम्म-कश्मीर सरकार द्वारा उधार ली गई राशि का इस्तेमाल करने पर चिंता जताई है। कैग ने जम्मू-कश्मीर की ऋण स्थिति पर जारी अपनी नवीनतम रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया है।
कैग ने इस रिपोर्ट में कहा, ‘‘वर्तमान खपत को पूरा करने और बकाया ऋणों पर ब्याज चुकाने के लिए उधार ली गई धनराशि का उपयोग करना टिकाऊ नहीं है।’’ इसके साथ ही उसने कहा है कि उधार ली गई राशि का इस्तेमाल आदर्श रूप से पूंजी निर्माण और विकास कार्यों के लिए किया जाना चाहिए।
रिपोर्ट कहती है, ‘‘जम्मू-कश्मीर सरकार का 30 अक्टूबर, 2019 को कुल बकाया कर्ज 83,536 करोड़ रुपये था। एक अप्रैल, 2019 से लेकर 30 अक्टूबर, 2019 के दौरान इसकी कुल कर्ज प्राप्ति का 82.68 प्रतिशत कुल ऋण पुनर्भुगतान का था। इसका मतलब हुआ कि वास्तविक ऋण प्राप्ति केवल 17.32 प्रतिशत ही रही।’’
कैग के मुताबिक, केंद्र शासित क्षेत्र की सरकार पर 45,429 करोड़ रुपये का आंतरिक ऋण है, जो उसके कुल ऋण का 54.38 प्रतिशत है। वहीं केंद्र सरकार से लिया गया ऋण 1,237 करोड़ (1.48 प्रतिशत) है और सार्वजनिक खाते पर उसकी देनदारी 36,870 करोड़ रुपये है जो कि 44.14 प्रतिशत है।
रिपोर्ट के अनुसार, एक अप्रैल, 2019 से 30 अक्टूबर, 2019 के दौरान जम्मू-कश्मीर का राजकोषीय घाटा 4,728 करोड़ रुपये था। इसके राजकोषीय घाटे में बाजार से ली गई उधारी और लघु बचत भविष्य निधि के तहत भुगतान पर अधिक प्राप्ति का प्रमुख योगदान है।
रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2019-20 की शुरुआत में जम्मू-कश्मीर का बकाया सार्वजनिक ऋण 43,513 करोड़ रुपये था, जो 30 अक्टूबर, 2019 के अंत तक बढ़कर 46,666 करोड़ रुपये हो गया। इस तरह सात महीनों में इसमें 7.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
भाषा प्रेम अजय
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