कोलंबो: श्रीलंकाई संसद के सदस्य पदस्थ राजपक्षे सरकार का विरोध करने के लिए, शनिवार शाम 6 बजे से सोमवार सुबह 6 बजे तक लगे कर्फ्यू को तोड़ते हुए, रविवार को सड़कों पर उतर आए.
ये कर्फ्यू उन बड़े पैमाने पर हो रहे प्रदर्शनों को दबाने के लिए लगाया गया था, जिनकी पूरे श्रीलंका में तैयारी की गई थी. कर्फ्यू का उल्लंघन करने के आरोप में शनिवार रात 664 लोगों को गिरफ्तार कर लिया गया और पुलिस शाम 6 बजे के बाद बाहर सड़कों पर दिखने वाले हर व्यक्ति से पूछताछ कर रही थी.
लेकिन, विपक्षी सदस्यों ने रविवार को कर्फ्यू तोड़ दिया और सड़कों पर उतरकर ‘गो, गोटा गो!’ और ‘गोटा, घर जाओ!’ के नारे लगाने लगे- जिसका आशय राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से था.
सांसद मयंता दिसानायके ने दिप्रिंट से कहा, ‘संसद के सदस्य होने के नाते आज हम अपने देश के लोगों के मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए यहां आए हैं. लोकतंत्र बरक़रार रहेगा. आप, लोगों के साथ इस तरह छल नहीं कर सकते. देश राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक रूप से बहुत बुरे हाल में है और हम लोगों के साथ मिलकर लड़ेंगे.’
श्रीलंका के आर्थिक संकट ने 31 मार्च बृहस्पतिवार को उस वक्त एक नया मोड़ ले लिया, जब प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति राजपक्षे के आवास का घेराव कर लिया. फिर, शुक्रवार को आपात स्थिति की घोषणा कर दी गई और अगले दिन शाम को आश्चर्यजनक रूप से कर्फ्यू लागू कर दिया गया.
पूर्व सेना प्रमुख और सांसद फील्ड मार्शल सरथ फोनसेका ने कहा, ‘हमें वास्तव में ख़ुशी है कि लोगों को अब सच्चाई समझ में आ गई है. अब हम सब एकजुट हैं. यहां पर जो पुलिसकर्मी खड़े हैं वो भी. आप इनकी बॉडी लेंग्वेज देख सकते हैं. ये सब हमारे साथ हैं.’
फोनसेका ने आगे कहा, ‘सरकार कठिनाई में है और बेबस है. उनके पास कोई समाधान नहीं है. उनके पास एकमात्र विकल्प यही है कि वो घर चले जाएं’.
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सोशल मीडिया पर बैन के बावजूद स्वाभाविक प्रदर्शन
रविवार सुबह कोलंबो की सड़कों पर बैरिकेडिंग की गई थी और सन्नाटा पसरा हुआ था. लेकिन रविवार की दोपहर आते आते मूड बदल चुका था- लोग लड़कों पर उतर आए और वो भी आयोजकों के उकसावे के बिना, जिन्होंने दिप्रिंट को बताया कि सुरक्षा की चिंता के मद्देनज़र, उन्होंने प्रदर्शन से बचने का फैसला किया था.
लंबी बिजली कटौती और ईंधन, दूध, तथा चावल जैसी आवश्यक वस्तुओं की भारी क़िल्लत के चलते एक महीने से विरोध प्रदर्शन चल रहे हैं. श्रीलंकाई नागरिक #गोटा घर जाओ के नारों के साथ, राजपक्षे सरकार से सत्ता छोड़ने की मांग कर रहे हैं.
श्रीलंका सरकार ने रविवार सुबह सवेरे फेसबुक, मैसेंजर, इंस्टाग्राम, यूट्यूब, ट्विटर, वाइबर, टिकटॉक, स्नैपचैट, आईएमओ और टेलीग्राम पर भी प्रतिबंध लगा दिया. दूरसंचार नियामक आयोग ने कहा कि ये प्रतिबंध रक्षा मंत्रालय के अनुरोध पर लगाया गया है.
