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Friday, 1 November, 2024
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क्यों हादसों का इंतज़ार कर रहा है पटना एयरपोर्ट

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रनवे की अपर्याप्त लंबाई, स्थिति और यातायात ने पटना के जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे को खतरे में डाल दिया है।

नई दिल्लीः पिछले शनिवार, पटना के जय प्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर लैंडिंग के दौरान ‘स्पाइसजेट’ और ‘इंडिगो’ के दो विमानों को बर्ड हिट (पक्षियों से टक्कर) का सामना करना पड़ा था, और दोनों को अपनी अगली यात्रा रद्द करनी पड़ी थी।

हालांकि, पटना हवाई अड्डे के लिए यह कोई नई घटना नहीं है। ऐसे कई कारक हैं, जो इस हवाई अड्डे को देश के सबसे खतरनाक हवाई अड्डों में से एक बनाने में मदद करते हैं।

छोटा रनवे

पटना हवाई अड्डा, जिसका रनवे केवल 2,072 मीटर लंबा है और जिसमें पूर्व से आने वाली फ्लाइट्स की लैंडिंग के लिए 1,938 मीटर तथा पश्चिम से आने वाली फ्लाइट्स की लैंडिंग के लिए 1,677  मीटर स्थान है, आपदाओं से ग्रस्त है।

संघीय विमानन प्रशासन (अमेरिका) के आंकड़ों के मुताबिक, बोइंग 737 और एयरबस ए 320 की सुरक्षित लैंडिंग के लिए आवश्यक पर्याप्त रनवे लंबाई 2,300 मीटर होनी चाहिए। ये दो प्रमुख यात्री विमान हैं जो आमतौर पर पटना हवाई अड्डे से बाहर भेजे जाते हैं।

शहर के मध्य

अन्य शहरों की अपेक्षा, जहां हवाई अड्डे शहर के बाहरी इलाके में स्थित होते हैं, वहीं यह हवाई अड्डा पटना शहर के मध्य में स्थित है। यहाँ पर रहने वाली आबादी के लिए यह एक खतरा साबित हुआ है।

इसके रनवे का विस्तार करना भी असंभव है क्योंकि यह हवाई अड्डा ‘पटना चिड़ियाघर’ और ‘फुलवारी शरीफ रेलवे स्टेशन’ के ठीक बीच में है। चिड़ियाघर में स्थित पेड़ एयरक्राफ्ट के लिए संभावित बाधा के रूप में भी कार्य करते हैं। इसके अलावा, आसपास के पेड़ों के कारण, बहुत से पक्षी हवाई अड्डे के पास उड़ा करते हैं। 333 फीट की ऊँचाई वाला क्लॉक टॉवर, जो कि पटना सचिवालय का ही एक हिस्सा है, हवाई अड्डे पर लैंडिंग के दौरान विमानों के लिए एक अन्य बाधा है।

बढ़ रही व्यस्तता

इस एयरपोर्ट ने अप्रैल 2018 में 2,273 उड़ानों का प्रबंध किया, जिसमें 2017 के इसी महीने के लिए 1,648 उड़ानों के मुकाबले 37.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।

यात्रियों की संख्या में भी वृद्धि हुई है। हवाई अड्डे ने अप्रैल 2017 में 2.2 लाख की तुलना में, अप्रैल 2018 में 3.3 लाख से अधिक यात्रियों को संभाला, इस वर्ष मार्च में हवाई अड्डे को चौबीसों घण्टे संचालित होने के लिए हरी झण्डी मिली थी।

पटना हवाई अड्डे पर एक संचालन प्रभारी ने दिप्रिंट को बताया कि आने वाले महीनों में बढ़ती आबादी की सेवा करने के लिए “नया पार्किंग स्थल, दमकल केन्द्र और कार्गो परिसर का निर्माण किया जाएगा।”

अखरी आपदा

जुलाई 2000 में, अलायंस एयर फ्लाइट 7412 पटना में एक आवासीय क्षेत्र में दुर्घटनाग्रस्त हो गई जिसके परिणामस्वरूप 51 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गई। जमीन पर चार लोग भी मारे गए थे। कोलकाता से आने वाली उड़ान जमीन पर दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले कुछ पेड़ों से टकरा गई थी।

बिहटा हवाई अड्डा

इस पूरे दबाव के परिणामस्वरूप, 2019 के अंत तक पटना के बाहरी इलाके बिहटा में एक नया हवाई अड्डा बनाया जाएगा।

सीएपीए की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पटना हवाई अड्डे के निदेशक राजेंद्र सिंह लाहौरिया ने कहा था कि पटना जिला प्रशासन ने नए हवाई अड्डे के विकास के लिए 108 एकड़ भूमि का अधिग्रहण करके हवाईअड्डा प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दिया है। बिहटा हवाई अड्डा विमानों को उतारने के लिए एक सुरक्षित विकल्प प्रदान करेगा।

तब तक, ऐसा लगता है कि आपदा की आशंका वाले पटना हवाई अड्डे पर भरोसा करना पड़ेगा। पटना हवाई अड्डा के निदेशक ने कहानी पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया।

Read in English : Why Patna airport is a disaster waiting to happen

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