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Saturday, 5 October, 2024
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द्रौपदी के किरदार के लिए मेकअप और केश-सज्जा में डेढ़ घंटे लगते थे: रूपा गांगुली

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(कुणाल दत्त)

नयी दिल्ली, 27 मार्च (भाषा) दूरदर्शन पर पहली बार ‘महाभारत’ का प्रसारण हुए तीन दशक से अधिक समय बीत चुका है, लेकिन रूपा गांगुली को अब भी यह बखूबी याद है कि किस तरह हर रोज सुबह-सुबह उन्हें मुंबई की फिल्म सिटी पहुंचना होता था, ताकि मेकअप कलाकार को उन्हें ‘द्रौपदी’ की भूमिका में तैयार करने के लिए पर्याप्त समय मिल सके।

अभिनेत्री से राजनेता बनी गांगुली (55) ने 1980 के दशक के अंत में इस धारावाहिक के निर्माण के दिनों को याद किया और स्वीकार किया कि शूटिंग के व्यस्त कार्यक्रम को लेकर वह टीवी पर इस धारावाहिक को नहीं देख सकी थीं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैंने आखिरकार यह धारावाहिक उस वक्त देखा, जब कोविड-19 महामारी के चलते लॉकडाउन लागू रहने के दौरान टीवी पर ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ का पुन:प्रसारण किया गया। और मैंने इसका सचमुच में आनंद उठाया। इसने मुझे शूटिंग के दिनों की याद दिला दी।’’

कोलकाता में जन्मीं और मौजूदा राज्यसभा सदस्य गांगुली ने कहा, ‘‘हर दिन सुबह-सुबह, जुहू स्थित अपने होटल से मुझे फिल्म सिटी पहुंचना होता था और सुबह पांच बजे तक मुझे मेकअप कक्ष में उपस्थित होना पड़ता था। शूटिंग सुबह सात बजे शुरू हुआ करती थी और मेरा मेकअप तथा केश-सज्जा करने में हर दिन कम से कम डेढ़ घंटा या इससे ज्यादा समय लगता था।’’

उन्होंने पीटीआई-भाषा से साक्षात्कार में कहा, ‘‘और, मेरे लंबे बाल थे तथा हमें विशेष परिधान एवं कई सारी अन्य चीजें भी पहननी पड़ती थी जिसमें समय लगता था। इसलिए, मुझे अन्य कलाकारों से पहले पहुंचना पड़ता था। ’’

निर्माता-निर्देशक बी आर चोपड़ा और रवि चोपड़ा टीवी पर महाभारत लेकर आये थे और 1990 तक दो साल दूरदर्शन पर इसका प्रसारण हुआ था। प्रत्येक रविवार, सुबह इसे प्रसारित किया जाता था।

बंगाली सिनेमा में अपने काम को लेकर भी ख्याति हासिल करने वाली गांगुली ने कहा, ‘‘हम सभी साधारण परिवार से हैं और यह सीखा कि कैसे एक राजा या रानी या शाही परिवार का सदस्य चलता-फिरता है या बात करता है। साथ ही, मैं बंगाल से हूं और पटकथा हिंदी भाषा में थी तथा यह एक बहुत अलग तरह की हिंदी थी। (ध्वनि कलाकार) हरीश भीमानी जी ने मेरे प्रभावशाली संवाद के लिए उच्चारण करने में मदद की। ’’

इस धारावाहिक में द्रौपदी एक अविस्मरणीय किरदार है और गांगुली ने अपने दमदार संवाद और भावपूर्ण अभिनय से सभी उम्र के दर्शकों की वाहवाही बटोरी।

उन्होंने दावा किया कि आज के समय में ‘रामायण’ और ‘महाभारत’ कथाओं को पौराणिक कथा नहीं माना जाता है और ये भारत का हिस्सा हैं। उन्होंने कहा कि इनके साक्ष्य विभिन्न सथानों पर पाये जा सकते हैं।

गांगुली ने कहा, ‘‘ये कथाएं अब हमारी धरोहर हैं और पूरे भारत की धरोहर हैं।’’

उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, ‘‘जब 2015 में राजनीति में आई थी, तब मैंने खुद को जन सेवा में समर्पित करने का एक समझबूझ भरा फैसला लिया था। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं राजनीति में आई थी तब मेरे पास 10-15 फिल्मों में काम करने का प्रस्ताव था लेकिन मुझे उन सब को खारिज करना पड़ा था। ’’

भाषा सुभाष सुरेश

प्रशांत

प्रशांत नरेश

नरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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