लेकिन, तीखी आलोचना के बाद सरकार ने रविवार दोपहर, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोगों की ऐक्सेस को बहाल कर दिया.
सोशल मीडिया पर लगी पाबंदी को लोगों की लामबंदी रोकने के क़दम के रूप में भी देखा गया. लेकिन, ज़्यादातर लोग वीपीएन के ज़रिए सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते रहे- जिनमें खेल मंत्री नमल राजपक्षे जैसे सरकार के सदस्य भी शामिल थे, जिन्होंने राष्ट्रपति गोटाबाया के भतीजे और प्रधानमंत्री मिहिंदा राजपक्षे के बेटे होने के बावजूद पाबंदी की आलोचना की.
हालांकि आयोजकों ने दिप्रिंट को बताया, कि वो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शनों की तैयारी नहीं कर रहे थे, लेकिन लोग कोटा, नगेगोड़ा और राजगिरिया जैसे इलाक़ों में जमा हो गए. कैण्डी में हिंसा भड़क उठी, जहां पेरादेनिया यूनिवर्सिटी में छात्रों को तितर-बितर करने के लिए, पुलिस ने आंसू गैस और पानी की बौछारों का इस्तेमाल किया.
लेकिन, श्रीलंका के दूसरे हिस्सों जैसे शनिवार शाम होमागामा, और रविवार दोपहर रगामा में देखा गया कि पुलिस प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दख़लअंदाज़ी नहीं कर रही थी.
विपक्षी सांसदों ने दिप्रिंट से कहा कि लोगों का ग़ुस्सा बिल्कुल जायज़ है. फील्ड मार्शल फोंसेका ने कहा, ‘लोगों को कर्फ्यू की स्थिति में बनाए रखना बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है. उनके पास खाने को नहीं है. उनके पास डीज़ल नहीं है, बिजली नहीं है, गैस नहीं है. एक दिन सरकार लोगों की ताक़त का अहसास करेगी’.
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वकीलों ने भी अपनी राय स्पष्ट की
श्रीलंका में क़ानूनी समुदाय ने भी अपनी भावनाएं स्पष्ट कर दी हैं. बार एसोसिएशन ने हालात पर गहरी चिंता व्यक्त की, और 300 से अधिक वकील उन 53 लोगों के पास मुफ्त क़ानूनी सहायता देने के लिए पहुंच गए, जिन्हें बृहस्पतिवार को राष्ट्रपति आवास पर प्रदर्शन के बाद गिरफ्तार किया गया था.
तमाम वकील, छात्र कार्यकर्त्ता थिसारा अनुरुद्ध बंडारा को समर्थन देने के लिए भी मौजूद थे, जो ‘गो होम गोटा’ नाम के एक फेसबुक ग्रुप का एडमिनिस्ट्रेटर है. बंडारा को शनिवार आधी रात को आचार संहिता की धारा 120 के तहत गिरफ्तार कर लिया गया, जो ‘राज्य के प्रति असंतोष की भावनाएं भड़काने, या भड़काने की कोशिश करने’ का अपराध है. उन्हें पुलिस स्टेशन में रोक लिया गया और आख़िर में कोर्ट में पेश किया गया, जहां रविवार बहुत तड़के 2 बजे उन्हें ज़मानत दे दी गई’.
A moment to be proud of when the legal community united to uphold justice and resist the impunity of the State.
Here’s one from 2am last night. #GoHomeGota #FreeThisara #lka pic.twitter.com/vs4mHVFABP
— Mahishaa Balraj (@Mahi_shaa) April 3, 2022
क़ानूनी वकील महिशा बलराज ने कहा, ‘क़ानूनी समुदाय से ज़बर्दस्त समर्थन मिल रहा है. मुझे लगता है कि लोगों में भरे इस गुस्से की सहायता से हम, सरकार की उस ढिठाई का सामना कर सकेंगे, जिससे वो नागरिकों पर हमले कर रही है, उन्हें गिरफ्तार कर रही है, और उन्हें हिरासत में ले रही है’. बलराज और दूसरे वकील तब तक वहां डटे रहे, जब तक बंडारा को ज़मानत नहीं मिल गई.
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