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Sunday, 6 October, 2024
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भारत में पिछले 70 वर्षों में मृदा जैविक कार्बन तत्व एक प्रतिशत से घटकर 0.3 फीसद रह गया: एनआरएए

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नागपुर, 26 मार्च (भाषा) राष्ट्रीय वर्षा सिंचित क्षेत्र प्राधिकरण (एनआरएए) के सीईओ अशोक दलवई ने कहा है कि भारत में मृदा जैविक कार्बन (एसओसी) तत्व पिछले 70 वर्षों में 1 प्रतिशत से घटकर 0.3 प्रतिशत रह गया है, जो कृषि क्षेत्र के लिए चिंता का विषय है।

उन्होंने शुक्रवार शाम महाराष्ट्र के नागपुर में संवाददाताओं से कहा कि एसओसी मिट्टी के जैविक पदार्थ का मुख्य घटक है और यह मिट्टी को इसकी जल-धारण क्षमता, संरचना और उर्वरता प्रदान करता है।

दलवई ने कहा कि ओएससी तत्व में इतनी भारी गिरावट मिट्टी की उत्पादकता को प्रभावित करती है क्योंकि सूक्ष्म जीव जीवित नहीं रहते हैं, जो पौधों को पोषक तत्व प्रदान करने का एक प्रमुख कारक होते हैं।

उन्होंने कहा कि मिट्टी को उचित खाद प्रदान किए बिना फसलों की गहन खेती एसओसी तत्व में गिरावट का कारण है। दलवई कहा कि किसानों को कीटनाशकों और उर्वरकों पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहिए। यह भी कहा कि जैव उर्वरक और खाद मिट्टी के एसओसी स्तर को बढ़ा सकते हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 70 वर्षों में देश में लगभग 51 प्रतिशत भूमि बड़ी, लघु और सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाओं के माध्यम से सिंचित हुई है, लेकिन 51 प्रतिशत भूमि पर खेती की जाती है।

दलवई ने कहा, ”सरकार इन क्षेत्रों में तकनीकी रूप से उन्नत सूक्ष्म सिंचाई परियोजनाएं शुरू कर रही है, जिससे 30 से 40 प्रतिशत पानी की बचत होगी।”

उन्होंने कहा कि सिंचित भूमि में औसत फसल उत्पादन 3 टन प्रति एकड़ है जबकि वर्षा सिंचित क्षेत्र में फसल उत्पादन सिर्फ 1.1 टन प्रति एकड़ है।

भाषा जोहेब संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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