अहमदाबाद, पांच अप्रैल (भाषा) गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल शहरी क्षेत्रों में आवारा पशुओं की समस्या से निपटने के लिए राज्य विधानसभा द्वारा पारित विधेयक पर चर्चा के लिए बुधवार को मालधारी समुदाय के नेताओं के साथ बैठक करेंगे। राज्य के मंत्री जीतू वाघाणी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
गुजरात शहरी क्षेत्रों में मवेशी नियंत्रण (रखना और आवाजाही) विधेयक को हाल में विधानसभा के बजट सत्र में पारित किया गया था। इसमें प्रावधान किया गया है कि पशुपालकों को शहरों और कस्बों में ऐसे जानवरों को रखने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने की आवश्यकता होगी और ऐसा न करने पर उन्हें कारावास की सजा का सामना करना पड़ सकता है।
वाघाणी ने गांधीनगर में संवाददाताओं से कहा कि मुख्यमंत्री ने सोमवार को मालधारी या पशुपालक समुदाय के नेताओं के साथ बैठक की थी और मंत्रिमंडल की बैठक के दौरान मंत्रियों के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी।
उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि इस कानून से मालधारी समुदाय या उनके मवेशियों को कोई परेशानी न हो। मुख्यमंत्री बुधवार को फिर से समुदाय के नेताओं से मुलाकात करेंगे।’’
मालधारी समुदाय ने विधेयक को वापस लेने की मांग की है और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी आर पाटिल ने उनका समर्थन किया है। यह पूछे जाने पर कि क्या पटेल की योजना विधेयक को वापस लेने की है, इस पर वाघाणी ने कहा कि बुधवार को बैठक के बाद फैसला किया जाएगा।
उल्लेखनीय है कि पाटिल ने सोमवार को कहा था कि उन्होंने मुख्यमंत्री से मालधारी समुदाय के विरोध के बाद विधेयक पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है।
सत्र के दौरान एक अप्रैल को विधेयक पारित किया गया, जबकि कांग्रेस ने इसका जोरदार विरोध किया और राज्यव्यापी आंदोलन शुरू करने की चेतावनी दी। विधेयक के पारित होने के बाद से पशुपालक समुदाय के सदस्य राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं और इसे वापस लेने के लिए ज्ञापन सौंप रहे हैं।
नए कानून के अनुसार किसी पशुपालक को गुजरात के आठ शहरों और 156 कस्बों में मवेशी रखने के लिए एक सक्षम प्राधिकारी से लाइसेंस प्राप्त करना होगा और इस तरह का लाइसेंस प्राप्त करने के 15 दिनों के भीतर मवेशियों को टैग करना होगा। यदि कोई मालिक 15 दिनों के भीतर मवेशियों को टैग करने में विफल रहता है तो उसे कारावास की सजा दी जाएगी, जिसे एक साल तक बढ़ाया जा सकता है या 10,000 रुपये का जुर्माना अथवा दोनों का सामना करना पड़ सकता है।
भाषा आशीष दिलीप
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