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Monday, 18 November, 2024
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पहले साल में 96,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों का मौद्रीकरणः अधिकारी

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नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 में राष्ट्रीय मौद्रीकरण पाइपलाइन (एनएमपी) कार्यक्रम के तहत 96,000 करोड़ रुपये मूल्य के सौदे पूरे कर इस साल के लिए निर्धारित लक्ष्य को पार कर लिया है।

एक वरिष्ठ अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी देते कहा कि सड़क, बिजली, कोयला एवं खनन क्षेत्रों की परिसंपत्तियों ने इस लक्ष्य को हासिल करने में अहम योगदान दिया। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021-22 में संपन्न हुए सौदों का दीर्घकालिक निवेश प्रभाव करीब नौ लाख करोड़ रुपये रहने का अनुमान है।

अधिकारी के मुताबिक, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एनएमपी की प्रगति की समीक्षा के लिए मंगलवार को नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत, वित्त सचिव और कई अन्य मंत्रालयों के सचिवों के साथ बैठक की।

सीतारमण ने अगस्त, 2021 में इस कार्यक्रम की घोषणा करते हुए कहा था कि अगले चार वर्षों में एनएमपी के तहत विभिन्न क्षेत्रों की ढांचागत परिसंपत्तियों से छह लाख करोड़ रुपये जुटाए जाएंगे।

अधिकारी ने कहा कि एनएमपी कार्यक्रम के पहले साल के लिए सरकार ने 88,000 करोड़ रुपये मूल्य के मौद्रीकरण का लक्ष्य रखा था। लेकिन इस दौरान 96,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों के सौदे कर सरकार इस लक्ष्य से आगे निकल गई।

इसमें सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय करीब 23,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों के मौद्रीकरण के साथ सबसे आगे रहा। वहीं बिजली मंत्रालय ने करीब 9,500 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों का मौद्रीकरण किया।

कोयला मंत्रालय ने भी वित्त वर्ष 2021-22 में करीब 40,000 करोड़ रुपये मूल्य की परिसंपत्तियों से जुड़े लेनदेन किए हैं।

हालांकि, निर्धारित मौद्रीकरण लक्ष्यों को हासिल करने से पीछे रह गए मंत्रालयों को जल्दी बाजार में चढ़ाई जाने वाली परिसंपत्तियों की पहचान करने और लेनदेन को पूरा करने को कहा गया है ताकि निर्धारित लक्ष्य को आने वाले समय में पूरा किया जा सके।

अधिकारी ने बताया कि समीक्षा बैठक के दौरान वित्त वर्ष 2022-23 के लिए क्षेत्रवार लक्ष्यों को लेकर चर्चा की गई। चालू वित्त वर्ष में इस योजना के तहत कुल 1.62 लाख करोड़ रुपये का राजस्व जुटाने का लक्ष्य तय किया गया।

बैठक में सीतारमण ने इस साल के लक्ष्य को हासिल करने के लिए सभी मंत्रालयों की पूरी भागीदारी सुनिश्चित करने को कहा। बैठक में कहा गया कि ढांचागत क्षेत्र के लिए दृष्टि और देश के सामाजिक-आर्थिक वृद्धि उद्देश्यों को पाने के लिए इस योजना के लक्ष्यों को हासिल करना महत्वपूर्ण है।

अधिकारी के मुताबिक, राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों के पास बड़ा ढांचागत आधार है जिसका इस्तेमाल कर ढांचागत क्षेत्र में उनके निवेश को बढ़ाया जा सकता है।

भाषा प्रेम अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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