नयी दिल्ली, 12 अप्रैल (भाषा) सार्वजनिक क्षेत्र की कोल इंडिया लि. (सीआईएल) का पूंजीगत व्यय या निवेश बीते वित्त वर्ष 2021-22 में 12 प्रतिशत बढ़कर 14,834 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। इससे पिछले वित्त वर्ष 2020-21 में कंपनी का पूंजीगत खर्च 13,284 करोड़ रुपये रहा था।
कंपनी ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि समूचा पूंजीगत निवेश आंतरिक स्रोतों के जरिये पूरा किया गया है। ‘‘मजबूत आधार की वजह से पूंजीगत व्यय में बढ़ोतरी हुई है।’’
बयान के अनुसार कोल इंडिया का 2020-21 का पूंजीगत व्यय इससे पिछले वित्त वर्ष 2019-20 के 6,270 करोड़ रुपये के व्यय की तुलना में दोगुना हो गया। इसका मतलब है कि 2021-22 में पूंजीगत व्यय में वृद्धि मजबूत आधार की वजह से हुई।
बीते वित्त वर्ष में कंपनी ने जमीन, भारी मशीनरी (एचईएमएम) की खरीद, कोयला रखरखाव संयंत्र की स्थापना, भंडारण सुविधा, कोयला परिवहन के लिए रेल ढांचे के सृजन पर यह राशि खर्च की है।
कंपनी के कुल पूंजीगत व्यय में भूमि और एचईएमएम का हिस्सा 40 प्रतिशत यानी 5,867 करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष के दौरान कंपनी ने जमीन के लिए 3,262 करोड़ रुपये खर्च किए।
कोल इंडिया के लिए अपनी खुली (ओपनकास्ट) खानों से उत्पादन बढ़ाने के लिए जमीन अधिग्रहण महत्वपूर्ण है। कोल इंडिया की इकाई महानदी कोलफील्ड्स लि. (एमसीएल) की दो परियोजनाओं के लिए जमीन का अधिग्रहण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को अपने खनन परिचालन के विस्तार में मदद करेगा।
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