नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) केविनकेयर के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सी के रंगनाथन ने मंगलवार को कहा कि विदेशों में कंटेनर, रसायन एवं कच्चे माल को लेकर ‘गुटबंदी’ से अनिश्चितता पैदा हुई है और इसके चलते उपभोक्ताओं को अधिक दाम चुकाने के लिए भी मजबूर होना पड़ रहा है।
रंगनाथन ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन (एआईएमए) के भी अध्यक्ष हैं। उन्होंने एक पैनल परिचर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि कारोबारी इकाइयों की गुटबंदी जैसे पहलू को अब कंपनियों के सीईओ नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। उन्होंने कहा, ‘कार्टेल’ (गुट) बना लेने से चीजें काफी अनिश्चित होती जा रही हैं।’’
उन्होंने कहा कि पहले गुटबंदी बनाने के वाकये कच्चे तेल के कारोबार में ही सामने आते थे लेकिन अब कंटेनर, रसायन या कच्चे माल की उपलब्धता के मामले में भी कुछ लोग दुनियाभर में गुट बनाने लगे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘ये लोग गुट बना रहे हैं और ‘बेचारे’ उपभोक्ताओं को उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है।’’
रंगनाथन ने कहा कि डिजिटलीकरण एवं कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई( जैसी प्रौद्योगिकी कारोबार करने के ढंग को बुनियादी रूप से बदलने वाली हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे कारोबार करने के बुनियादी तरीके में बड़ा बदलाव होता हुआ नजर आता है।’’
उन्होंने कहा कि चौथी औद्योगिक क्रांति में आसपास तेजी से डिजिटलीकरण हो रहा है और कंपनी जगत के लिए तकनीक को आत्मसात करना अहम है। उन्होंने कहा कि पहले के दौर में तकनीक सहयोगी भूमिका में होती थी लेकिन अब यह एक रणनीतिक जरिया हो चुकी है।
व्यक्तिगत देखभाल, डेयरी, खाद्य एवं पेय उत्पाद बनाने वाली कंपनी केविनकेयर के प्रमुख रंगनाथन ने कहा कि प्रौद्योगिकी के बढ़ते चलन से सारे अहम फैसले अब डेटा पर आधारित होंगे। लेकिन उद्योग जगत को ‘बड़े पैमाने पर नौकरी छोड़कर करने जाने’ (ग्रेट रेजिग्नेशन) की स्थिति का भी सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘करीब 80 प्रतिशत लोग अपनी नौकरी बदलने के बारे में सोच रहे हैं। यह एक बेहद अहम एवं चुनौतीपूर्ण पहलू है। आप एक संगठन कैसे बना सकते हैं जब लोग ही स्थिर नहीं हैं।’’
रंगनाथन ने कहा, ‘‘अब कर्मचारी इस बात पर ध्यान दे रहे हैं कि उन्हें क्या मूल्य मिलने जा रहा है? हर कोई तेजी से बढ़ने की हड़बड़ी में है और उसे अधिक वेतनवृद्धि चाहिए। लोग एक ही काम को बार-बार करते हुए बोझिल महसूस कर रहे हैं।’’
भाषा
प्रेम अजय
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