विक्टोरिया: यूक्रेन पर रूसी आक्रमण का अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के माध्यम से कोई स्पष्ट समाधान नजर नहीं आ रहा है, ऐसे में कुछ टिप्पणीकार सोच रहे हैं कि क्या व्लादिमीर पुतिन के सत्ता से हटने से इस विवाद को खत्म किया जा सकता है.
यूक्रेनी मोर्चे पर रूसी सैनिक संघर्ष कर रहे हैं, इस युद्ध में मारे गए हजारों लोगों में प्रमुख रूसी जनरल शामिल हैं और आक्रमण के बाद से हर दिन रूसी शहरों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं – देश भर के दर्जनों शहरों में हर दिन हजारों लोग इनमें शामिल होते हैं.
वैसे 14 करोड़ 50 लाख की आबादी वाले रूस के आकार के देश के लिए ये संख्या बड़ी नहीं है.
प्रदर्शनकारियों के लिए जोखिम
रूस में तेजी से बंद हो रहा स्वतंत्र मीडिया प्रदर्शन में भाग लेने वालों की कम संख्या की वजह हो सकता है, कई रूसियों को आक्रमण के बारे में सच्चाई का पता ही नहीं है और वह सही जानकारी के अभाव में इसका समर्थन कर रहे हैं.
विरोध करने के इच्छुक लोगों के लिए जोखिम भी है. एक पुराने रूसी एनजीओ के अनुसार, आक्रमण शुरू होने के बाद से देश भर में 15,000 से अधिक प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया है.
एक नए रूसी कानून के मुताबिक सरकारी आख्यान के खिलाफ बोलने पर, और यहां तक कि इस तथाकथित ‘विशेष अभियान’ का वर्णन करते हुए ‘युद्ध’ शब्द का इस्तेमाल करने को अपराध माना जाएगा और उसके लिए 15 साल तक की सजा का प्रावधान है.
लेकिन रूस में सत्ता परिवर्तन के लिए बड़े पैमाने पर विरोध की संभावना अपने आप में अपर्याप्त है.
पुतिन के खिलाफ संगठित रूसी विरोध को हाल के वर्षों में भारी दमन का सामना करना पड़ा है, जिसकी वजह से विरोधियों का नेतृत्व करने वाले लोग कम हो गए हैं. उनके प्रमुख नेता, अलेक्सी नवलनी को कई साल के लिए जेल में डाल दिया गया है. कई उदारवादी-झुकाव वाले रूसी भी देश से भाग रहे हैं.
सत्तावादी शासन को हटाने के लिए नागरिक असंतोष के बजाय शक्तिशाली अभिजात वर्ग का दलबदल लगभग हमेशा आवश्यक होता है.
विभाजन अनिवार्य रूप से ‘‘कट्टरपंथियों’’, जो किसी भी तरह से शासन की रक्षा करेंगे, और ‘‘नरमपंथियों’’, जिनके अपने संदेह है और जो सुधार चाहते हैं, के बीच है.
सत्ता छोड़ने के लिए अनिच्छुक
शोध से यह भी पता चला है कि रूस जैसे व्यक्तिगत निरंकुश शासनों में – शासन जिसमें लगभग सारी शक्ति एक ही व्यक्ति के हाथों में होती है – तानाशाह शायद ही कभी बातचीत के माध्यम से सत्ता छोड़ते हैं.
ऐसा इसलिए है क्योंकि ऐसे नेता आमतौर पर सत्ता से चिपके रहने के लिए दृढ़ होते हैं, और लोगों के केवल एक छोटे और कड़े नियंत्रित दायरे का ही उन पर कोई प्रभाव होता है.
पुतिन के मामले में, महामारी ने इसे और बढ़ा दिया है, और उनका दायरा पहले की तुलना में बहुत छोटा और अधिक कट्टर सत्तावादी हो गया है.
यह संभव है कि रूस पर लगाए गए कठोर प्रतिबंधों के प्रभाव, बड़े पैमाने पर अहिंसक विरोध के साथ, रूस में अधिक व्यापक रूप से नरमपंथी अभिजात वर्ग के बीच विश्वास कम हो सकता है.
