नयी दिल्ली, चार अप्रैल (भाषा) कॉरपोरेट और व्यापारिक समूहों ने वित्त वर्ष 2019-20 में राष्ट्रीय दलों को 921.95 करोड़ रुपये का चंदा दिया, जिसमें से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को सबसे ज्यादा 720.407 करोड़ रुपये मिले। एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है।
चुनावी राजनीति में पारदर्शिता लाने के लिए काम कर रहे गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफोर्म्स (एडीआर) के विश्लेषण में बताया गया कि कॉरपोरेट समूहों द्वारा राष्ट्रीय दलों को दिए गए चंदे में वित्त वर्ष 2017-18 और 2018-19 के बीच 109 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है।
यह विश्लेषण राजनीतिक दलों द्वारा एक वित्त वर्ष में 20,000 रुपये से अधिक चंदा देने वालों के बारे में भारत निर्वाचन आयोग को दिए गए विवरण के आधार पर किया गया।
जिन पांच राजनीतिक दलों को मिले चंदे का विश्लेषण किया गया है, उनमें भाजपा, कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा), तृणमूल कांग्रेस और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से वित्त वर्ष 2019-20 के दौरान भाजपा को 2,025 कॉरपोरेट दाताओं से सबसे अधिक 720.407 करोड़ रुपये चंदा मिला। इसके बाद कांग्रेस को 154 दाताओं से कुल 133.04 करोड़ रुपये और राकांपा को 36 कॉरपोरेट दाताओं से 57.086 करोड़ रुपये मिले। माकपा ने 2019-20 के लिए कॉरपोरेट चंदे से किसी आय की जानकारी नहीं दी।
रिपोर्ट में बताया गया है कि ‘प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट’ ने 2019-20 में भाजपा और कांग्रेस को सबसे ज्यादा चंदा दिया। उसने एक साल में दोनों दलों को 38 बार कुल 247.75 करोड़ रुपये का चंदा दिया।
उसने कहा, ‘‘भाजपा ने प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट से 216.75 करोड़ रुपये और कांग्रेस ने 31 करोड़ रुपये मिलने की घोषणा की। ‘बी जी शिर्के कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी प्राइवेट लिमिटेड’ ने 2019-20 में राकांपा को सबसे अधिक चंदा दिया।’’
रिपोर्ट में बताया गया कि 2012-13 से 2019-20 की अवधि के बीच, राष्ट्रीय दलों को 2019-20 (जब17वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए थे) में 921.95 करोड़ रुपए का सर्वाधिक कॉरपोरेट चंदा मिला और उसके बाद 2018-19 में 881.26 करोड़ रुपए और 2014-15 में (जब 16वीं लोकसभा के लिए चुनाव हुए थे) 573.18 करोड़ रुपये चंदा मिला।
रिपोर्ट में बताया गया है कि 2012-13 और 2019-20 के बीच कॉरपोरेट और व्यावसायिक घरानों से राष्ट्रीय दलों को मिले चंदे में 1,024 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कॉरपोरेट/व्यावसायिक घरानों के योगदान को एडीआर ने 15 क्षेत्रों/श्रेणियों में विभाजित किया था। इनमें न्यास और कंपनियों के समूह, विनिर्माण, बिजली और तेल, खनन, निर्माण, निर्यात / आयात, और रियल एस्टेट एवं अन्य क्षेत्र शामिल हैं।
भाषा सिम्मी नरेश
नरेश
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