scorecardresearch
Sunday, 29 September, 2024
होमदेशअर्थजगतमुफ्त अनाज योजना की वजह से महामारी काल में भी नहीं बढ़ी ‘अति गरीबों’ की संख्या : आईएमएफ दस्तावेज

मुफ्त अनाज योजना की वजह से महामारी काल में भी नहीं बढ़ी ‘अति गरीबों’ की संख्या : आईएमएफ दस्तावेज

Text Size:

नयी दिल्ली, छह अप्रैल (भाषा) गरीबों को मुफ्त अनाज उपलब्ध कराने वाली प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना ने कोविड-19 महामारी से प्रभावित वर्ष 2020 में भारत में अत्यधिक गरीबी के स्तर को 0.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के एक दस्तावेज में यह कहा गया है।

‘महामारी, गरीबी और असमानता : भारत से मिले साक्ष्य’ शीर्षक से जारी दस्तावेज में देश में गरीबी और उपभोग में असामनता पर अनुमान प्रस्तुत किये गये हैं। ये अनुमान 2004-05 से महामारी वर्ष 2020-21 तक के दिये गये हैं।

इसमें कहा गया है, ‘‘अत्यधिक गरीबी महामारी-पूर्व वर्ष 2019 में 0.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर थी। गरीबों को मुफ्त अनाज देने की योजना ने महामारी से प्रभावित वर्ष 2020 में भी इसे निचले स्तर पर बरकरार रखने में महत्वपूर्ण भूमिक निभाई।’’

प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पीएमजीकेएवाई) की शुरुआत मार्च, 2020 में की गयी। इसके तहत केंद्र सरकार हर महीने प्रति व्यक्ति पांच किलो अनाज मुफ्त उपलब्ध कराती है। यह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत काफी सस्ती दर दो रुपये और तीन रुपये किलो पर उपलब्ध कराये जा रहे अनाज के अतिरिक्त है।

पीएमजीकेएवाई को सितंबर, 2022 तक बढ़ा दिया गया है।

सुरजीत एस भल्ला, करण भसीन और अरविंद विरमानी द्वारा तैयार रिपोर्ट में कहा गया है कि महामारी से प्रभावित 2020-21 में अत्यधिक गरीबी का स्तर आबादी के 0.8 प्रतिशत के निचले स्तर पर रहा।

इसमें कहा गया है कि वर्ष 2016-17 में अत्यधिक गरीबी दो प्रतिशत के निचले स्तर पर पहुंची थी। क्रय शक्ति समता (पीपीपी) के आधार पर 68 प्रतिशत उच्चतम निम्न मध्यम आय (एलएमआई) गरीबी रेखा के अनुसार 3.2 डॉलर प्रतिदिन के हिसाब से महामारी-पूर्व वर्ष 2019-20 में गरीबी 14.8 प्रतिशत रही।

इसके अनुसार, ‘‘इसे इस नजरिये से देखा जा सकता है कि 2011-12 में निम्न पीपीपी के तहत 1.9 डॉलर की गरीबी रेखा के आधार पर गरीबी का स्तर 12.2 प्रतिशत था।’’

दस्तावेज में यह भी कहा गया है कि कई दशकों में पहली बार अत्यधिक गरीबी…क्रय शक्ति समता के संदर्भ में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 1.9 डॉलर से कम पर गुजर-बसर करने वाले… दुनिया में महामारी वर्ष, 2020 में बढ़ी।

इसके अनुसार, महामारी के प्रभाव से निपटने के सरकार के उपाय अत्यधिक गरीबी को बढ़ने से रोकने को लेकर महत्वपूर्ण थे। खाद्य सुरक्षा कानून के 2013 में अमल में आने के बाद से सस्ती दर पर खाद्यान्न उपलब्ध कराने की व्यवस्था तथा आधार के जरिये इसके और बेहतर तरीके से क्रियान्वयन से गरीबी कम हुई है।

इसमें कहा गया है कि गरीबी पर सब्सिडी समायोजन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है।

दस्तावेज के अनुसार, ‘‘गिनी गुणांक या सूचकांक के आधार पर मापी जाने वाली वास्तविक असमानता कम होकर अपने निचले स्तर के करीब पहुंच गयी है। वर्ष 1993-94 में यह 0.284 थी जो 2020-21 में 0.292 पर पहुंच गई।’’

गिनी गुणांक आबादी के बीच आय वितरण को मापता है।

इसमें कहा गया है कि खाद्य सब्सिडी के बाद असमानता 0.294 पर रही जो 1993-94 के 0.284 के निचले स्तर के करीब है।

दस्तावेज तैयार करने वाले लेखकों के अनुसार उनके अध्ययन का एक महत्वपूर्ण निहितार्थ यह है कि अत्यधिक गरीबी की स्थिति लगभग समाप्त हो गयी है। ऐसे में भारत सरकार और विश्व बैंक दोनों को औपचारिक रूप से 3.2 डॉलर पीपीपी आधारित निम्न मध्यम आय वाली गरीबी रेखा को अपनाना चाहिए।

भाषा

रमण अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments