scorecardresearch
Friday, 22 November, 2024
होमदेशमार्च में ही 40°C के करीब पहुंचा पारा, पिछले हफ्ते पड़ी भीषण गर्मी ने पूरी मुंबई को चौंका दिया

मार्च में ही 40°C के करीब पहुंचा पारा, पिछले हफ्ते पड़ी भीषण गर्मी ने पूरी मुंबई को चौंका दिया

इस साल मुंबई में मार्च महीने का अधिकतम तापमान पिछले साल की तुलना में थोड़ा कम है. पिछले साल यह 40.9 डिग्री सेल्सियस था जो 28 मार्च 2021 को दर्ज किया गया था. मार्च में शहर का अब तक का सबसे अधिक तापमान 1956 में दर्ज किया गया था.

Text Size:

मुंबई: पिछले हफ्ते मुंबई में पारा काफी अधिक चढ़ गया. मार्च समाप्त होने में दो सप्ताह शेष होने के बावजूद महाराष्ट्र की राजधानी और उसके आस-पास के शहरों में अधिकतम तापमान 15 मार्च के आसपास लगभग 40 डिग्री सेल्सियस- 39.6 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया, जिसके परिणामस्वरूप गंभीर गर्मी के थपेड़ों (हीटवेव) वाली परिस्थितियां पैदा हुई.

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार, मुंबई जैसे तटीय स्टेशन में उस समय भीषण हीटवेव की घोषणा तब की जाती है, जब दिन का अधिकतम तापमान 37 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होता है, या यह उस समय के लिए मान्य सामान्य तापमान से 6.5 डिग्री से अधिक होता है.

साल के इस समय के लिए औसतन रूप से दिन के समय का अधिकतम तापमान 33 डिग्री सेल्सियस तक सामान्य माना जाता है.

हालांकि फिलहाल पारा इस आंकड़े के पार जा चुका है, पर मौसम विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल का अधिकतम तापमान पिछले साल मार्च के उच्चतम अधिकतम तापमान से थोड़ा कम है जो 28 मार्च 2021 को 40.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था. मार्च महीने के लिए मुंबई में अब तक का सबसे ज्यादा अधिकतम तापमान 41.7 डिग्री है, जो 1956 में इसी तारीख (28 मार्च) को दर्ज किया गया था.

इस हफ्ते, अधिकतम तापमान थोड़ा नीचे आया है- गुरुवार (24 मार्च) को यह 37 डिग्री सेल्सियस था लेकिन शहर के पिछले पांच दशकों में लगातार गर्म होने की सामान्य प्रवृत्ति को देखते हुए एक और हीटवेव शायद ज्यादा दूर नहीं लगती है.

पिछले हफ्ते, बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) एक क्लाइमेट एक्शन प्लान लेकर आया, जिसमें शहर के लिए एक जलवायु और वायु प्रदूषण जोखिम और अतिसंवेदनशीलता मूल्यांकन रिपोर्ट (क्लाइमेट एंड एयर पॉलुशन रिस्क एंड वल्नेरेबिलिटी असेसमेंट रिपोर्ट) भी शामिल किया गया था.

इस रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में पिछले लगभग पांच दशकों में लगातार गर्म होने का चलन दिखा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 1973 और 2020 के बीच मुंबई के औसत अधिकतम तापमान में प्रति दशक 0.25 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हुई है.

ज्यादा गर्मी वाले वर्षों की फ्रीक्वेंसी में भी वृद्धि देखी गई है और पिछले पांच वर्षों में से तीन में औसत से अधिक तापमान दर्ज किया गया है. 1990 के दशक के मध्य से ही ‘सावधानी’ से ‘अत्यधिक सावधानी’ वाली घटनाओं की आवृत्ति में परिवर्तन देखा गया है. इसके तहत सालाना 200 से अधिक दिनों को ‘अत्यधिक सावधानी की घटनाओं’ वाले दिन के रूप में वर्गीकृत किया गया है.

यदि किसी तटीय शहर के लिए अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाता है, तो इसे ‘सावधानी’ की स्थिति माना जाता है, मगर जब यह 40 डिग्री सेल्सियस के करीब आ जाता है तो ‘अत्यधिक सावधानी’ बरतनी होती है.

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस अवधि के दौरान कुल 10 हीटवेव और दो एक्सट्रीम (अत्यधिक) हीटवेव वाली घटनाएं हुई हैं. साल 1977, 1981, 1985, 1989, 1995, 2005, 2009, 2013, 2014 और 2018 में जहां हीटवेव की सूचनाएं मिली थी, वहीं 2004 और 2011 में एक्सट्रीम हीटवेव देखी गई थी.

