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Sunday, 6 October, 2024
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ओडिशा में कांग्रेस के विधायक चाहते हैं ओपीसीसी में बदलाव

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भुवनेश्वर, चार अप्रैल (भाषा) पंचायत और शहरी चुनाव में पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद, ओडिशा कांग्रेस के विधायकों का एक वर्ग 2024 के आम चुनाव तथा राज्य विधानसभा चुनाव से पहले ओडिशा प्रदेश कांग्रेस कमेटी (ओपीसीसी) में बदलाव चाहता है।

राज्य के नौ कांग्रेस विधायकों में से ताराप्रसाद बहिनीपति, एस.एस. सलूजा, अधिराज पाणिग्रही और मोहम्मद मोकीम ने पार्टी की वर्तमान और भविष्य की स्थिति पर चिंता व्यक्त की है और नेतृत्व में कुछ बदलाव की मांग की हैं। हालांकि सभी ने दावा किया कि वे मौजूदा ओपीसीसी अध्यक्ष निरंजन पटनायक के विरोध में नहीं है।

खरिअर से विधायक पाणिग्रही ने कहा, ‘‘हम निरंजन पटनायक के विरोधी नहीं हैं, लेकिन पार्टी को अपनी साख बचानी होगी और सभी इस बात से सहमत हैं कि संगठन को मौजूदा स्थिति से उबरना होगा। एक वैकल्पिक नेतृत्व की जरूरत है, जो पार्टी को मौजूदा स्थिति से निकाल सके।’’

निरंजन पटनायक के करीबी माने जाने वाले, जेयपोरे से विधायक ताराप्रसाद बहिनीपति और जतणी के विधायक सुरेश राउतराय ने भी ओपीसीसी में बदलाव की वकलात की।

बहिनीपति ने कहा, ‘‘जब भी चुनाव आते हैं निरंजन बाबू बीमार हो जाते हैं। इसलिए, ओडिशा में एक नए और मजबूत नेतृत्व की जरूरत है।’’

राउतराय ने ओपीसीसी में परिवर्तन के विचार का समर्थन करते हुए कहा कि पार्टी नेतृत्व को अब प्रतिद्वंद्वियों का मुकाबला करने के लिए चुनाव के दौरान उम्मीदवारों का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘ ओपीसीसी अध्यक्ष को शक्तिशाली बीजू जनता दल (बीजद) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के खिलाफ लड़ने वाले उम्मीदवारों को आवश्यक मदद मुहैया करानी चाहिए।’’

काटाबांजी के विधायक संतोष सिंह सलूजा ने कहा कि ग्रामीण तथा शहरी चुनाव जीतने वाले पार्टी उम्मीदवारों को अपने व्यक्तिगत प्रयासों से जीत मिली है। अगर पार्टी उम्मीदवारों की मदद करेगी तो निश्चित तौर पर और लोगों को जीत मिलेगी।

गौरतलब है कि 2000 में नवीन पटनायक की अगुवाई में बीजद की सरकार बनने से पहले दशकों तक ओडिशा पर शासन करने वाली कांग्रेस, 2019 के चुनाव के बाद राज्य की राजनीति में तीसरे स्थान पर पहुंच गई है। भाजपा अब राज्य में मुख्य विपक्षी दल है। शहरी चुनाव में, कांग्रेस केवल 12 प्रतिशत वोट हासिल कर सकी और 2013-14 चुनाव में 13 सीटों के अपने पिछले प्रदर्शन के मुकाबले केवल सात सीटों पर जीत हासिल की।

पार्टी सूत्रों ने बताया कि 2000 के बाद से, कांग्रेस ने नौ बार ओपीसीसी अध्यक्ष को बदला है, लेकिन वे सभी संगठन को पुनर्जीवित करने में विफल रहे। निरंजन पटनायक पहली बार 2011 से 2013 तक ओपीसीसी के प्रमुख बनाए गए थे। उन्हें फिर अप्रैल 2018 में ओपीसीसी अध्यक्ष बनाया गया था और तब से अब तक वह इस पद पर हैं।

भाषा निहारिका संतोष

संतोष मनीषा

मनीषा

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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