चेन्नई, 24 मार्च (भाषा) मद्रास उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी नये ग्रह की खोज करने से बेहतर है कि धरती को भविष्य की पीढ़ी के लिए बेहतर स्थिति में छोड़ा जाए।
अदालत ने आपराधिक पुनरीक्षण याचिकाओं के समूह का निस्तारण करते हुए बुधवार को यह टिप्पणी की। याचिकाओं के जरिए नागपट्टिनम की एक निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी।
निचली अदालत ने कथित तौर पर अवैध खनन की गई रेत के परिवहन को लेकर जब्त किये गये वाहनों को लौटाने का अनुरोध करने वाली उनकी याचिकाएं खारिज कर दी थी।
न्यायमूर्ति ए डी जगदीश चंद्र ने कहा, ‘‘धरती मां हमारी धरोहर है, जो हमें हमारी पुरानी पीढ़ियों से बगैर अधिक नुकसान पहुंचाये मिली है। इसकी सभी संपदा का दोहन करते हुए और इसकी सभी अच्छी चीजों को संरक्षित रखते हुए और विकास के नाम पर इसे विरूपित नहीं करते हुए, अपनी भविष्य की पीढ़ी को इसे सौंपना है। ’’
उन्होंने कहा, ‘‘भूगर्भविज्ञानी दावा करते हैं कि हमारी धरती 4.543 अरब साल की हो गई है। उनका कहना है कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस ग्रह को भविष्य की पीढ़ी के लिए बेहतर रूप में छोड़ें, ना कि हमारी महत्वपूर्ण धरती के खिलाफ बरती जा रही निर्ममता के प्रति अपनी आंखें मूंद लें और नया जीवन जीने के लिए बहुत कम अवसंरचना वाले नये ग्रह की तलाश में भारी मात्रा में धन खर्च करें।’’
न्यायाधीश ने कहा, ‘‘मौजूदा पीढ़ी में (धरती के) खराब होने की दर एक नयी रफ्तार से जारी है। हम जिन बारहमासी नदियों को कभी स्वच्छ जल के साथ बहते देखते थे, वे अब अपशिष्ट पदार्थ ढोने वाले नालों में तब्दील हो गई हैं। ’’
याचिकाकर्ताओं ने दलील दी थी कि अगर इन वाहनों को खुले में ही इसी तरह खड़ा रहने दिया गया तो इनकी कीमत खत्म हो जाएगी जिससे उन्हें बहुत अधिक आर्थिक नुकसान हो जाएगा। वे चाहते थे कि उनके वाहन तत्काल छोड़े जाएं।
अदालत ने कहा कि लोक अभियोजक द्वारा पेश आंकड़ों से पता चलता है कि जब्त किये गए वाहनों से संबंधित कार्यवाही शुरू की जा चुकी है। अदालत ने कहा कि ऐसी स्थिति में न्याय के हित में संबंधित प्राधिकारियों को निर्देश दिया जाता है कि वे जब्ती कार्यवाही को छह महीने के भीतर पूरा करें
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