यह रिपोर्ट इस शहर में गर्मी वाले विशेष इलाकों (हीट आईलैंड्स) की पहचान करने के लिए भूमि की सतह के तापमान (लैंड सरफेस टेम्प्रेचर- एलएसटी) के डेटा का भी विश्लेषण करती है. इसमें ऐसे क्षेत्र शामिल हैं जहां औद्योगिक और वाणिज्यिक इकाइयों या कम वनस्पतिक आवरण (पेड़-पौधों की कमी) और प्रवाहकीय (हीट कंडक्टिव) या परावर्तक निर्माण सामग्री (जैसे धातु की छतें, कांच और इस्पात) वाली संरचनाओं की वजह से गर्मी की संभावना बढ़ जाती है. आबादी के ऊंचे घनत्व और पेड़-पौधों की कमी वाली अनौपचारिक बस्तियों में तापमान इनके आस-पास के आवासीय क्षेत्रों की तुलना में 6-8 डिग्री अधिक देखा गया.

रिपोर्ट के अनुसार, 2040 तक मुंबई में सालाना करीबन 60 प्रतिशत दिन ज्यादा गर्मी वाले दिन (हाई-हीट डेज) होंगे, जब तापमान 32 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो सकता है. उच्च आर्द्रता वाले दिनों के साथ मिलकर यह गर्मी लोगों में थकावट को बढ़ाएगी और इसके परिणामस्वरूप गर्मी से संबंधित मौतों और बीमारियों में अचानक वृद्धि हो सकती है.


यह भी पढ़ें: न्यू नॉर्मल के साथ पटरी पर लौट रही जिंदगी- कोविड पाबंदियां खत्म करने पर क्या है सरकार का रोड मैप


शहरी संकट

पिछले हफ्ते साल की शुरुआत में ही आने वाली अप्रत्याशित हीटवेव ने इस शहर के लोगों को परेशान कर दिया है.

बीएमसी ने एक अधिसूचना जारी कर नागरिकों को हर समय हाइड्रेटेड (शरीर में पानी की भरपूर मात्रा के साथ) रहने तथा चाय, कॉफी, ,सॉफ्ट ड्रिंक्स, उच्च प्रोटीन और बासी भोजन से बचने के लिए कहा. इसने यह भी सुझाव दिया कि लोग बाहर काम करते समय टोपी या छतरी और सिर, गर्दन, चेहरे और अंगों के लिए एक नम कपड़े का उपयोग करें.

इस अधिसूचना में कहा गया है, ‘अगर कोई व्यक्ति बेहोश हो जाता है या बीमार पड़ जाता है, तो उसे तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए,’ साथ ही, बीएमसी ने यह भी सुझाव दिया कि यदि कोई व्यक्ति सन स्ट्रोक (लू) से पीड़ित होता है, तो उसे ठंडी जगह पर लिटाना चाहिए.

56 वर्षीय शशिकला खडतारे के लिए अचानक आयी इस गर्मी की लहर का मतलब था डिहाइड्रेशन (शरीर में पानी की कमी) और एयर-कंडीशनर खरीदने की जल्दबाजी. पिछले 27 वर्षों से महाराष्ट्र सरकार के साथ एक स्वास्थ्य कार्यकर्ता के रूप में कार्यरत खडतारे को अपने काम के सिलसिले में घर-घर जाना पड़ता है, ताकि शहर के घाटकोपर क्षेत्र के निवासियों को स्वास्थ्य के बारे में शिक्षा और जरूरी ज्ञान दिया जा सके. उनका काम सुबह 9 बजे शुरू होता है और दोपहर 2 बजे तक चलता है.

लेकिन पिछले हफ्ते, खडतारे को काम के बीच छोटे-छोटे ब्रेक लेने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि वह असामान्य रूप से डिहाइड्रेटेड (शरीर में पानी की कमी) महसूस कर रही थीं. खडतारे ने दिप्रिंट को बताया, ‘आम तौर पर मुझे अप्रैल-मई में गर्मी का अहसास होता था लेकिन इस बार अभी सिर्फ मार्च का समय है और गर्मी इतनी बढ़ गई है.’

उन्होंने बताया, ‘मेरा सिर गर्मी में चकरा जाता है इसलिए मुझे छांव में बैठना पड़ता है लेकिन फिर मुझे बहुत पसीना आता है. यहां तक कि डिहाइड्रेशन की वजह से मेरा ब्लड प्रेशर भी नीचे चला गया था.’

इस अप्रत्याशित गर्मी ने मुंबई के मानखुर्द इलाके में एक कमरे के फ्लैट में रहने वाली खडतारे को भी एक एयर-कंडीशनर खरीदने हेतु जल्दी पैसे खर्च करने के लिए मजबूर किया. उन्होंने कहा, ‘मैं मई में एक एसी खरीदने की योजना बना रही थी लेकिन मुझे इसे इसी महीने ईएमआई पर लेने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि गर्मी हर रोज बढ़ती जा रही थी और हमें सोने में बहुत दिक्कत हो रही थी.’


यह भी पढ़ें: जब तक जनता ‘राजनीतिक उपभोक्ता’ बनी रहेगी, उसे ऐसे ही महंगाई झेलनी पड़ेगी!


