प्रयागराज, 28 मार्च (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने बीते शुक्रवार को राज्य सरकार के अपर मुख्य सचिव (गृह) से व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल कर यह बताने को कहा कि बुलंदशहर में पुलिस हिरासत में हुई कथित मौत के मामले में दाखिल न्यायिक जांच रिपोर्ट के संदर्भ में क्या कदम उठाए गए हैं। अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 19 अप्रैल तय की है।
न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति रजनीश कुमार की पीठ ने न्यायिक जांच की रिपोर्ट देखने के बाद यह आदेश पारित किया। अदालत ने अपने निर्देश में कहा कि हलफनामे में इस मामले में जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का भी विवरण शामिल होगा।
पुलिस हिरासत में मारे गए व्यक्ति की मां सुरेश देवी ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख करते हुए आरोप लगाया है कि उनके बेटे का उत्पीड़न कर उसकी हत्या की गई, क्योंकि उसने अपनी इच्छा से अंतरजातीय विवाह किया था।
उक्त आदेश पारित करते हुए अदालत ने कहा, “हिरासत में मौत एक गंभीर मामला है, खासकर तब जब न्यायिक जांच में आरोप सही पाए जाते हैं और पीड़ित व्यक्ति की मौत के लिए पुलिसकर्मी जिम्मेदार हैं।”
अदालत ने आगे कहा, “इसके अलावा, रिपोर्ट में इस बात का जिक्र है कि मृतक का कोई पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। पुलिसकर्मियों द्वारा शव का अंतिम संस्कार कर दिया गया।”
उच्च न्यायालय ने कहा, “इस तरह के मामलों में हम उच्च अधिकारियों से संवेदनशील होने और त्वरित व उचित कार्रवाई करने की उम्मीद करते हैं। हम राज्य के इस कथन से सहमत नहीं हैं कि यह पीड़ित द्वारा आत्महत्या का मामला है, क्योंकि न्यायिक जांच में अलग ही निष्कर्ष सामने आया है।”
अदालत ने कहा, “धारा 154 के तहत उचित रिपोर्ट दाखिल की जानी चाहिए थी और जांच तेजी से होनी चाहिए थी। साथ ही मुआवजे के भुगतान के लिए दावे पर भी विचार किया जाना चाहिए था।”
चूंकि, अभी तक ऐसी कोई कार्रवाई नहीं हुई है, अदालत ने अपर मुख्य सचिव (गृह) से प्राथमिकता के आधार पर इस मामले की जांच कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने को कहा है।
भाषा राजेंद्र पारुल
पारुल
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