यूक्रेनियन, जिनके साथ कई रूसियों के पारिवारिक संबंध हैं, पर अत्यधिक हिंसा के बारे में जागरूकता, और रूसी सैनिकों के बीच भारी हताहतों की वजह से ऐसा हो सकता है कि प्रमुख अभिजात वर्ग को इन चुनौतियों का सामना करने की शासन की क्षमता पर विश्वास न रहे.
ये सॉफ्टलाइनर कौन हो सकते हैं?
कई संभावित स्रोत मौजूद हैं: आर्थिक नेता, रूसी सैन्य या राज्य सुरक्षा सेवाएं. हालांकि इनमें से कई रूस में अधिक लोकतांत्रिक भविष्य का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं, वे पुतिन को बाहर करने और आक्रमण को समाप्त करने में सक्षम हो सकते हैं.
पुतिन के सलाहकारों में मुख्य रूप से सैन्य और सुरक्षा अधिकारी शामिल हैं, जिन्हें ‘‘सिलोविकी’’ कहा जाता है.
कुलीन वर्गों के बारे में क्या?
ऐसी कई अटकलें लगाई जा रही हैं कि रूस का कुलीन वर्ग एक असंतुष्ट खेमा हो सकता है जो पुतिन को बाहर करने के लिए तैयार है.
वह रूस के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का दंश झेल रहे हैं, और निस्संदेह देश की अर्थव्यवस्था की बर्बादी से नाखुश हैं.
लेकिन 2000 के दशक की शुरुआत में जब से पुतिन ने सत्ता को समेकित किया, सोवियत संघ के विघटन के बाद पूंजीवादी संक्रमण और राज्य भ्रष्टाचार के अति-अमीर लाभार्थियों ने संपत्ति जमा करने के लिए उनकी मंजूरी पर भरोसा किया.
यदि वे पुतिन का विरोध करते हैं और असफल हो जाते हैं, तो उनके पास खोने के लिए बहुत कुछ है, भले ही प्रतिबंध अब उन्हें कैसे भी प्रभावित कर रहे हों.
रूस में सेना ऐतिहासिक रूप से तख्तापलट शुरू करने के लिए प्रतिरोधी रही है – मुख्य रूप से यूएसएसआर में कम्युनिस्ट पार्टी की निगरानी और सोवियत युग के बाद इन आदतों के बने रहने और सुरक्षा सेवाओं के भारी दखल के कारण ऐसी परंपरा सी बन गई है.
फिर भी यूक्रेन में रूसी सेना को जो भारी नुकसान उठाना पड़ा है और इन विफलताओं के कारण सैन्य नेताओं के हालिया प्रतिस्थापन की खबरें, सेना में असंतोष को बढ़ावा दे सकती है जो कुछ को तख्तापलट का समर्थन करने के लिए प्रेरित करेगी.
पूर्व केजीबी
अंत में, राज्य सुरक्षा सेवाएं अंदरूनी तख्तापलट का सबसे संभावित स्रोत प्रदान कर सकती हैं. पुतिन इन एजेंसियों की पैदाइश हैं, लेकिन तनाव उभर रहा है.
पुतिन ने हाल ही में यूक्रेन में तत्काल और सफल जीत की संभावनाओं के बारे में गलत खुफिया जानकारी के कारण संघीय सुरक्षा ब्यूरो (बाहरी खुफिया के लिए जिम्मेदार) के प्रमुख को नजरबंद कर दिया था.
लेकिन अगर कोई तख्तापलट नहीं होता है, तो दुर्भाग्य से रूस में अपनी आबादी का और भी गंभीर दमन और यूक्रेन में निरंतर तबाही शामिल होगी.
(लिसा मैकिन्टोश संडरस्ट्रॉम, राजनीति विज्ञान की प्रोफेसर, ब्रिटिश कोलंबिया विश्वविद्यालय)
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