दूसरों की तुलना में अधिक संवेदनशील क्षेत्र

बीएमसी द्वारा मुंबई क्लाइमेट एक्शन प्लॉन (एमसीएपी) के लिए किए गए रिस्क एंड वल्नेरेबिलिटी असेसमेंट रिपोर्ट ने बीएमसी के एम-ईस्ट वार्ड में गोवंडी और मानखुर्द के क्षेत्रों को शहरी गर्मी की समस्याओं के प्रति अतिसंवेदनशील होने का खुलासा किया.

रिपोर्ट के अनुसार, इस क्षेत्र की लगभग 10 लाख आबादी में से 40 प्रतिशत शहरी गर्मी और 35 डिग्री सेल्सियस से अधिक के सतही तापमान के प्रति अतिरिक्त जोखिम में है.

पर्यावरणविद देवी गोयनका ने समझाया, ‘उस इलाके में औद्योगीकरण और निर्माण गतिविधियों में हुई वृद्धि के कारण, मानखुर्द, चेंबूर, गोवंडी में शहरी गर्मी में वृद्धि देखी जा रही है.’

उन्होंने कहा कि समस्या इस कारण और बढ़ गई है क्योंकि भवन निर्माण के कारण इस क्षेत्र में काफी कम पेड़-पौधे हैं, जिससे और अधिक भूमि गर्मी की तपन के संपर्क में आती है.’

मानखुर्द में एक फूड स्टॉल चलाने वाली नसीमुनिसा शेख इस साल गर्मियों की जल्द शुरुआत का असर पहले से ही महसूस कर रही हैं. तंदूर और चूल्हे के सामने हर रोज घंटों बिताने वाली इस 45 वर्षीय महिला के लिए अप्रैल और मई के महीने हमेशा मुश्किलात से भरे होते हैं. मगर उनका कहना है कि इससे पहले मार्च का महीना शायद ही कभी इतना असहनीय होता था.

उन्होंने कहा, ‘लेकिन पिछला हफ्ता बहुत गर्म था. मुझे ठंडा होने के लिए हर दो घंटे में नहाना पड़ता था. गर्मी का मौसम सामान्य रूप से इतनी जल्दी नहीं आता है.’ नसीमुनिसा ने भी उस इलाके में पेड़ों की छांव की कमी की शिकायत की, जिसके बारे में उन्होंने कहा कि यह यहां की गर्मी को शहर के कई अन्य हिस्सों की तुलना में बदतर बना देता है.

पिछले हफ्ते की भीषण गर्मी के बीच, आग के सामने खाना पकाने के लिए बिताये घंटों के समय की वजह से उनके हाथों और पैरों की त्वचा पर चकत्ते पड़ गए, जिसके लिए उनका फिलहाल इलाज चल रहा है.


यह भी पढ़ें: ‘हमारा आरएसएस’: कर्नाटक में विधानसभा अध्यक्ष ने खुलकर जाहिर किया ‘संघ से अपना जुड़ाव’ तो हुआ हंगामा


मुंबई क्लाइमेट एक्शन प्लान

इस बीच, महीने की शुरुआत में मुंबई ने 2050 तक अपने कार्बन उत्सर्जन को शून्य करने की विस्तृत योजना की घोषणा की. यह एक ऐसा लक्ष्य है जो इसे 2070 तक शून्य उत्सर्जन के भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य से दो दशक आगे रखता है. 2050 के लिए निर्धारित यह लक्ष्य मुंबई को दक्षिण एशिया का पहला शहर बनाता है जिसने इस तरह की समयसीमा तय की है.

यह योजना शहर के नागरिकों के लिए ऊर्जा, पानी, वायु, अपशिष्ट, हरित स्थल और परिवहन के प्रबंधन के तरीके में व्यापक बदलाव का प्रस्ताव करती है.

इस योजना का अनावरण करते हुए महाराष्ट्र के पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे ने कहा, ‘हमारे पास बहुत ज्यादा समय उपलब्ध नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘भारत भर में, एक खास तौर की अति-आवश्यकता वाली भावना है जिसे हर कोई महसूस करता है. दरअसल ऐसी नीतियां निवेशों के आगमन के लिए द्वार खोल रही हैं.’

रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2019 में मुंबई का कार्बन उत्सर्जन 23.42 मिलियन टन रहा था.

इस योजना में शहर के वनस्पतिक आवरण और परमेयबल सरफेस (जहां से पानी भाप बनकर उड़ सके) को 2030 तक शहर की सतह के 30-40 प्रतिशत तक करने का प्रस्ताव है, ताकि बाढ़ और गर्मी से संबंधित आपदा के जोखिमों से निपटा जा सके.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: भगत सिंह का सरकारीकरण न करें, कहीं गांधी की तरह शहीद-ए-आजम को भी लिफाफे की तरह इस्तेमाल न किया जाए


 

share & View comments